कहाँ तो जब हमारे उत्तर प्रदेश में भाजपा प्रचण्ड बहुमत के साथ सत्ता में आई तो लोगो ने यह कहना शुरू कर दिया कि अब रामराज आ गया. लेकिन कितना रामराज है ये आये दिन होने वाली घटनायें बखूबी बयान करती है,चाहे वो महिलाओं के साथ होती उत्पीड़न की घटनायें हों, या अभी हाल में हुआ गोरखपुर कांड. जिस देश मे गाय तक के लिए एम्बुलेंस की बात होती है, वहां के अस्पतालों औऱ वहां मिलने वाली सुविधाओं से तो हमे बहुत ही ज्यादा उम्मीद होनी चाहिए. लेकिन असलियत क्या है, ये किसी भी सरकारी अस्पताल में घुसते ही पता चल जाता है. वहाँ मिलने वाली सुविधाएं कितनी पर्याप्त होती हैं, ये सबको बहुत अच्छे से पता है.
लेकिन जब इतनी मजबूत सरकार है हमारे प्रदेश में और जब रामराज आ ही गया है तो फिर ये इतने सारे बच्चो की मोतें क्यों? वो भी हमारे उस जगह पर जहाँ हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी पिछले 22 साल से सांसद भी रहे? इतने सालों में वे अपने क्षेत्र का यही विकास कर पाए? ऐसा विकास जहाँ बच्चे हॉस्पिटल में ऑक्सीजन के अभाव में मर जाते हैं? क्या हमारी सरकार इतनी भी समर्थ नहीं जो इन बेमौत मरते बच्चों को बचा पाए? अगर माननीय मुख्यमंत्री जी 22 साल में अपने संसदीय क्षेत्र का इतना विकास कर पाए कि जहाँ लोग ऑक्सीजन की कमी से मर जाते हैं या प्रधानमंत्री जी के स्वच्छता अभियान के बावजूद गंदगी इतना बड़ा कारण बनती है, तो हम बाकी जगहों से क्या उम्मीद रखें?
और इतने सारी मौतों के बावजूद बजाय अपनी गलती मानने के उन मौतों के कुछ और कारण ही गिनाए जा रहे है और दूसरों पर बात को टाला जा रहा है. नेता जी कभी गंदगी को वजह बताते हैं,तो कभी अगस्त महीने को. जब सरकार अपनी गलती मानने को ही तैयार नहीं तो फिर वो आगे कुछ सुधार करेगी, कैसे उम्मीद की जा सकती है?
कॉलेज प्रशासन,वहां के डॉक्टर या और स्टाफ़ उन सबकी जिम्मेदारी है कि वो जिस काम के लिए हैं, उसको पूरी ईमानदारी से करें. पर वे सब इतने लापरवाह और गैर जिम्मेदार क्यों हैं? वो भी तब जब माननीय मुख्यमंत्री जी वहाँ घटना के दो दिन पहले दौरा करके गए होते हैं और ये इनका संसदीय क्षेत्र भी है. क्या वे सरकार से बिल्कुल नही डरते? लोग इतनी लापरवाही से काम करते रहे और उन्हें बिल्कुल डर नही लगा माननीय मुख्यमंत्री जी से, ऐसा क्यों? अगर डॉक्टर कफील जैसे लोग इतने भ्रस्ट थे तो उनको पहले ही हटा देना चाहिए था ना, तब उनके ख़िलाफ़ क्यों नही कार्यवाही की गई?
इतना बड़ा कांड कर लेते है लोग उन्ही के संसदीय क्षेत्र में वो भी बिना किसी भय के और लोगो को आप रामराज के वादे करते हैं. ये क्या सुधारेंगे पूरे प्रदेश को, जब न ही तो इन्हें कोई गलती लगती है अपनी नाकामी की और ना ही इनकी अपनी कोई जवाबदेही है. इस सरकार के लिए तो इतने बड़े कांड के बाद भी गौरक्षा और वंदेमातरम एक अहम मुद्दा है.
जब तक सरकार अपनी इन सब चोंचलेबाजी से अलग हट कर लोगो की बुनियादी समस्याओं को सुलझाने का नहीं सोचती है, तब तक प्रदेश के सुधार की उम्मीद नही की जा सकती. प्रदेश एक जिम्मेदार और संवेदनशील सरकार से ठीक चलता है. योगियों का सत्ता में क्या काम?