एक तरफ चीन के कब्जे वाला तिब्बत, दूसरी ओर नेपाल, तीसरी तरफ भूटान, बीच में भारत का एक राज्य सिक्किम. 1975 में सिक्किम भरत का 28वां राज्य बना.

1975 भारत में विलय को लेकर विवाद था, पर बाद में सबको यह समझ में आया, कि यह प्रांत और यहां के लोग अपनी सांस्कृतिक विविधता को बनाएं रखते हुए भी, लगातार तरक्की के पथ पर हैं. अपने को तिब्बत से बेहतर स्थिति में पाते हैं. यहां जनतांत्रिक व्यवस्था है. जनतांत्रिक अधिकारों की वजह से ये ऐसी चुनी हुई सरकारें बनाते हैं, जिसमें पूरा का पूरा नेतृत्व सिक्किम का होता है.

हमारी यात्रा के दौरान हमें ईस्टर का पैरेड भी दिख गया और साथ साथ बौद्ध मॉनेस्ट्री और कुछ हिंदू मंदिर भी. पहाड़ों के किनारे सैकड़ों की.मी. सड़कों पर बहुत जगह हजारों की संख्या में बौद्ध झंडे भरे हैं. पर बाजारों में जहां जिसे लगा, रामनवमी के वही झंडे यहां भी लगाते हैं, जो इस साल पूरे भारत में लहरा रहे थे.

यहां मुस्लिम आबादी भी है और बिहार से बहुतेरे कारीगर और व्यवसाई, जो विभिन्न धर्मों के हैं. छोटे बड़े व्यवसाय या नौकरी में यहां रहते हैं और रहना पसंद करते हैं.

विधान के अनुसार सिक्किम के बाहर के लोग यहां जमीन खरीद कर नहीं बस सकते. इसलिए बाहरी लोग किराए के दुकानों मकानों में व्यापार और होटल चलाने के लिए, या लीज पर दिए भवनों में, व्यवसाय चलाने के लिए भी पूंजी लगाते हैं. सौहार्द सह अस्तित्व और शांति, यह बढ़िया माहौल देता है. घूमने जाने के लिए और पर्यटन के लिए यह अच्छा माहौल है. पहाड़ पर पैसे तो ज्यादा खर्च होते हैं, परंतु यदि आप होम स्टे का विकल्प अपनाते हैं, तब यह आपके लिए कुछ दिनों तक रहने लायक सुकून का वातावरण होता है।