‘नेचुरल सेल्फी’ एक बहुत ही अच्छा प्रयास है लड़कियों को मेकअप और बाहरी सुंदरता के दबाव से बाहर निकालने का, और साथ ही यह बताने का कि हर कोई पूरी तरह से आज़ाद है कैसा भी दिखे. किसी के लिए बाहरी सुंदरता कुछ मैटर नही करती. क्योंकि, आजकल सबके लिए आंतरिक सुंदरता से ज्यादा बाहरी सुंदरता ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है. लेकिन जिस चीज की शुरुआत इन सारे दबाव से निकलने के लिए की गई थी कि हम क्यों किसी दूसरे के हिसाब से रहे या इस बात की चिंता करे कि कैसे दिख रहे हैं, वही बात सिम्पलीसिटी के नाम पर उन लोगों के विरोध में हो गया जो मेकअप में रहती हैं, किसी के दबाव में या किसी दूसरे को दिखाने के लिए नही,सिर्फ खुद के लिए.

एक तरफ तो कहा जा रहा है कि लोग इस दबाव से बाहर आये और नेचुरल रहे, लेकिन दूसरी ही तरफ अपनी खुद की आदतें बता कर इसे ही सिर्फ ठीक बताने में लगे हैं. इतने पोस्ट/ वीडियो में, जिसमे लोग बताते है कि “ मैंने आज तक मेकअप नही किया” या “ मेरी दादी कभी आईना नही देखती थी” यानि कि वो इतनी ज्यादा सिंपल रहती थी.

ठीक है तो ये सब उनकी खुद की मर्जी थी,बस. दबाव से बाहर निकलने की बात “ जरूरत” और “गैर जरूरत” जैसे शब्दों पर आ गई. जैसे, जो मेकअप कर रहे हैं, उनको बहुत जरूरत है इसीलिए कर रहे हैं, जबकि ऎसा बिल्कुल नहीं है. जैसे कुछ को बिना मेकअप रहना पसंद है, वैसे ही कुछ को मेकअप अच्छा लगता है.

बस, बार बार ये ही बात कि “ क्या जरूरत है इतना मेकअप करने की?’ तो उनके लिए सिर्फ ये है कि मेकअप करने या ब्यूटी टिप्स में अपना टाइम लगाने वाली लड़कियां आपकी या किसी और कि जरूरत के लिए नही सिर्फ और सिर्फ खुद के लिए ये सब करती है.

जिन्हें आईना देखना नही पसन्द तो ना देखे, पर दूसरों को भी नहीं पसन्द ऐसा तो जरूरी नहीं. इसमें सही गलत की तो कोई बात ही नहीं. और न ही इससे ये कह सकते हैं कि वो लड़कियाँ जो मेकअप के साथ हैं, वे असुरक्षित महसूस करती है अपनी सुंदरता को लेकर.

इसलिए जैसे जिसकी मर्जी वैसे रहने दीजिये. इस नेचुरल सेल्फी को सकारात्मक रूप में ले और सही उद्देश्य को समझे. अपनी तरह से जिसको जैसे लगता है वो खूबसूरत है,उसको लगने दें. इसलिए ना ही किसी के दवाब में आकर उसके हिसाब से दिखें और ना किसी दूसरे के लिए अपने शौक बदलें. जरूरत ना तो हमें मेकअप की है और ना ही ये सब छोड़ने की. ये तो हमारी अपनी मर्जी होनी चाहिए बस.

तो जब मर्जी आये खूब बाल कर्ल करो, खूब मेकअप और फैशन, लेकिन बस अपने हिसाब से और अपने लिए. आंतरिक सुंदरता ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसमें कोई संदेह नहीं और बाहरी सुंदरता के पीछे नहीं पड़ना चाहिए. लेकिन लोगो की बातों के हिसाब से अपने को मत बदलिए. ये सब तो रोज़ ही चलता रहता है.