“माँ!! मुझे भारत में जन्म लेने में डर लग रहा है, क्योंकि अब भारत ‘हिंदू’ स्थान हो गया है.. अगर तुम हिंदू ना हुई तो? ऐसा नहीं हो सकता क्या, कि मैं हमेशा तुम्हारी कोख में रहूँ?? तुम्हारी कोख में मैं ज्यादा सुरक्षित हूँ” - एक अजन्मा शिशु
आज यह अचानक से क्या हो गया है, कि एक अजन्मा शिशु भी अपनी माता के धर्म पर सवाल उठा रहा है..बचपन से ही हम पढ़ते आ रहे हैं, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है ..
धर्मनिरपेक्ष मतलब सर्वधर्म सम्मान..
भारत के धर्मनिरपेक्ष होने पर हमें कभी शक भी नहीं था, पर जब देश का राजनीतिकरण हो गया और वर्तमान भाजपा सरकार सत्ता में आई तो अचानक से भारत के संविधान के अधिकांश अनुच्छेदों का धड़ल्ले से उल्लंघन होने लगा..
संविधान के “अनुच्छेद 25” में भी लिखा हुआ है — “लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य तथा इस वाक्य अर्थ उपबंधों के अधीन रहते हुए सभी व्यक्तियों को अंतकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने आचरण करने प्रचार करने का समान हक होगा..”
कहते भी हैं ‘अंधेर नगरी चौपट राजा, सवा टका भाजी सवा टका खाजा..’
अर्थार्थ, जैसा राजा, वैसी प्रजा.. अपने राजनीतिक प्रचार प्रसार के लिए किसी एक विशेष धर्म की ओर ध्यान दिया गया.. एक मदमस्त हाथी जब चलता है तो यह नहीं देखता की उसके चलने से कितने लोगों का नुकसान हो रहा है..
बचपन से ही हम पढ़ते आ रहे हैं, भारत के तिरंगे में तीन रंग होते हैं.. केसरिया, हरा और सफेद..
केसरिया शौर्य और वीरता का प्रतीक, सफेद शांति का प्रतीक और हरा हरियाली और भारत के कृषि प्रधान होने का..
दुष्प्रचार की अति यह कि अब यह व्याख्या किया जा रहा है कि भारत के तिरंगे का केसरिया रंग हिंदुत्व को प्रतीक है और हरा एक धर्म विशेष का..
उस पर से यह कहना या जबरदस्ती करना कि हिंदुस्तान में रहना है तो हिंदू बनना पड़ेगा. यह मेरे भारत देश की धर्मनिरपेक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, ब्राह्मणवाद और मनुवाद को बढ़ावा देता है.
ऐसे में दलित, आदिवासी और अन्य धर्म के लोग जैसे ईसाई और मुसलमान भयभीत व हिंदू ही धर्म के कमजोर समुदाय के लोग भयभीत नजर आ रहे हैं..
सत्ता के घमंड में चूर राजा और उनकी प्रजा के घमंड की अति का उदाहरण- “ प्रकृति का यह नियम है कि जो भी हरा है, उसे एक दिन भगवा होना ही होगा..”
उनको मैं यह भी बता देना चाहती हूं की प्रकृति का यह नियम है कि जो भी फल हरे से भगवा हुआ है, टूट कर गिरता ही है..
जो आया है उसको एक दिन जाना ही होगा..