रूस ने युक्रेन पर तीन तरफ से हमला कर दिया है. पहले तो उसने युक्रेन के पूर्वी प्रांतों, जहां ज्यादातर रूसी बोलने वाले हैं, आतंकवादियों के माध्यम से हमला कर दिया और उन्हें स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया. इसकी तुलना कुछ हद तक बंगलादेश के युद्ध से की जा सकती है. बाद मेँ उत्तर मे बेलारूस मे युद्धाभ्यास करनेगये सैनिकों ने हमला कर दिया.
उधर पश्चिम में काला सागर में मौजूद रूसी नौसेना ने भी हमला कर दिया है. रूसी हवाई जहाजों और राकेटों ने उक्रेन के हवाई अड्डों और और सैनिक ठिकानों को बर्बाद कर दिया है. रूसी सेना राजधानी कीव तक पहुंच गई है. हलांकि युक्रेन की सेना और नागरिक बहुत बहादुरी से रूसी सेना का मुकाबला कर रहे हैं. हजार से ऊपर रूसी सैनिकों के मारे जाने की सूचना है.
युक्रेन के राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की, जो पहले एक लोकप्रिय कामेडियन हुआ करते थे, आज आदर्श हीरो बन गये हैं. उन्होंने युक्रेन से सुरक्षित भाग जाने का अमेरिकी प्रस्ताव ठुकरा दिया है और अपनी व अपने परिवार की जान पर खतरा मोल लेकर वहीं रहने की घोषणा की है.
लेकिन यह तय है कि छह हजार से अधिक परमाणु बम रखने वाले रूस से जब अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश डर रहे हैं, तब युक्रेन कब तक लड़ पायेगा. यह याद रखनेवाली बात है कि जब सोवियत संघ का विघटन हुआ था तो युक्रेन के पास भी दो हजार परमाणु बम थे, लेकिन अन्य देशों द्वारा सुरक्षा की गारंटी मिलने पर उसने अपने परमाणु बमों को नष्ट कर दिया. लेकिन आज सुरक्षा के नाम पर उसे सिर्फ कुछ हथियार भेजे जा रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध का विकल्प तीसरा विश्वयुद्ध होगा. यह वास्तविकता है और ऐसा कौन चाहेगा? विश्व शांति के लिए युक्रेन की कुर्बानी दी जायेगी. ऐसा लगता है कि रुस युक्रेन को रूस मे नहीं मिलायेगा, पर ऐसा शासन थोपना चाहेगा जिसकी विदेश नीति उसके कब्जे में रहे. यह युद्ध निरपराध युक्रेन की बलि के लिए जाना जायेगा. अच्छी बात यह है कि पूरी दुनिया ही नहीं रूस में भी इस युद्ध का भारी विरोध हो रहा है.