मैं अपनी पहली विदेश यात्रा के क्रम में कुआलल्लमपुर से सिंगापुर जा रहा था। रात की ट्रेन थी। डब्बों में जगह जगह बड़ी सख्त भाषा में चेतावनी देते हुए पोस्टर लगे हुए थे, जिनमें बताया गया था कि सिंगापुर में नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाने पर मौत की सजा है। मैं यह सोच कर थोड़ा असहज था कि यदि किसी निर्दोष यात्री के सामान में कोई तस्कर नशीले पदार्थ रख दे तब क्या होगा। ‘नाम’ या ऐसी ही किसी दूसरी फिल्म में ऐसा ही एक कथानक भी था।

छोटी लाइन की पटरी थी और ट्रेनों में बस आपने सामने ही ऊपर नीचे, पर्दे लगे हुए, चैड़े, आरामदेह बंक थे। साइड बर्थ नहीं थे। हमारे डब्बे में दस पंद्रह लोग ही रहे होंगे। हमसे दो तीन बर्थ हट कर कुछ स्थानीय युवक थे - गठे, नाटे शरीर, रंगीन बाल, पूरे शरीर पर गुदने। आपस में हंसी ठिठोली कर रहे थ, उनके व्यवहार में उद्दंडता थी या अलमस्ती, कहना मुश्किल था। वैसे भी चीनी- मलय हमारे पल्ले नहीं पड़ रही थी।

इस बीच मलेशिया और सिंगापुर की सीमा आ गयी। सभी यात्रीगण वीसा वगैरह की जांच के लिए स्टेशन पर उतरे। भारी भरकम डील-डौल वाले सुरक्षा कर्मियों ने खौफनाक कुत्तों के साथ यात्रियों की तलाशी ली और फिर पूरी ट्रेन के हरेक कोने-खुदरे को भी नशीले पदार्थों की तलाश में खंगाला गया।

और तभी हम पर वज्रपात हुआ। तलाशी के क्रम में मेरे बेटे के बैग से चरस बरामद हुई। हमारे हजार तर्कों और लाख मिन्नतों के बावजूद कि बारह साल के एक बच्चे के बैग से चरस की बरामदगी निश्चय ही किसी तस्कर का षड्यंत्र है, अधिकारी टस से मस नहीं हुए। एक अनजाने देश में इस घनघोर संकट के संभावित परिणामों की सोच कर हम हाहाकार कर रहे थे, चीख चीख कर रो रहे थे। अपने बच्चे को इस भीषण विपत्ति में फंसा देख किस मां बाप की आत्मा चित्कार नहीं करेगी? धैर्य खोकर मैं सुरक्षा कर्मियों से उलझ गया, लेकिन मेरी असहाय आंखों के सामने वे मेरे बेटे को खींच कर लेते गए।

ऐन उसी समय मेरी आंख खुल गयी। मैं ट्रेन में था, हम सिंगापुर पहुचने ही वाले थे। मैं पसीने से तरबतर था और अपने भयानक दुःस्वप्न को याद कर मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी उठ रही थी। मेरी पत्नी और बेटा निश्चिंत सो रहे थे।

कल्पना कीजिए कि आपका या हमारा या किसी और का बेटा सचमुच ऐसी ही किसी विपत्ति में फंस जाता है, यानी नशीले पदार्थों के साथ पकड़ा जाकर पुलिस की हिरासत में चला जाता है। उस घड़ी में माता पिता पर क्या बीतती है, इसका तसव्वुर कीजिए। तब आप महसूस कर सकेंगे कि शाहरुख खान और उनकी पत्नी पर क्या बीत रही होगी।

अभी इस बात को रहने दीजिए कि शाहरुख के पुत्र के खुद के पास से शायद कोई नशीला पदार्थ बरामद ही नहीं हुआ और उनके इन पदार्थों के व्यापार में संबद्ध होने की बात भी सामने नहीं आयी है, कि उनकी गिरफ्तारी के समय की परिस्थितियों पर भी कुछ संदेह बन आए हैं। इस बात को भी भूल जाइए शाहरुख एक औसत दर्जे के अभिनेता हैं और उनकी अधिकतर फिल्में एकदम फालतू हैं। यह भी भूल जाइए कि वे कई दफा अहंकारी प्रतीत होते हैं और यह कि संभवतः उन्होंने अपने बेटे को जरूरत से ज्यादा छूट दे रखी थी (आजकल कौन अपने बच्चों पर नियंत्रण रख पाता है?)।

शाहरुख के हालात को सिर्फ एक पिता की नजर से देखिए, और भगवान के लिए इस समय उन पर रहम खाइये।