जिस देश में आये दिन महिलाओं के शोषण के आरोप में एक संत पकड़ा जाता है, वहां कोई महिला किसी व्यक्ति पर आरोप लगाये, तो हम उनके प्रोफेशन के हिसाब से आंकते हैं कि कौन झूठा और कौन सच्चा! कोई व्यक्ति किस पेशे से जुड़ा है, क्या इससे उसका चरित्र तय होगा? कैसे हम किसी व्यक्ति के चरित्र की गारंटी उसके प्रोफेशन के हिसाब से दे सकते हैं? कैसे ये उम्मीद की जा सकती है कि किसी एक विभाग, क्षेत्र या संस्थान से सम्बद्ध लोग तो यौन शोषण कर ही नहीं सकते या वे सब एकदम सदाचारी पुरुष ही होंगे! जबकि हम देख रहे हैं कि धर्म, संस्कार, पाप-पुण्य की बात करने वाले लोग तक ऐसे ही आरोप में अभी जेल में हैं।
जाहिर है, किसी भी जगह सारे लोग एक से नहीं होते. ना तो सब बुरे और ना ही सब अच्छे, ये बात सब मानते हैं। लेकिन कुछ दिन पहले अभिनेत्री विद्या बालन के इस बयान से कि एक आर्मी मैन उसको घूर रहा था, बहुतेरे लोगों की देशभक्ति जाग गयी और वे उस आरोपी के ही पक्ष में बोलने लगे, सिर्फ इसलिए कि वो एक आर्मी मैन है! इसका मतलब यह कि कोई भी महिला अपने साथ हुए अभद्र व्यवहार का विरोध करने, उसे सार्वजनिक रूप से कहने के पहले उस पुरुष का प्रोफेशन भी जान ले! यानी कोई महिला किसी फौजी पर आरोप लगाटी है, तो वह गलती कर रही है! या शायद हम यह मानते हैं कि चूंकि हमारी सेना की वजह से हम सब सुरक्षित है, इसलिए उनकी गलतियों को नज़रंदाज़ किया जाना चाहिए! अजीब बात है! ऐसे तो किसी पर भी इस तरह का आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए, क्योंकि सभी तो देश के लिए काम करते हैं. नेता, डॉक्टर, टीचर, इंजीनियर कोई भी हो, तो सब देश की सेवा ही तो करते हैं।
अपराधी का कोई प्रोफेशन नहीं होता, वो सिर्फ एक अपराधी होता है। वह किस प्रोफेशन से जुड़ा है, यह बाद की बात है, पहले तो वह सिर्फ आदमी होता है। इस घटना के बाद हर जगह जिस तरह विद्या बालन का विरोध किया गया, उससे हमारे समाज की मानसिकता एक बार फिर उजागर हो गयी, कि एक महिला के प्रति हम कितने संवेदनशील हैं, कि कोई महिला अपनी चुप्पी तोड़े, तो उसको क्या क्या झेलना होगा। जब विद्या बालन जैसी स्थापित्त कलाकार के लिए ऐसा रिस्पांस है, तो कोई सामान्य लड़की अपने साथ हुई अभद्रता का विर्प्ध करने की हिम्मत कैसे कर सकती है, क्योंकि लोग तो उस पर ही इल्ज़ाम लगाएंगे। उसकी ही गलती गिनाने लग जाएंगे। जैसे अभी इस केस में लोग विद्या बालन की वो तसवीरें निकाल लाये, जो उसकी शायद किसी पुरानी मूवी की है, और उससे उसका चरित्र निर्धारित करने लगे! इसी क्रम में सेना की वर्दी पहने एक आदमी का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वो अनाप शनाप बातें करता है. वो सेना के सपोर्ट में बोलने आया और खुद ही बेइजती करा रहा है अपनी सोच बता कर। वो आदमी एक ऐक्ट्रेस का चरित्र उसके फिल्मी किरदारों से तय कर रहा है, और बाकी लोग इसकी तारीफ भी करने में लगे हैं। कमाल यह कि कुछ लोगों के हिसाब से ये ‘मुहँतोड़ जवाब’ है विद्या बालन के लिए; और लोग अंधाधुंध इसको शेयर करने लगे। इस वीडियो से तो एक और सैनिक आकर ये प्रूफ करने में लग गया कि कितनी इज़्ज़त करते है वो किसी महिला की। वो सैनिक बोल रहा है कि ‘बिना पैसे दिये घूर लिया इसलिए विद्या बालन भड़क रही है’, इसको कहते हैं मुंहतोड़ जवाब? मुँहतोड़ जवाब तो तब होता ना जब कोई ये सिद्ध कर देता कि उनके डिपार्टमेंट में कोई आदमी भी ऐसा नहीं, कोई ऐसा नही कर सकता या आज तक विद्या के अलावा किसी ने ऐसा आरोप लगाया ही नहीं. लेकिन ये उस आदमी को भी पता है और बाकी सबको भी कि ये नामुमकिन है, क्योंकि जब संत के रूप में बैठे सब मोह माया से दूर लोगों का आचरण भी संटन जैसा नहीं, तो किसी और से क्या उम्मीद की जा सकती है।
तो ये विद्या बालन पर भड़कने वाले मान कर चलते हैं कि सेना में है तो जेंटलमैन ही होगा! मगर देशभक्ति की आड़ में किसी अभद्र और बदतमीज को हीरो नहीं बनाया जा सकता है। जो आदमी सेना की वर्दी में होते हुए भी भूल गया कि उसको कैसा व्यवहार करना चाहिए नागरिकों, खास कर एक महिला के साथ, मेरी राय में तो वह सेना के लायक ही नहीं है. सेना तो देश की सुरक्षा के लिए ही है, इसके लिए उन्हें तनख्वाह मिलती है, ना कि देश की महिलाओं को घूरने के लिए. विद्या बालन को भला बुरा कहनेवालों को समझना चाहिए कि विद्या बालन या किसी के ऐसा आरोप लगाने से पूरी सेना बदनाम नहीं होती है, सेना पर कोई इल्जाम भी नहीं है. हां, वे सेना के एक अभद्र जवान का बचाव करके ऐसे लोगों का मनोबल बढ़ाते है, जो सेना के भी हित में नहीं है. ऐसे लोग फिर और फिर ऐसी हरकत करेंगे, जिससे सेना ही बदनाम होगी।