झारखंड के आदिवासी मूलनिवासि हमेशा से संतोषप्रिय रहे हैं.अपने राजनैतिक सामाजिक सांस्कृतिक,शैक्षणिक आर्थिक और धार्मिक अधिकार के लिए कभी भी बहुत अधिक सजग नही रहे हैं. नतीजतन सी एनटी एसपीटी जैसे सशक्त कानून रहने के बावजूद धीरे— धीरे बिहारी साम्राज्यवाद के चंगुल मे फंसते गये. सीएनटी एसपीटी कानून चुहाड विद्रोह की परिणति थी. चुहाड विद्रोह से अंग्रेज आवाक थे. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि भूखे, नंगे लोग जिनके तन पर ढंग का कपड़ा नहीं,अनपढ़ गंवार जैसे लोगो मे आखिर कोन सी ऐसी प्रेरणाशक्ति है जिसके सहारे बंदूकधारी अंग्रेज सैनिक के साथ भिड़ने में कोई डर नहीं. काफी शोध के बाद उन लोगों ने महसूस किया कि झारखंड के मूलनिवासी भले ही आर्थिक हित के प्रति सजग न हो, पर सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक अतिक्रमण के प्रति काफी संवेदनशील हैं. झारखंड के मूलनिवासियो के इसी खासियत की सुरक्षा के लिए तथा भावि विद्रोह की संभावना को समाप्त करने के लिए ही सीएनटी — एसपीटी जैसे सशक्त कानून बनाये गये, ताकि झारखंडियो को सांस्कृतिक, सामाजिक तथा धार्मिक अतिक्रमण से सुरक्षित रखा जा सके. यह कानून झारखंड में बाहरी आबादी के अतिक्रमण को काफी मुश्किल बनाती है. यही वजह है कि सीएनटी एसपीटी कानून हमेशा से बाहरी आबादी की आंखों की किरकिरी बनी रही. संयुक्त बिहार में थोड़ा बहुत परिवर्तन किया गया था, पर मूल आत्मा से छेड़छाड़ करने की हिम्मत किसी ने नहीं की. पर झारखंड में संघ की संतान भाजपा को जैसे ही पूर्ण बहुमत मिला, बस वे बौरा गयी. विकास के नाम पर सीएनटी एसपीटी मे ऐसा बदलाव किया गया कि अब केवल इस कानून का खोल ही बचा है,आत्मा निकाल दी गई हैं. भाजपा ने महसूस कर लिया था कि झारखंड के तथाकथित भूमिपुत्र नेतृत्व, पद, पैसा और पावर के लिए झारखंडियो का हक अधिकार तो छोडिए, आपनी बहु बेटी की इज्जत तक को दाव में लगा सकते हैं. बस, इसी कमजोरी का फायदा भाजपा उठा लेना चाहती है, क्योंकि पता नहीं फिर ऐसी अनुकूल परिस्थिति झारखंड में भाजपा को मिले न मिले.
भाजपा यही रूकने वाली नही है. झरिया पुनर्वास योजना, ग्रेटर रांची जैसी योजना परीक्षण के तौर पर प्रारंभ की गई थी जो सफल ही नहीं, अति सफल हो रही है. आगे इसी तरह की और योजनाएं आने वाली है, जिसके सहारे सरकारी पैसे से भाजपा झारखंड में अपना वोट बैंक तैयार कर रही है. भाजपा अपने दम पर लगभग 20-25 विधानसभा सीट जीतने मे सक्षम हैं. उसे और 25 विधानसभा सीट पक्की करनी है. इसकी शुरुआत हो चुकी है. निरसा, सिन्दरी, बाघमारा टुन्डी, विधानसभा क्षेत्र मे लगभग 40-50 हजार की संख्या में क्वार्टर बनाया जा रहा है, जहां बिहार के अतिक्रमणकारियों को बसाया जा रहा है. ये योजना आगे भी जारी रहेगी. भाजपा जानती है झारखंडियो की असली ताकत उसकी जमीन है, इसलिए इतने विरोध के बावजूद सीएनटी— एसपीटी मे बदलाव पर आमादा हैं. सीएनटी एसपीटी को विकास विरोधी बताया जा रहा है. पर ये सच नही है. क्या सीएनटी मे वर्तमान परिवर्तन के पहले सड़क, कारखाने और डैम नही नही बने थे? वास्तव में भाजपा की मंशा काफी खतरनाक है. 2013मे अस्तित्व में आई नयी भू अधिग्रहण कानून (जिसे बदलने की कई असफल कोशिश भाजपा कर चुकी है) के अस्तित्व मे आने के बाद कृषि भूमि का अधिग्रहण काफी मुश्किल बताती जा रहीं था, इसलिए भूमि की प्रकृति मे बदलाव आवश्यक थी. जिसे भाजपा ने वर्तमान परिवर्तन से हाशिल कर लिया है.
चलिए भाजपा बाहरी लोगों की पार्टी है. वो झारखंड में अपना अस्तित्व बचाने के लिए झारखंड विरोधी काम कर सकती हैं, पर झारखंड और झारखंडियों का असली दुश्मन तो आजसू जैसी भस्मासूरी पार्टी है, जिसके बेवकूफ नेतृत्व ने निरलज्जता की सारी हदे पार कर दी है. हां, भाजपा,आजसू का जय जयकारा लगाने बाले झारखंडी बेशर्मों की भीड़ भी कम कशूरवार नही है. याद रखिए, यह अंतिम मौका है,अगर हमें अपना अस्तित्व बचाना है तो हमें कुछ न कुछ तो करना ही पडेगा. अन्यथा सर्वनाश तय है. मोमेन्टो झारखंड तो टेलर है, आगे— आगे देखिए, होता है क्या?