सोशल मीडिया पर शोक- रति- आनंद या ग्रीफ-पार्न जैसी चीज के खिलाफ आगाह किया जा रहा है. खुद को खंगालते रहे- आप लोगों की पीड़ा, रोते अनाथ बहते शव आदि के वीडियो लगातार देख रहे हैं? क्या एआई बेस्ड रील्स या एप आपके सामने इन्हें बार-बार पेश कर रहे हैं तो यह संकेत है कि आपको इनमें आनंद आ रहा है. परखें, इन्हें देख आपके मन में व्यवस्था के खिलाफ क्रोध उपज रहा है? या बस ‘दुःख’ इस दुख से आप कहीं छिपा संतोष संतोष जैसा तो महसूस नहीं कर रहे हैं?

दुनिया भर के संपंन्न अरसे से आपकी गरीबी से पप्रोपर्टी पोर्न का आनंद लेते रहे हैं. आप अपनों के कष्ट और शवों की स्मृति का यह इस्तेमाल न करें. न होने दें. इन्हें याद रखें, इसके लिए जिम्मेदार लोगों और सिस्टम को न बख्सें न तो बख्सनें दें.

साहित्य में यूं ही नहीं बताया जाता कि हर ‘रस’ आनंद देता है. करुण, वीभत्स और भयानक भी. खुद को विमानवीकरण/ उी ह्यूमनाईजेशन से बचाने की पहली जिम्मेदारी आपकी ही है.