मेरी चिंता यह है कि पता नहीं अपने अराध्य देव राम और सीता को जनकपूरी के वन में विवाह के पूर्व एक दूसरे को अपलक नयनों से निहारते देख बजरंगी क्या करते? राम चरित मानस में राम सीता के इस विवाह पूर्व मिलन का बड़ा ही अभिराम दृश्य प्रस्तुत किया गया है.

बजरंगियों के एक दल ने वेलेंटाईन डे के दिन मोरहाबादी स्थित आक्सीजन पार्क में एक आदिवासी युवा जोड़े को पकड़ कर अपमानित किया और युवक को पकड़ कर मजबूर किया कि वह युवति के मांग में सिंदूर भर कर यह प्रमाणित करे कि वह उसकी पत्नी है. वर्तमान में झारखं डमें झारखंडियों का राज है, यह रांची शहर उनका है और यहां बजरंगी यह साहस कैसे कर सके और आदिवासी समाज ने यह कैसे झेल लिया, यह तो एक अलग सवाल है, मेरी चिंता यह है कि पता नहीं अपने अराध्य देव राम और सीता को जनकपूरी के वन में विवाह के पूर्व एक दूसरे को अपलक नयनों से निहारते देख पता नहीं बजरंगी क्या करते? राम चरित मानस में राम सीता के इस विवाह पूर्व मिलन का बड़ा ही अभिराम दृश्य प्रस्तुत किया गया है. दिक्कत यह है कि बजरंगियों या संघ परिवार से जुड़े अधिकतर युवकों को पढ़ने लिखने से कुछ खास मतलब नहीं रहा है. आरएसएस की शाखाओं में उन्हें बस जहरीली सांप्रदायिक शिक्षा और लाठी चलाने का प्रशिक्षण ही मिलता है. उनकी कुंठा यह भी है कि सामान्यतः हिंदू समाज सेक्स को लेकर बहुत सारी वर्जनाओं का शिकार है और वे स्त्री-पुरुष सहज प्रेम को स्वीकार कर ही नहीं पाते.

खैर, हम आपको जनकपुरी की वह वाटिका में ले चलते हैं, जहां सदियों पूर्व राम और सीता विवाह के कुछ रोज पहले मिले थे. श्री राम भाई लखन के साथ सुबह-सुबह जनकपुरी की वाटिका में भ्रमण करने पहुंचे थे और वहीं सीता जी भी सखियों के साथ मंदिर में पूजा करने. अब राम ने जब सीता को देखा तो उनका क्या हाल हुआ उसे यहां सरल हिंदी में रख रहा हूं, वैसे रामयाण तो अवधी में है और छंद बद्ध है.

‘‘ सीताजी हाथ में कड़े, करधनी और पायल पहने थी और उनके चलने से ध्वनि हो रही थी. उस ध्वनि को सुन कर राम हृदय में विचार कर लक्ष्मण से कहते हैं - यह ध्वनि तो ऐसी लग रही है मानो कामदेव ने विश्व को जीतने का संकल्प करके डंके पर चोट मारी हो. ऐसा कह कर राम ने फिर उस ओर देखा सीता के चंद्रमा जैसे मुख के लिए उनकी आंखें चकोर बन गये. सीताजी की सुदरता को देख कर उनका हाल यह हुआ कि वे हृदय में तो उनकी सराहना करते हैं, लेकिन मुख से कोई वचन नहीं निकल रहा.

फिर वे लक्ष्मण से बोले - यह वही जनक जी की सुपुत्री है जिसके लिए धनुष यज्ञ हो रहा है. इसकी अलौकि सुंदरता देख कर स्वभाव से ही मेरा पवित्र मन क्षब्ध हो उठा है. मेरे दाहिने अंग फड़क रहे हैं. आदि-आदि- अब सीता जी का हाल देखिये, क्या होता है. राम को सीता ने लताओ की ओट से देखा. उनके रूप को देख कर उनके नेत्र चकित हो गये. उन्होंने गिरना छोड़ दिया. अधिक प्रेम के कारण शरीर विह्वल हो उठा. ’’

युवा प्रेम का यह अत्यंत वस्तुपरक वर्णन है. मनोहारी भी है. और तुलसीदास ने उसकी सहज अभिव्यक्ति भी की है. अब कल्पना करें कि उसी वक्त मोरल पुलिसिंग करने वाले बजरंगियों का एक दल जनकपुरी के उस उद्यान में पहुंचता है. राम और सीता को इस प्रकार एक दूसरे को निहारते और प्रेमाशक्त होते देखता है. उसके बाद की आप जरा कल्पना करें. वे राम और सीता को पकड़ लेते हैं. उनसे पूछते हैं - यह सब क्या हो रहा है? क्या यह तुम्हारी पत्नी है. जाहिर है राम तो झूठ नहीं बोलते, कहते- नहीं. अभी पत्नी बनी नहीं है. तब शायद बजरंगी वहीं दबाव बनाते कि सीता की मांग में सिंदूर भरो. राम शायद यही करते और बगैर स्वयंबर और धनुष तोड़े राम का सीता से वहीं विवाह वे करा देते.

लेकिन शायद यह भी होता कि राम जो परम वीर थे, वे बजरंगियों की खूब कुटाई करते.