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कश्मीर - बखान क्या करूँ
सुबह के साढ़े चार बजे हैं। फज़र की नमाज़ ख़त्म हो गई है। पर उसके बाद कोई घंटे भर से शहर की सारी मस्जिदों में क़ुरआन शरीफ की आयतों का समवेत और सांगीतिक पाठ हो रहा है।