दोस्तों आज बहुत ही हताश हूँ बहुत ही बेचैनी और व्यस्तता की हालत में हूँ ना चाहते हुए भी आज का लेख लिखने का फैसला लिया है. पिछले दिनो राजस्थान उदयपुर के राजसमंद में जो कुछ घटना हुई आप और हम बहुत ही अच्छी तरह जानते हैं. एक मजदूर को सिर्फ इस लिये मौत के मुह में धकेल दिया गया कि वो मुसलमान था. उसका नाम मुहम्मद अफराजुल था. उस पर ‘लव ज़िहाद’ का आरोप लगा कर मार दिया गया. उस अधेड़ व्यक्ति का व्यक्तित्व ना सिर्फ तार-तार हुआ बल्कि उसको अपने प्राणो की आहुति भी देनी पड़ी. हम सब बहुत ही सादगी से इस घटना का एक नाटकीय रुप में आनन्द ले रहें हैं, कभी समाचार पत्र के माध्यम से तो कभी टी वी चेनल के माध्यम से इस घटना की जानकारी से सहमत होकर अपने ह्रदय, मन-मस्तिष्क को शांत करके बैठ जाते हैं.
क्या कभी आपके मन में ये सवाल उठा कि वो व्यक्ति भी अपने परिवार की ज़िम्मेदारी का बोझ उठा रहा होगा? वो अपने परिवार का मजबूत स्तम्भ होगा? अब इस दशा में उस व्यक्ति के घर-परिवार की क्या स्तिथि होगी? कैसे अपने पति को पुकारती होगी उसकी महिला? कैसे उसके बच्चे अपने अब्बा को याद कर रहे होंगे?
हाँ… बच्चो को तो मालूम था कि अब्बा जब भी घर आते हैं बहुत सारा सामान लाते हैं लेकिन ये क्या अबकी बार अब्बा बिल्कुल खाली हाथ थे!
अब्बा तो बहुत सारा सामान लाने के बजाये बहुत सारे सामना में लिपट कर आये थे, अब्बा ऐसे तो नही थे वो जब-जब आते हमसे खूब बाते करते हंसते- हंसाते लेकिन आज अब्बा तो बोलते ही नही,
शायद अब्बा नाराज़ थे..
अब्बा अब हम नये कपड़ो की ख़्वाहिश नही करेंगे,
अब्बा अब तो कुछ बोलो..
आपको परेशान भी नही करेंगे..
आपको घोड़ा बना कर सवारी भी नही करेंगे,
आपके आने पर अम्मा हमारी शिकायतों का पिटारा खोल देती थी,लेकिन आपकी नाराजगी कुछ समय तक होती थी.
आपको हम महज़ चन्द बातों में ही मना लेते..
अब मान भी जाओ अब्बा..
अब्बा.. अब्बा……अब्बाअअअअअअअअअअअआआआ…
अच्छा तो अब स्कूल जाने में नौटंकी नही करेंगे..
अम्मा को भी नही सतायेगें..
लेकिन आज अब्बा को ज़िंदगी भर के लिये सुला दिया गया था
आज अब्बा के मुँह पर पूर्ण विराम लग गया था..
अब अम्मा ही बोल रही थी..
अम्मा ही अब्बा से गुफ्तगू कर रही थी लेकिन अब्बा हैं
मैं सिर्फ इस बात का विरोध नही करता कि वो एक मुस्लिम था और लव ज़िहाद के आरोप में मारा गया, मैं इस बात का भी विरोध करता हूँ कि एक व्यक्ति को मार दिया गया और देश की जनता आरोपी के पक्ष में सड़को पर उतर आई!
मैं समझता हूँ इस सच्चाई पर कोई तर्क करने की आवश्यकता ही नही है क्योंकि आरोपी ने खुद इस घटना को अंजाम देते वक्त की वीडियोग्राफी की और सोशल मीडिया के द्वारा वीडियो को पोस्ट करके देश के मुस्लिम समाज को धमकाया भी है
इस घटना पर कानून के मुँह पर चुप्पी के सिवा कुछ नही.
कानून इस मामले को जाँच के मुँह में धकेल रहा है.
आज देश के प्रधानमंत्री जी के बयान कहाँ है?…
जब देश में मुस्लिम महिलाओं के हक की बात आती है तो देश के प्रधानमंत्री हलक फाड़-फाड़ कर बयान देते हैं
आज इस घटना का वीडियो लाइव देख कर भी मंत्री महोदय को साँप सूँघ गया!
देश में हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर राजनीतिक रोटियाँ सिक रही हैं और उसका इंधन सिर्फ गरीब आवाम है
अरे ज़ालिमो क्यों देश को धर्म के नाम पर बाट रहे हो क्यों हिंदुत्व और मुस्लिम का ज़हर इस मासूम फिज़ा में घोल रहे हो? ये देश किसी के बाप की जागीर नही बल्कि हर हिंदुस्तानी का हक है
मैं आप सभी से सादर अनुरोध करता हूँ कि यदि ये घटना आपके संज्ञान में है तो आप इस घटना का विरोध किसी भी माध्यम से जताओ और आरोपी पर सख्त कारवाई करने की मांग करो लेकिन याद रहे कि कानून की सीमा पार ना हो जाये!
समय का अभाव..
जुनैद की कलम से..