अफगानिस्तान में भारत की हालत, उस टेंट वाले सी है जिसका शामियाना फाड़ दिया गया है, दुल्हन गायब है, बाराती भाग गए हैं. दुनिया आपसे बेपरवाह है, और आपके रोने चिल्लाने से किसी को फर्क नही पड़ता.
आठ साल पहले काबुल में भारत की वकत थी, हम रीजन टू स्माइल थे. अमेरिका करीब आ गया था, लेकिन रूस दूर नही गया था. तब हमारी जेब भी भरी हुई थी, तो बीजिंग, ब्रसेल्स, काबुल, वाशिंगटन, तेहरान और मास्को तक पूछ परख थी.
तब हमने गले मे किसी का पट्टा नही पहना था. हम जिम्मेदार, और महत्वपूर्ण समझे जाते थे. मोदी सरकार ने ये हालात बदल दिए. विदेश की सरकारों ने शुरुआत में हमारे नेता के बचकाने सर्कसों को स्मित हास्य के साथ देखा. लेकिन मेडिसन और वेम्बले के नाच गान ने भारत में प्रोपगेंडे के लिए को बड़ी नयनाभिराम तस्वीरे दी, तो ये जुनून बढ़ता गया.
फिर भी ओबामा की प्याली में चाय उड़ेलते मोदी, इज्जत पा रहे थे. लेकिन पांच साल बाद, पचास हजार अमेरिकन भारतवंशियों के बीच ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ का नारा लगाकर वो ट्रम्प के पर्सनल हवलदार बन गए.
भारत की गरिमा पर ये जबरजस्त वार तो था ही,.. आगामी बिडेन प्रशासन की हिकारत, मोदी ने उसी दिन खरीद ली थी. ट्रम्प का ‘कालिया’ बनने को बेकरार मोदी ने, पहले उसका नमक खाया, फिर गोली खाई. जी हां, ट्रंप के पूरे कार्यकाल के दौरान भारत रिरियाता रहा, मिन्नतें करता रहा, बेइज्जत होता रहा. ट्रम्प ने भारत पर एंटी डंपिंग शुल्क लगाया, निर्यात कठिन किये. भारतीय वीजा मुश्किल किये, जॉब्स को ‘बैगलोर्ड’ होने से रोका, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के मुद्दे पर सीधे ट्वीट कर कुकुरझौसी कर दी. लेकिन शेर मोदी, दुम हिलाते रहे, उकड़ूँ होकर नमस्ते ट्रंप करते रहे.
ट्रम्प की ताबेदारी ने ईरान से हमारे रिश्ते खराब करवाये. पहले ईरान से तेल खरीदना रुकवा दिया, फिर यूएन में कई मसलों पर हमें ईरानी हितों से मुंह चुराना पड़ा. मोदी नीत भारत को लगातार घुटने टेकते देख, आखिरकार ईरान ने हमें चाबहार से बाहर फेंक दिया. अफगानिस्तान में हमारे इर्रिलेवेंट होने की नींव उसी वक्त रख दी गयी थी.
फिर ईरान से सस्ता तेल हमने खरीदना रोक दिया, महंगी कीमत मैं और आप भरते रहे. फिर हमारे पैसों से बना, चाबहार का इन्वेस्टमेंट डूबा. इससे अफगानिस्तान में पकड़ बनाने का एकमात्र रास्ता बंद हुआ. अब तालिबान आने के बाद अफगानिस्तान में किया इन्वेस्टमेंट भी लगभग डूब चुका है.
ईरान चीन की ओर खिसक चुका है, तालिबान से रिश्ते बना लिए हैं, रूस उनके साथ आ चुका है, और पाकिस्तान अपनी जियोग्राफी के कारण अपरिहार्य है. हम दुनिया मे अमरीकी चमचे के रूप में देखे जा रहे हैं, जिसे खुद अमेरिका भी भाव नही देता.
धुर दक्षिणपन्थी नीति भी भारत के पराभव का कारण है. यूरोप और उत्तर अमेरिका की आर्थिक नीतियां कैप्टलिस्ट हैं, पर समाज दक्षिणपन्थी नही. दरअसल डेमोक्रेटिक वेलफेयर गवर्नमेंट का ऑब्जेक्टिव ही ‘लेफ्ट टू द सेंटर’ सोसायटी होती है. दिक्कत यह कि भारतीय मूर्ख संघ समझता है कि कैप्टलिस्ट नीतियां, और समाज में दक्षिणपन्थ का चोली दामन का साथ होता है.
असल मे यूरोप, जो नाजी और फासिज्म रचित ध्वंस को झेल चुका है, दक्षिणपन्थी लीडरों को हमेशा शंका से देखता है. इसलिए बोन्सनरो, नेतन्याहू, एर्दोगन जैसे लीडरों के साथ मोदी को रखा जाना कोई बड़ी इज्जतदार छवि नही देता.
कश्मीर में यूरोपियन संसद के अनजान, लेकिन बकवासी दक्षिणपन्थी सांसदों की यात्रा जैसे मूर्खतापूर्ण प्रयास, लाभ कम और मोदी की दक्षिणपन्थी छवि को मजबूती ही देते रहे हैं. घरेलू नीतियां, उनकी पागल फौज, इंटरनेशनल ट्रोलर्स, मिलकर करेले पर नीम ही बनते हैं. नतीजा यह है, कि अपने भाषणों में गांधी की तमाम चिकनी चुपड़ी प्रशंसा के बावजूद वे ‘डिवाइडर इन चीफ’ के रूप में टाइम के मुखपृष्ठ पर शोभायमान हो चुके हैं.
रफेल डील, ब्राजील द्वारा भारतीय वैक्सीन का करार तोड़ने, पत्रकारों पर हमले, विपक्ष का दमन और लिंचिंग जैसी खबरें विश्व मीडिया में लगातार छप रही हैं. वे बेतहाशा प्यार किये गए, हरदिल-अजीज नेता तो कभी नही थे, पर अब लगभग पेरियाह गति को प्राप्त हो चुके हैं.
पूरब में देखिये, तो पड़ोसी देशों से रिश्ते खराब कर चुके और पश्चिमी देशों में सम्मान खो चुके मोदी की यहाँ भी खास वकत नही बची. आसियान देशों से चार साल तक मुक्त व्यापार समझौते को नेगोशिएशन करने के बाद, घरेलू क्रोनी उद्योगपतियों के दबाव में आखरी वक्त पर कदम खींच लिए. वे नाराज हैं, ‘एक्ट ईस्ट’ का पत्ता भी साफ है.
ब्रिक्स और सार्क ठंडे बस्ते में हैं, ले देकर आपके हाथ मे क्वाड है. कुल मिलाकर मोदी जी अपने डिप्लोमेसी के टोकरे का रायता फैलाकर चारो खाने चित हैं.
निजी छवि पर पूरी विदेश नीति टिका देने के नतीजे सामने हैं। अफसोस यह है कि यह गति मोदी की निजी नही, एक नेशन स्टेट के रूप में भारत की है. तो केवल काबुल में ही नही, दुनिया भर में भारत की हालत, उस टेंट वाले सी है जिसका शामियाना फाड़ दिया गया है, दुल्हन गायब है, बाराती भाग गए हैं.
और दुनिया आपसे बेपरवाह है, और आपके रोने चिल्लाने से किसी को फर्क नही पड़ता.