पांच बातें ध्रुव जानिए :
(1) चीन एक आक्रामक, साम्राज्यवादी शक्ति है। उसकी सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा उसके आत्मकेन्द्रित जीवन दर्शन और इतिहास में है।
(2) लगी हुई सीमाओं के कारण चीन भारत का चिरंतन शत्रु रहेगा। इस स्थिति में अगले हजार सालों में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। पाकिस्तान उसका पोस- पुत्र है, तो दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाने के सिद्धांत के तहत है। अन्यथा पाकिस्तान की उसकी नजरों में वही कीमत है जैसी किसी मामूली गुंडे की किसी बड़े नेता की नजरों में होती है, जिसे वे अपने शत्रुओं से हिसाब चुकाने के लिए करते हैं । हाल का तनाव जो अब सशस्त्र झड़पों तक पहुंच गया है, उसकी पृष्ठभूमि कोरोना संकट का परिणाम भी हो सकता है, काश्मीर भी। इन रहस्यों का पता दशकों तक नहीं चलता।
(3) सन् बासठ की लडाई के समय वामपंथियों ने खुले आम देश के साथ गद्दारी की थी, जिसका एक परिणाम पार्टी के विभाजन तक में हुआ था।
आज भी जो बुद्धिजीवियों में जो वामपंथी धड़ा है, एक पैसे का भी संदेह मत कीजिए कि एक बार फिर उनकी भूमिका देश के खिलाफ रहेगी। उनका विमर्श अपने देश के विरुद्ध रहेगा।
(4) चीन की सामरिक शक्ति के मुकाबले हम कहीं, कमजोर हैं। न थलसेना में, न वायुसेना में, न नौसेना में हम थोडत्रत्रे उन्नीस हैं। किसी भी प्रकार के बड़े झगड़े में हमारी पराजय की संभावना अधिक है। और ऐसा हुआ तो देश का मनोबल चूर-चूर होने के अलावा युद्ध के जो बाकी नुकसान हैं, वे होंगे ही। दुनियां में राजनीति और समर-नीति के सभी ग्रंथ इस बारे में एकमत हैं कि कमजोर शत्रु के साथ सख्ती से, और मजबूत शत्रु के साथ जहां तक संभव हो, धैर्य और कूटनीति से काम लेना चाहिए ।
भारत सरकार इसी रौशनी में अब तक काम करती भी रही है.
(5) अनेक राष्ट्रवादी मित्र और मीडिया चैनल ऐसे भी होंगे जो चीन को चकनाचूर करने का नारा लगाएंगे। याद रखिए, ऐसे ही तत्वों ने ही नेहरू जी को सन् 62 में धनिए के पेड़ पर चढ़ा दिया था और सारे संसार में उनकी फजीहत हो गयी थी। उन पर कान नहीं देने का।