स्वयंवर
आदत से लाचार
एक दुकानदार
अपनी सोलह साल की बेटी को
बेचने बैठ गया है बाजार ।
दरअसल,
वह उसकी अपनी बेटी भी नहीं
उसने धोखे से जीता था उसे जुए में।
जग से एक राज छुपाया
उसने उसे अपनी बेटी बताया
उससे झूठे प्रेम का स्वांग रचाया,
दुनिया को वह बता नही सकता
कि अपनी बेटी को बेचने की
कर ली है उसने पूरी तैयारी
इसलिए जैसे ही लड़की ने
पूरे किए सोलह साल
उसने एक सौदे को शादी बताया।
घर के अंदर पहले
उसे शादी के लिए जबरन मनाया
न मानी तो उसे खूब धमकाया
तब भी वह करती रही विरोध
तो चारो ओर पहरेदार लगाया।
उसके होठों पर पट्टी बांधकर
उसे जबरन दुल्हन का जोड़ा पहनाया
फिर पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाकर
उसकी शादी में स्वयंवर बुलाया।
लोगों को पता है सारी हकीकत
इसलिए शहर में फैलती आग पर
पहले डालकर पानी
देश-विदेश से आ रहे दूल्हों की
करने निकला वह आगवानी….।