दुर्गा पूजा, हमारे देश मे मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व, जिसमे नौ दिन तक देवी की पूजा करते हैं. उनकी महिमा का गुणगान करते हैं. और इस पर्व का समापन सब कन्याओं को भोजन खिला कर करते हैं, क्योंकि हमारे देश मे लड़कियों को देवी का रूप कहा जाता है.
लेकिन हमारे देश मे विरोधाभासी बातें बहुत चलती हैं. एक ओर तो लोग जहाँ नारी को देवी का रूप कहते हैं, वहीं दूसरी और उनपर होने वाले अत्याचारों की लिस्ट भी छोटी नहीं. चाहे वो कोई भी वर्ग की महिला हो, किसी भी समुदाय की, लोग देवी के समान तो बताएंगे महिला को लेकिन असल जिंदगी में उनका व्यवहार अपने घर,समाज या आसपास रहने वाली महिलाओं के लिए कैसा है, ये वो ख़ूब अच्छे से जानते हैं. बाकी दिनों की बात तो छोड़िए, नवरात्रे तक मे वो शिकार होती हैं इन पुरुषों की, जो उनके देवी होने की बात कहते हैं. क्या कुछ बदल जाता है इन नवरात्रों में? क्या लड़कियाँ इन दिनों, ये सोचकर कि अभी तो नवरात्रे हैं और वे इस पुरुषप्रधान समाज मे भी बिल्कुल सुरक्षित है, कहीं भी अकेले जाने के लिए स्वतंत्र हैं? नहीं ना. क्योंकि ये सब सिर्फ कहने के लिए ही है. लोगों के लिए कहना आसान है, पर करना बहुत मुश्किल.
हमारे देश मे बहुत कुछ बदला है, लेकिन सोच अब भी वही है ज्यादातर की. ना ही भ्रूणहत्या रुकी, ना दहेज प्रथा. रेप पहले से ज्यादा होते हैं, फिर चाहे वो बलपूर्वक हो या छल से. घरेलू हिंसा का शिकार महिलायें आज भी हैं. और ये सब होता है हर वर्ग मे, चाहे महिलाएं कितनी भी शिक्षित हों या अशिक्षित,चाहे आत्मनिर्भर हों या नहीं. और ये सब करने वाले हमारे इस सभ्य समाज के बेहद ही सभ्य लोग भी हैं, जो दुनिया की नज़र में कुछ और हैं, लेकिन असल जिंदगी में कुछ और.
और इतनी पूजा पाठ करने वाला देश, जहाँ पूजा करते हैं नारी की, वो भी मौके की तलाश में रहते हैं.और उसके बाद भी बड़ी शान से कहते हैं कि हमारे देश मे तो नारी को देवी की तरह पूजा जाता है. ये सब करते हैं देवी के साथ भी?
अभी तो समय आ गया है कि लोग ये देवी मानने का नाटक बन्द करें, बहुत देख चुके हैं सब लोगो के संस्कार और उनके झूठे ढकोसले. बहुत तो आप मान चुके नारी को देवी और बहुत ही बन चुके आप खुद संस्कारी. महिलाओ को आप सामान्य ही रहने दें, उतना ही समझें यही बहुत है. क्योंकि, इससे ज्यादा आपके वश में नहीं और ना आपसे हो पाएगा.
और साथ ही साथ महिलाओ को भी चाहिए कि वो अपने भी सोच से निकलें. ये देवी के नाम पर त्याग की मूर्ति बनने से कुछ नही होने वाला. सामान्य मुनष्य ही बनियेऔर उसकी गरिमा की रक्षा के लिए लड़िये.