18 फरवरी 2019 को पटना के गांधी मैदान में एक अलग खास तरह का जुटान देखने को मिला। भूमिअधिकार के सवाल पर तय समय पर ठीक 11 बजे तिरंगा झंडा लिए पश्चिम चम्पारण से चले पड़यात्रिओं का जत्था मैदान में पहुंचा। इनके स्वागत में बिहार के लगभग 1000 गावों के 10000 किसान मजदूर पहले से बैठे थे। गांधी मैदान में आते ही इन्होने पदयात्रियों का माला पहना कर गर्मजोशी से स्वागत किया। यह जत्था खेत मजदूरों एवं किसानो का था जो भूमि अधिकार के लिए पटना पहुंचे थे।

गांधी मैदान में बासगीत की जमीन एवं वनाधिकार कानून को लागू कराने के लिए पटना में छोटे किसान जुटे थे। इसका आयोजन जन मुक्ति संघर्ष वाहिनी ,एकता परिषद ,,दलित अधिकार मंच ,लोक समिति ,लोक मंच ,असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन ,मजदूर किसान समिति , लोक परिषद ,शहरी गरीब विकास संगठन ,मुसहर विकास मंच ,भूमि सत्याग्रह अभियान ,कोशी नव निर्माण मंच एवं लोक संघर्ष समितिअदि ने संयुक्त रूप से किया था। यह पहला मौका है कि इतने संगठन ने परिस्थितियों को गंभीरता को समझा और भूमि के प्रश्न पर एक जुट हुए। सभा का प्रारम्भ गीत से हुआ। उसके बाद कश्मीर के पुलवामा में सी आर पी ऍफ़ के शहीद जवानों के प्रति शोक संवेदना हेतु मौन रखा गया।

सभा में आयोजक संगठन के प्रतिनिधियों अलावा के झारखण्ड मध्यप्रदेश कर्णाटक उत्तरप्रदेश तथा चम्पारण दखल देहनी आंदोलन के प्रतिनिधियों आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। वक्ताओं ने देश में आये लोकतंत्र के संकट की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज भारत का आम आदमी हासिये पर आ खड़ा हुआ है। अंतिम जन को वर्तमान शासन में कहीं जगह नहीं दी जा रही। संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार देता है। पर आज तो संविधान की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है। शासन की प्राथमिकताओं में आज आम आदमी नहीं है। बड़े लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। शहर बढ़ता जा रहा है लेकिन आम गरीब आदमी के पास रहने के लिए जगह नहीं है। स्ट्रीट वेंडर ,होमलेस की समस्या जैसे के तैसे है। गरीब के पक्छ में न्यायलय का फैसला भी आता है तो वर्तमान सरकार के पदाधिकारी उसे लागू नहीं करते। जमीन का परचा मिलता है तो दखल देहनी नहीं मिलती। दाखिल ख़ारिज भी समय पर नहीं होता। सरकार को चाहिए कि प्रत्येक परिवार को 10 दिशमिल जमीन एवं रोजगार स्थानीय रूप से दे। हम अपना अधिकार लेने आये हैं भीख मांगने नहीं आये हैं। नितीश के पंद्रह वर्ष के शासन के पश्चात हम चुनाव के पूर्व चेतावनी देने आये हैं कि ऐसी ही निति चलती रही तो हम इन्हे वोट नहीं देंगे। लोगों ने किसानो को बासगीत का अधिकार के अलावा यह कहा कि पेंशन या कर्ज माफ़ी किसान समस्या का हल नहीं है खेती में लाभकारी मूल्य एवं खेती के संसाधन मुहैया करा कर किसानो को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। ।सभा में यह भी मांग आयी कि यदि भूमिअधिकार सरकार नहीं देती है , बंगो उपाध्याय की रिपोर्ट नहीं लागू की जाती है तो जनता इस सवाल पर भूमि जन आयोग का गठन करे । सरकार द्वारा भूमि बैंक में प्राथमिकता बड़े लोगों की है ,वह जमींदार की भूमिका मी आ रही है। वक्ताओं ने कहा गांधी कि 150 वी जयंती मनाई जा रही है पर गांधी ने चम्पारण में किसानो को अपना भगवन माना था वह किसी सत्ता की राजनीत करने वालों को याद नहीं। वक्ताओं ने बार बार गांधी जयप्रकाश एवं अम्बेडकर को याद करते हुए कहा “कमाने वाला खायेगा ,लूटने वाला जायेगा नया ज़माना आएगा। सभा की अध्यक्छ्ता एकता परिषद् के प्रदीप प्रियदर्शी ने किया संचालन जनमुक्ति वाहिनी के चक्रवर्ती अशोक प्रिय दर्शी ने की। सभा में मुख्या वक्ताओं में ज्ञानवती देवी ,कनक ,रुपेश ,माधव पाटिल ,महेंद्र यादव ,गिरिजा सतीश र ,,गणेश आज़ाद ,ज्ञानेंद्र ,पी बी राज गोपाल ,शिवानंद तिवारी ,,अमर राम, कपिलेश्वर राम ,कैलाश भारती ,नेकी राम ,प्रभाकर आदि थे। सीपीआई माले ने इस जन जुटाव का समर्थन किया। इसके अलावा मंच पर कंचन एवं रघुपति ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।