आदिवासी बहुल खूंटी जिले में केंद्र सरकार की भारतमाला सड़क परियोजना में भूमि अधिग्रहण का तीव्र विरोध शुरू हो गया है।
सड़क परियोजना के लिए खूंटी जिले के 27 गांवों की 652 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की नोटिस आदिवासियों को जारी हो चुकी है। आदिवासियों में अधिग्रहण के संविधान विरोधी तरीके को लेकर भारी आक्रोश है। खूंटी संविधान की पांचवीं अनुसूची और पेसा एक्ट से प्रदत्त अधिकारों एवं संरक्षण से आच्छादित है। इसके तहत किसी भी प्रकार की परियोजना ग्राम सभा की मंजूरी के बिना नहीं शुरू होगी। भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने को सरकार और प्रशासन ने संवैधानिक प्रावधानों की कोई परवाह नहीं करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है।
परियोजना के विरोध में आज कर्रा प्रखंड के कच्चाबारी गांव में आदिवासी एकता मंच द्वारा आयोजित आदिवासियों की सभा में झारखंड की सुप्रसिद्ध लड़ाकू सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला के साथ मैंने भी भाग लिया। मैंने एक्सप्रेस हाईवे जैसी दैत्याकार सड़क परियोजनाएं कैसे विकास की जगह विनाशकारी हैं, इसे समझाने का प्रयास किया।
दयामनी बारला ने विस्तार से बताया कि झारखंड से गुजरने वाली तथा प्रस्तावित सड़क परियोजनाएं सिर्फ कारपोरेट सेक्टर के हितों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं। सभी सड़कें झारखंड को ओडिशा तथा दक्षिणी राज्यों से जोड़ रहीं हैं क्यों कि वहां बंदरगाह हैं। इन सड़कों से झारखंड के खनिजों को बंदरगाह तक पहुंचाने में सुविधा होगी। दयामनी ने सड़क परियोजना के विरोध में ग्राम सभाओं को संविधान प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करने का आह्वान किया।