केंद्र सरकार ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन प्रदर्शित होने वाली झांकियों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल तथा झारखंड की झांकियों को अस्वीकार कर दिया है. ममता बनर्जी ने इस पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनका कहना है कि केद्र सरकार के इस रुख से वे आहत हैं. बंगाल की जनता भी गहरे सदमें में है. देश की आजादी में प्राण देने वाले बंगाल के शहीदों का यह अपमान है. बंगाल की झांकी में सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती को केंद्र में रख कर बनाया जाना था. आजाद हिंद फौज का गठन कर उन्होंने जिस तरह आजादी की लड़ाई में अपना सहयोग किया, इसे दर्शाया जाना था. साथ ही बंगाल के दूसरे महान विभूतियों को भी इसमें दर्शाया जाना था, जैसे ईश्वर चंद्र विद्यासागर, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, देशबंधु चितरंजन दास, श्री अरंिवंदो, मतांगनी हाजरा, नजरुल इस्लाम आदि. केंद्र सरकार ने अस्वीकृति का कोई कारण नहीं बताया है.
इसी तरह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी अपने राज्य की झांकी को अस्वीकार करने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि झांकी में तमिलनाडु के उन महान योद्धाओं को दर्शाया जाना था जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहूती दी थी. इस झांकी को अस्वीकार कर केंद्र सरकार ने तमिलनाडु की जनता की देशभक्ति की भावना पर चोट किया है. ममता बनर्जी तथा स्टालिन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख कर इस पर पुनः विचार करने तथा इन राज्यों के इतिहास को सम्मान देने की बात कही है.
झारखंड ने नवंबर में ही ‘संथाल हूल’ पर झांकी बना कर भेजने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया था. लेकिन उसके अस्वीकार हो जाने पर झारखंड सरकार ने दूसरा कोई विषय प्रस्तावित नहीं किया और प्रतिक्रिया भी नहीं दी, क्योंकि कोरोना के चलते काम करने और कराने वालों की कमी थी.
इस पर केंद्र सरकार का कहना है कि झांकियों के चुनाव में उसका कोई हाथ नहीं है. यह तो विशेषज्ञों की एक समिति के द्वारा होता है. इस बार 56 प्रस्ताव आये थे. उनमें से मात्र 21 प्रस्तावों को चुना गया. हर वर्ष इसी प्रक्रिया के तहत काम होता है. पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु की झांकिया तो तीसरे चैथे चक्र तक आगे बढ़ी, लेकिन इसके बाद उनका चयन नहीं हो सका. झारखंड का संथाल हूल प्रस्ताव तो प्रथम चक्र में ही रुक गया, क्योंकि इसके राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संदर्भों पर प्रकाश नहीं डाला गया था. इसके पहले इन तीनों राज्यों की झांकियां कई बार चुनी जा चुकी हैं.
गैर बीजेपी शासित राज्यों के नेताओं ने कहा कि यह केद्र सरकार द्वारा इन राज्यों का अपमान है. देखा जाये तो उनके इस कथन में कुछ सच्चाई भी दिखती है. इन तीनों राज्यों में पिछले चुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली. अपने विजय अभियान में यह अड़चन बीजेपी को असहनीय लगा. हार के बाद केंद्र सरकार ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के संबंधियों पर कई तरह के सीबीआई, इडी तथा इनकम टैक्स की जांच व रेड करवाये. इसी कड़ी में लगता है, बदले की भावना से इन राज्यों की झांकियों को अस्वीकार किया गया. केंद्र सरकार खुद सुभाषचंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर इंडिया गेट पर इनकी प्रतिमा लगा रही है. देश भक्ती का नारा देने वाली बीजेपी यदि इन राज्यों की देशभक्ति को अनदेखा कर रही है तो लगता है खिसियायी बिल्ली खंभा नोच रही है.