शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नई शिक्षा नीति को शिक्षा के क्षेत्र में नये युग की शुरुआत बताया. इस नीति के महती उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षा नीति की पूरी कार्ययोजना पर उन्होंने प्रकाश डाला. अब तक हमारी स्कूली शिक्षा 10़़ प्लस टू पर आधारित थी. नई नीति में इसे 5़ प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 के रूप में रखा गया. बच्चे के पहले के पांच वर्ष को बाल्यावस्था की देखभाल तथा बुनियादी शिक्षा के रूप में रखा गया. इस वर्ग में 3 से 7 वर्ष के बच्चे होंगे. इस उम्र के बच्चे प्री स्कूल तथा कक्षा 1 और 2 की पढ़ाई करेंगे. आंगनबाड़ी के द्वारा सरकार पांच साल तक के बच्चों के आहार, पोषण और स्वास्थ का इंतजाम तो करती रही है, लेकिन अब तीन साल की उम्र से ही बच्चों को शिक्षा नीति के अंतर्गत लाकर सरकार बच्चों के बुनियाद को ठीक करना चाहती है.

इस तरह अब शिक्षा के अधिकार का दायरा छह से चैदह वर्ष की उम्र से बढ़ कर, तीन वर्ष से अठारह वर्ष तक का हो गया है. 8 से 11 वर्ष के बच्चों को कक्षा 3 से 5 तक की पढ़ाई की श्रेणी में रखा गया. 12 से 14 वर्ष के बच्चे कक्षा 6, 7, 8 की पढ़ाई करेंगे. 15 से 18 की उम्र के बच्चे हाई स्कूल में कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई करेंगे. आंठवीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में होगी. 5 वीं या आठवीं कक्षा से अंग्रेजी की पढ़ाई शुरु की जायेगी. कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई बोर्ड परीक्षा पर आधारित होगी. लेकिन बोर्ड परीक्षा भी साल में दो बार होगी, जिससे बच्चे पर पढ़ाई का बोझ कम हो. 12 वीं में पढ़ रहे छात्रों के लिए किसी एक कार्य में कुशलता के लिए भी प्रयास किया जायेगा. स्कूल स्थानीय प्रतिष्ठानों से संपर्क कर बारहवीं में पढ़ने वाले छात्रों को प्रशिक्षित करने की व्यवस्था करेगी.

उच्च शिक्षा में भी बदलाव किये गये हैं. डिग्री कोर्स में ‘मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट’ की नीति अपनाई गयी है. जो छात्र तीन वर्ष की डिग्री की पढ़ाई कर रहा हो और प्रथम वर्ष की पढ़ाई के बाद पढ़ाई छोड़ना चाहे तो छोड़ सकता है. इसके लिए उसे सर्टीफिकेट मिलेगा. दूसरे वर्ष की पढ़ाई कर छोड़ देने पर उसे डिप्लोमा मिलेगा. तीन वर्ष की पढ़ाई के बाद डिग्री मिलेगी जो कि सरकारी नौकरियों की प्रवेश परीक्षा के लिए जरूरी होगा. उंची शिक्षा या शोध करने को उत्सुक छात्रों को एक वर्ष और डिग्री की पढ़ाई करनी होगी. इसके बाद एक वर्ष की स्नातकोत्तर की पढ़ाई होगी. इस नीति में एमफिल को हटा दिया गया है. एमए के बाद सीधे पीएचडी की पढ़ाई कर सकते हैं.तकनीकि शिक्षा में विज्ञान की पढ़ाई के साथ कला विषयों की भी पढ़ाई होगी. छात्र अपनी इच्छानुसार कला के किसी एक विषय को चुन कर पढ़ सकता है.

शिक्षण योजना कुछ पेंचीदा होते हुए भी इसे शिक्षा का आधार यह सोच कर बनाया गया है कि अधिक से अधिक बच्चे शिक्षित हों और उनका सर्वांगीन विकास हो. अब इस नीति की भी आलोचना कई स्तरों पर की जा रही है. पांच साल तक के बच्चों को पोषण और स्वास्थ के साथ शिक्षित करने के लिए शिक्षा का क्या रूप होगा? अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों में प्रवेश के पहले जिस तरह बच्चों को प्ले स्कूल भेजा जाता है और खेल के माध्यम से मौखिक शिक्षा दी जाती ह,ै तो इस तरह की कोई तैयारी सरकार अपनी व्यवस्था में करेगी क्या?

प्राईमरी से लेकर माध्यमिक शिक्षा को मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण का स्वागत सबों ने किया, पहले की नीतियों में भी इस तरह की बात कही गया थी. लेकिन विभिन्न भाषाओं में शिक्षण के लिए स्तरीय पुस्तक तथा अन्य शिक्षण सामग्री का अभाव है. पहले की सरकारों ने इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं किया है. क्या वर्तमान सरकार नई शिक्षा नीति के तहत इस तरह की तैयारी रखती है अन्यथा यह योजना निर्रथक ही होगी. मातृभाषा में पढ़ा बच्चा आठवीं के बाद अचानक हिंदी या अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश करेगा तो कहां तक स्वीकार कर पायेगा. इसके अलावा शहरों में तथा महानगरों में निजी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल भी चलते रहें तो जो बच्चे वहां से पढ़ कर आते हैं, उनकी तुलना में मातृभाषा में पढ़े बच्चे उच्च स्तर की शिक्षा या प्रतियोगिताओं में टिक पायेंगे या नहीं? इसलिए दोहरी शिक्षा प्रणाली रखते हुए यदि हम नई शिक्षा नीति लागू करते हैं तो यह गांव या शहर के सरकारी सकूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ अन्याय माना जायेगा.

डिग्री शिक्षा में हर साल पढ़ाई छोड़ देने पर जो सर्टीफीकेट या डिप्लोमा का जो प्रावधान है, उसकी क्या उपयोगिता होगी, यह स्पष्ट नहीं. एमए एक वर्ष और एमफिल को पूरी तरह से हटा देने की भी आलोचना हो रही है. इसे अमरीकी शिक्षा नीति का नकल बताया जा रहा है जहां डिग्री के बाद सीधे पीएचडी सात साल का होता है. इतना लंबा समय पीएचडी में लगाने में भारतीय छात्र इच्छुक होंगे क्या? लोगों का यह भी विचार है कि एमफिल की पढ़ाई से शोध में आसानी होती है. अमरीकी शिक्षा के माडल को तो यूरोपीय देशों ने अस्वीकार कर दिया है, लेकिन भारत इसे अपनाने की कोशिश कर रहा है.