1.कल से मैं आपके घर की मालिक,
आप मेरे नौकर रहना, हम payment देंगे..
2.आपके घर का विकास कर के दोतल्ला बनाएँगे..
उसपे किसी को paying guest रखेंगे.. 20,000 कमाई से 2000 आपको देंगे,
बदले में आप अपने घर का काम करना..
3.फिर भी कमाई कम होगी, तो तीसरा तल्ला बना के रेंट..
फिर ऊपर में टेलीकंपनी का टावर लगवा देंगे,
आवाज, और पब्लिक के आने से आपके privacy में खलल आएँगी,
तो क्या, हम 1000 और बढ़ा देंगे..
मूँ बंद.. विकास हो रहा है..
खुलासा
1.अनुसूचित क्षेत्रों में(राँची भी) जहाँ सरकार की एक inch जमीन नहीं,(समता जजमेंट) मालिक बन बैठी है..
2.नौकर आदिवासी(मालिक) को बनाया..
आदिवासी की जमीन में विकास के नाम पे अपने फायदे का काम कर रही.. नौकरी का कुछ पैसा देगी,
जैसे- 20,000 की अपनी कमाई, आपको 2000 देगी..
3.कंपनियों के आने से, बाहरी बसने से आदिवासी की रीति, रिवाज, परंपरा का खात्मा होता है, (राँची काॅलेज के दिकू नामकरण से भी)
तो क्या??
राजनीतिक चमचों और गाँव के सरकारी मुखिया के घर, कुकुर को हड्डी के रूप में पैसे देकर मूँ बंद करा दिया जाता है..
चुप्पपपपप!!
विकास_हो_रहा_है..
भ्रम
प्रश्न- राजनीती नहीं तो Tribal sub plan का पैसा नहीं मिलेगा ना??
उत्तर - गलत, राजनीति ना भी हो तो Tribal sub plan का पैसा सीधे पारंपरिक ग्राम सभा की होगी..
कोई बंदर बाँट नहीं.. ये भीख नहीं, सरकार मजबूर है हमें Tribal sub plan का fund देने के लिए..
कुछ_और_खुलासा
भूमि आदिवासी की, राजस्व आदिवासी जमीन से ही मिलता है..
राजस्व के चार भाग होते हैं..
1.पहला भाग judiciary कामों के लिए
2.दूसरा भाग आपातकाल के लिए
3.तीसरा भाग आदिवासी के लिए (Tribal sub plan)
4.चौथा भाग के रूप में जो बचा, वो budget बनता है..
अनुसूचित क्षेत्रों में विकास के नाम पे असंवैधानिक रूप से घुस के राज्य सरकार दोनों हाथ से लड्डू खाती है..
Tribal sub plan का पैसा भी, बजट का भी और भू राजस्व भी, tax भी, असंवैधानिक संरचना, होटेल, माॅल आदि से..
और इस विकास में 3rd, 4th grade की औकात तुम्हारी..
इससे ज्यादा qualified आदिवासी बनाए नहीं जाते ना..