हमारे समाज में गरीबों की संख्या असंख्य है और गरीबी मिटाओ बस एक स्लोगन. आज हम आपको सरजू नाम के व्यक्ति से मिलाते हैं. उसी से क्यो, क्योंकि उन्हें देख कर लगा जैसे कि जैसे ‘वेदना’ ने मूर्त रूप धारण कर लिया हो. और उनकी बात सुन कर लगा कि उनकी पीड़ा का कोई अंत नहीं. जीवन की अमानवीय परिस्थितियां मनुष्य को मनुष्येतर प्राणी में बदल देती हैं, इसका एहसास उन्हें देख कर हुआ. जिंदगी की डगर कितनी कठिन है, यह बस वही इंसान समझ सकता है, जिसे कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता ना मिले. वह विषम परिस्थितियों में अब तक कैसे अपनी चार बेटियां और एक बेटे को पाल रहा है. उसकी पत्नी की मौत दिसंबर महीने में हुई. कैसे? बताते उसकी आंखों के कोर से आंसू बह निकले.

उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी रेजा का काम करती थी. बालू, गिट्टी, सिमेंट के बीच लगातार काम. वह बीमार हुई तो एक्सरे निकाला गया. उसके छाती में सिमेंट भर गया था और उसे बचाया नहीं जा सका.

‘उसे खाने के लिए गुड़ नहीं मिलता था. गुड़ खाती रहती तो शायद बच जाती.’

आगे वह कहते हैं - ‘उससे ज्यादा उम्र की औरतें काम करती हैं. जिंदा हैं. लेकिन वह मर गयी. मरने जीने पर किसी का वश नहीं.’

वे खाना कम खा रहे थे. बोले- मेरी खुराक कम हो गयी है. भूख ही नहीं लगती पत्नी के मरने के बाद.

हम उनकी तरफ देखते रहे. और तब संक्षेप में उन्होंने हमें अपनी कहानी सुनायी. लंबे सालों की. दुखों से पीछा छुड़ाने के लिए और मेहनत मजूरी करने के लिए दूर-दूर के राज्यों में अपनी यात्राओं की. और सब कुछ चंद पंक्तियों में.

तो चलिए कहानी की शुरुआत करते है. सरजू पढ़ लिख नहीं पाये. पढ़े-लिखे भाई ने जमीन अपने नाम करवा ली और बकौल उनके बाप को मार डाला. वे यह सब देख कर डर गये कि वह कहीं उन्हें भी मार ना डाले. तो वह मजदूरी करने की खातिर देश- परदेश भटकने लगे. आते तो चुटिया में रहते. अपने पढ़े-लिखे भाई से जमीन के लिए 20 साल तक केश लड़ा, लेकिन हमारे यहां जीत उसी की होती है जिसके पास पैसा है. थक हार कर वह जमीन का केस लड़ना भी छोड़ दिया. हां, उन्होंने विवाह कर लिया और किराये पर घर लेकर रहने लगे. उसे हर महीना किराया देना पड़ता. बच्चों को पालना पड़ता. इसके लिए पति, पत्नी निरंतर मेहनत मजूरी करते रहे. काम के साथ सरजू महीना में कुछ पैसा ठेकेदारों के मार्फत किसी कंपनी मे जमा करतो थे. वह पैसा ठेकेदार लेकर भाग गया. ठेकेदार उसे ज्यादा बुरे मिले. एक ठेकेदार सात दिन काम करा कर भुगतान के वक्त दो दिन की हाजरी काट लेता था. वह इन बातों की फरियाद किससे करे? जिंदगी ऐसे ही चलता था. पति- पत्नी दोनों काम करते थे. पत्नी सीमेंट ढोने का काम करती थी. 2 दिसंबर 2021 को वह अचानक पीड़ित हो गई. कारण यह था कि वह लगातार सीमेंट ढोने का काम करती थी. जिसके कारण उसके अंदर इंफेक्शन हो गया था. और उसी के कारण उसका देहांत हो गया.

हम उसके घर गये. उसकी बड़ी बेटी कहीं काम करती है. साथ ही दसवीं की परीक्षा देने वाली है. लेकिन अन्य बच्चे पढ़ते लिखते नहीं. सरजू से जब भी उसकी पत्नी, बेटियां, बेटे की बात पूछा जाता है तो उनकी आंखों नम और आंसू छलक जाता है. वह तन, मन से टूट चुके हैं. लेकिन अभी भी खट कर जीवन चलाने का हौसला रखते हैं.