लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को सरकार से ढेरों उम्मीदें होती हैं. आम नागरिक की अपेक्षा होती है कि सरकार अपने विजन के तहत आगे बढ़ेगी और देश में खुशहाली और तरक्की के नए आयाम स्थापित होंगे. यह सब तभी संभव होगा, जब राजनीति साफ-सुथरी होगी, क्योंकि देश की कमान राजनीतिज्ञों के हाथों में ही होती है. देश को किस दिशा में कैसे ले जाना है, इसका पूरा खाका सियासी दलों के पास होना चाहिए. लेकिन अपने देश में जिस तरह की राजनीति का चेहरा सामने आ रहा है, वह जनमानस के उम्मीदों पर पानी फेरता नजर आ रहा है. क्योंकि, जब भी कोई चुनाव होता है तो अधिकांश तो यही देखने और सुनने को मिलता है कि किसी दल के पास कोई अपना विजन नहीं है. सब के सब अंधेरे में तीर चला रहे हैं. उन्हें केवल और केवल वोट चाहिए, ताकि उनकी अपनी सरकार बने और वह सत्ता सुख भोग सके.

पिछले कुछ सालों में हुए चुनाव में जिस तरह के बेतुके बयान आए हैं, उनमें छुपे संकेत कुछ इसी तरह के दिखाई दे रहे हैं. नेताओं के बयानों में अभद्रता तो झलक ही रही है, साथ ही साथ दिशाहीनता भी दिखाई दे रही है. कई नेता ऐसे रहे हैं जिन्होंने कभी महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए हैं, तो कभी सांप्रदायिक जहर फैला कर अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश की है. उन्हें लगता है कि जितने बेतुके बयान देंगे, उतना उन्हें फायदा होगा. जबकि हकीकत यह है कि देश के नागरिक को इन सब बातों से कोई लेना देना नहीं है. उन्हें रोजगार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं चाहिए, जिस पर किसी का कोई ध्यान नहीं है. कोई धर्म को टारगेट करता है, तो कोई एक सवाल पूछ कर स्त्री की इतिश्री कर देता है. तो कोई जुमलों के सहारे ही पासा पलटने की कोशिश करता है. आखिर यह सब देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं, इनका अपना वजन क्या है? जब बिना किसी विजन के चुनाव होंगे तो निश्चित है कि देश शर्मिंदा होगा ही.

आज ऐसे ही तमाम पहलुओं को लेकर हम यहां कुछ लोगों की बयानबाजी को समझने की कोशिश कर रहे हैं.

नरेश अग्रवाल : यूपी में रेप की बढ़ती वारदातों पर सपा नेता नरेश अग्रवाल ने बेतुका बयान दे डाला. उन्होंने रेप की घटना पर पीड़िता को ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आज किसी के घर का जानवर भी कोई जबरदस्ती नहीं ले जाता है.

अग्रवाल अकेले नहीं हैं ऐसे बेतुके बयान देने वाले नेताओं की लिस्ट लंबी है. छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष पद पर होते हुए विवा राव का कहना था कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे क्राइम के लिए खुद भी जिम्मेदार हैं. राव ने कहा कि महिलाएं वेस्टर्न कल्चर को अपना कर पुरुषों को गलत संदेश दे रही हैं. उनके कपड़े उनके व्यवहार से पुरुषों को गलत सिग्नल मिलते हैं.

मोहन भागवत ने एक सवाल के जवाब में पश्चिमी जीवन शैली की चर्चा करते हुए कहा था कि रेप की घटनाएं गांव के मुकाबले शहरों में ज्यादा होती हैं. उन्होंने कहा कि सभी तरह के अपराधों की शिकायतें उन इलाकों से ज्यादा आती है, जहां लोग पश्चिमी सभ्यता से ज्यादा प्रभावित हैं.

शरद यादव : महिला आरक्षण विधायक जब पहली बार संसद में रखा गया था, तब जेडीयू के तत्कालीन अध्यक्ष शरद यादव ने कहा था कि विधेयक के जरिए क्या आप पर—कटी महिलाओं को सदन में लाना चाहते हैं? उनके बयान पर महिला संगठनों ने कड़ा विरोध जताया था और आखिरकार शरद यादव को माफी मांगने पर मजबूर होना पड़ा था.

अभिजीत मुखर्जी, जो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे और जंगीपुर के कांग्रेस के सांसद हैं, ने गैंगरेप के खिलाफ दिल्ली में चल रहे है विरोध प्रदर्शन पर विवादित बयान दिए. उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर कैंडल मार्च करने का फैशन चल पड़ा है. अभिजीत ने कहा कि लड़कियां ऐसे मुद्दों पर कैंडल मार्च निकालती हैं और रात को डिस्को में जाती हैं.

मुलायम सिंह यादव: लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव ने विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा कि रेप में फांसी की सजा सही नहीं है.

ममता बनर्जी: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आजादी को को रेप की वजह बताया था. उन्होंने कहा था कि लड़के, लड़कियों को माता पिता द्वारा दी गई आजादी से ही बलात्कार जैसी घटनाएं हो रही है.