उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी धार्मिक संकीर्णता को प्रदर्शित करते हुए ‘लव जेहाद’ के विरुद्ध कानून बनाने की तैयारी की है. अब हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर कैसे पीछे रहते, उन्होंने भी ऐसा ही कानून अपने राज्य में भी बनाने की घोषणा कर दी है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार भी ऐसा कानून लाने की सोच रही है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी इस प्रतियोगिता में शामिल हो गये. ये सभी भाजपा के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह भाजपा और संघ परिवार का एजंडा है. लव जेहाद शब्द भी इनका ही सृजन है.

इन सबों के इस अभियान से ऐसा लगता है कि कोई धर्मगुरु अपने विचार व्यक्त कर रहा है, न कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में जनता द्वारा चुना हुआ प्रतिनिध और संविधान को साक्षी मान कर मुख्यमंत्री बना कोई व्यक्ति बोल रहा हो. इस पद पर बैठा कोई व्यक्ति किसी धर्म का समर्थन या आलोचना नहीं कर सकता है. उसे तो सभी धर्मों के प्रति समभाव रखना है. गौरतलब यह भी है कि ‘लव जेहाद’ को एक विकराल समस्या के रूप में पेश तो किया जाता है, लेकिन सरकार के पास अभी तक इस तरह के कोई आकड़े नहीं जिनसे यह पता चले कि अब तक कथित ‘लव जेहाद’ के कितने मामले देश में हुए हैं?

भारतीय संविधान के अनुसार इस देश के वयस्क स्त्री-पुरुष किसी भी धर्म में अपना विश्वास प्रकट कर सकते हैं और किसी भी धर्म में विवाह कर सकते हैं. इस बात की संपुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने केरल की हादिया केस के समय किया था. योगी आदित्यनाथ लव जेहाद के विरुद्ध कानून बना कर नागरिकों के धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगायेंगे. योगि जी शायद यह भूल रहे हैं कि स्त्री- पुरुष के बीच का आकर्षण धर्म को नहीं देखता. ऐसे विवाह होते हैं तो यह जरूरी नहीं कि लड़की मुस्लिम धर्म को स्वीकार कर ले. ऐसी शादियां स्त्री पुरुष की समानता और विश्वास पर आधारित होती हैं. इसलिए लड़किया धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य नहीं होती हैं. इसके कई उदाहरण इतिहास में भी हैं और आधुनिक समाज में भी.

मुगल काल में अकबर ने जोधा बाई से शादी कर उसे धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य नहीं किया था. तनिष्क विज्ञापन के हंगामें के समय कई ऐसे जोड़े सामने आये जिन्होंने यह स्वीकार किया कि उनके संबंधों के बीच कोई धर्म नहीं आता है. मुस्लिम लड़के का हिंदू लड़की से शादी करने को लव जेहाद कहा गया है, क्योंकि कट्टर हिंदुवादियों का मानना है कि मुस्लिम लड़का हिंदू लड़की को बहला फुसला कर या अगवा कर उससे शादी करता है और उसे मुस्लिम बनाता है. उनके लिए हिंदू लड़के का मुस्लिम लड़की से शादी करना चिंता का विषय नहीं होता है, क्योंकि लड़की हिंदू बन जायेगी. इनकी समझ के अनुसार लड़की पिता की संपत्ति है. इसलिए किसी दूसरे पुरुष से बिना पिता की अनुमति से शादी कर लेना इनके लिए जेहाद हो जाता है.

लड़कियों की सुरक्षा के लिए पहले से ही बहुत सारे कानून हैं. लव जेहाद के नाम पर नया कानून बनाना केवल एक राजनीतिक स्टंट ही लगता है. इसका उपयोग लड़कियों के कल्याण से अधिक हिंदुओं के ध्रुवीकरण और आगामी चुनावों में उसका लाभ उठाना ही मुख्य है. इनको सचमुच ही लड़कियों की चिंता है तो सबसे पहले भाजपा शासित राज्यों में होने वाले जधन्य बलात्कारों को रोकना चाहिए. महज राजनीतिक लाभ के लिए अंतरधार्मिक या अंतरजातीय विवाहों को यदि हम रोकने की कोशिश करते हैं तो पूरी दुनियां में हमारी छवि खराब होगी. साथ ही यह स्त्री के अपना जीवन साथी चुनने के मौलिक अधिकार का हनन होगा. हम उम्मीद करें कि सर्वोच्च न्यायालय इस तरह के किसी भी पहलकदमी को निरस्त करने में भूमिका निभायेगा.