किसी भी देश के लिए रोजगार का सवाल काफी महत्वपूर्ण होता है। खासकर भारत जैसे विशाल ग्रामीण आबादी वाले देश में इस सवाल पर ध्यान देना जरूरी है। हमारे देश में 91 प्रतिशत लोगों को असंगठित क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है और शेष 9 प्रतिशत को संगठित क्षेत्र में। पिछले 20 साल में इस विभाजन में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, यानी रोजगार की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है। हालांकि इन 20 सालों में औसतन सालाना वृद्धि 5.6 प्रतिशत की रही है। इसी तरह कुल रोजगार की संख्या भी नहीं बढ़ी है। 2013-14 में कुल रोजगार 48.38 करोड़ थे, जो 2015-16 में घटकर 48.27 करोड़ हो गये, यानी 2 साल में 11 लाख की कमी आई। इसके आगे के आकंड़े मोदी सरकार ने जारी नहीं किया है।
वर्ल्ड बैंक के एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत का विकास रोजगार विहीन है और यह स्थिति तब बदलेगी जब सरकार हर साल कम से कम 81 लाख लोगों के लिए नौकरियां मुहैय्या कराएगी। आईएलओ ने अपने 2018 के रिपोर्ट में आकलन किया है कि भारत में 2018 में बेरोजगारों की संख्या बढ़कर 1 करोड़ 86 लाख हो जायेगी जो कि 2017 में 1 करोड़ 83 लाख थी। खासकर, कृषि एवं उससे संबद्ध क्षेत्रों में काफी संख्या में लोग बेरोजगार हुये हैं। 2004-05 से लेकर अबतक करीब 5 करोड़ 50 लाख लोग खेती-किसानी और उससे जुड़े कामों से बाहर आ गए हैं, जिनमें से करीब एक करोड़ लोगों को किसी क्षेत्र में रोजगार नहीं मिला। भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने रोजगार के बारे में अपने छठे एवं सातवें सर्वे की रिपोर्टें जारी की हैं। पहली रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-जून 2017 की अवधि में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 64000 रोजगार बढे, जबकि विनिर्माण एवं ट्रांसपोर्ट में क्रमशः 77000 एवं 3000 रोजगार कम हुए। दूसरी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई-सितम्बर 2017 में 7 कोर क्षेत्रों में कुल 1,58,000 रोजगार बढे, जबकि निर्माण क्षेत्र में 22, 000 रोजगार कम हुए। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 2012 में जो बेरोजगारी दर 3.8 प्रतिशत थी, वह 2016 में बढ़कर 5 प्रतिशत हो गई। ब्लूमबर्ग की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक तो भारत की बेरोजगारी दर 8 प्रतिशत तक पहुंच गई है जो एशिया में सर्वाधिक है। हमारे देश में रोजगार एवं बेरोजगारी के उपर्युक्त आकंड़े काफी हद तक स्थिति की गंभीरता का एहसास करा देते हैं। इसलिए आज ‘सभी कार्यसक्षम लोगों को काम दो’ की मांग को असरदार तरीके से उठाना सभी जनपक्षीय ताकतों का फौरी दायित्व बन जाता है।