भारत रंग बिरंगे त्योहारों का देश है. एक जनवरी को तो पूरा विश्व अंग्रेजी नव वर्ष मनाता है, लेकिन भारत के विभिन्न राज्यों में हिंदू कैलेंडर के अनुसार अप्रैल के विभिन्न दिनों में नव वर्ष का पर्व मनाया जाता है.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास वर्ष का पहला महीना होता है और इसके पहले दिन यानि चैत्र पाड्यमी को दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, कर्नाटक तथा तेलंगाना में ‘उगादी’ नव वर्ष मनाया जाता है. केरल में ‘बिशु’ तथा महाराष्ट्र में ‘गुडिपर्वा’ के नाम से मनाया जाता है. तमिलनाडु में यह ‘पुतांडु’ कहलाता है जो अक्सर 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है.

इस वर्ष यानि 2022 को चैत का पहला दिन 2 अप्रैल को पड़ रहा है. यह ऐसा समय होता है, जब ठंड का मौसम समाप्त हो जाता है आम में छोटे छोट टिकोले आ जाते हैं, नीम के पेडों उजले फूलों के गुच्छे लटकने लगते हैं. नये ईरव का नया गूड बन जाता है. इमली के पेड में फल पक जाते हैं. केले के पेड में पीले पीले केलों के कांदी लटक जाते हैं. इसलिए उगादी में इन सारी चीजों को मिलाकर चटनी बनती है जिसे उगादी पच्चड़ी कहा जाता है.

उगादी की सुबह लोग स्नान कर नये कपडे पहनते हैं. मंदिरों में जाते हैं. नये वर्ष की मंगल कामना के साथ भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. घर लौटकर उगादी पच्चडी खाते हैं. यह नये वर्ष में प्राप्त होने वाले खट्टे मीठे और कडुवे अनुभवों का प्रतिनिधित्व करती है इस दिन घरों में बढिया भोजन तथा मिठाइयाँ बनती है.ं इसमे पूरण लडडू बहुत प्रसिद्ध है.

महाराष्ट का गुडिपडवा भी चैत्र मास के पहले दिन में मनाया जाता है. इस दिन घरों के मुख्य द्वर के दाहिनी ओर सिल्क साडी को एक लकडी में लपेट कर लटका दिया जाता है. उस पर एक लोटा रखा जाता है, जिसमे मिठाइयाँ रखी जाती हैं और चारो ओर नीम तथा आम के पत्तों से सजाया जाता है. इसे गुडि कहा जाता है. लोग नये कपडे पहनते हैं. अच्छा भोजन करते हैं. परणपूरी इस समय अवश्य बनती है. इस दिन को छत्रपति शिवजी का अपने शत्रुओं पर विजय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, साथ ही यह दिन शालीवाहनों का साक्यों पर विजय का दिन भी कहा जाता है.

केरल में यह नववर्ष विशु कहलाता है. इस समय मिलने वाले नये फूलों, फलों और सब्जियों को एक आइने के सामने सजाया जाता है. इस सजावट को ‘विशु कानी’ कहा जाता है. इस दिन भक्त जन सबरिमला के अयप्पा मंदिर तथा गुरुवयूर के कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं

तमिलनाडू का नववर्ष अप्रैल के 13 या 14 ता को चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है जो पुतांडु कहलाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को ‘पुतांडु वजनुकाल’ कह कर शुभकामनाएं देते हैं. इसका अर्थ होता है नववर्ष मंगलमय हो. इस दिन ‘मांगाई पच्चडी’ बनती है, जो कच्चे आम, नीम के फूल तथा गूड से बनता है.

दक्षिण भारत के सभी पर्व त्योहारों में मुख्य द्वार को आम के पत्तों से सजाया जाता है. सालों भर घर के आंगन में रंगोली बनाने वाली सभी दक्षिण भारतीय महिलाएँ इस दिन विशेष रंगोली बनाती हैं जो शुभ सूचक माना जाता है.