मैं टीवी कम देखता हूं. न्यूज चैनल भी नहीं. इसलिए नूपुर शर्मा ने ठीक ठीक क्या कहा था, या उसके पहले किसी मुसलिम प्रतिभागी ने क्या कहा, नहीं जानता. वैसे जब भाजपा ने उसके कथन और अंदाज को आपत्तिजनक मान कर उसे पार्टी से निकाल ही दिया (यह और बात है कि ऐसा मुसलिम देशों में हुई प्रतिक्रया के दबाव में किया) है, तो अब हम उस पर क्या बहस करें.

फिर भी… इतना पता है कि उसने हजरत मोहम्मद की सबसे छोटी बीवी आयशा की उम्र की बात उठायी थी. सभी जानते हैं कि विवाह के समय बेगम आयशा की उम्र बहुत कम थी - संभवतः नौ वर्ष. मुस्लिम पैनलिस्ट ने शायद शिव के ‘लिंग’ की पूजा पर कुछ कमेंट किया या पूछा था. इस पर नूपुर शर्मा ने आयशा की बात उठा दी. और भाजपा ने तो लाचारी में कार्रवाई की, पर भाजपा की ओर झुकाव रखने और उसके विरोधियों से चिढ़ने वाले भी, जिनमें थोड़ी भी शर्मो हया बाकी है, मानते हैं कि नूपुर शर्मा ने भले ही असत्य नहीं कहा, पर उसका अंदाज गलत और इसलाम और उसके पैगंबर के लिए अपमानजनक था.

तो, यहीं पर उस प्रसंग से जुड़े और भारतीय- हिंदू परंपरा का एक तथ्य भी जान लीजिए. यह किसी (दिलीप मंडल) का फेसबुक पोस्ट है -

‘दस साल की फूलमनी मर गई, क्योंकि उसके 30 साल के पति ने उसके साथ जो किया उसमें ढेर सारा खून बह गया. केस कोलकाता हाईकोर्ट में गया. सिर्फ एक साल की सजा हुई, क्योंकि कानून तब तक ऐसे ही थे. जजमेंट का पहला पेज मैंने लगा दिया है. 1890 की इस घटना के बाद सहमति से सेक्स की उम्र अंग्रेजों ने 10 से बढ़ा कर 12 साल कर दी. हिंदू सवर्ण समाज ने विद्रोह कर दिया. नेतृत्व तिलक ने किया. बदमाश अंग्रेजों ने इनकी न सुनी. कानून बना रहा. सौ-सवा सौ साल पहले हम यहां थे.. इसीलिए चैदह सौ या पंद्रह सौ साल पहले के समाज और प्रथा पर बात करते समय ध्यान रखा जाए कि अपना समाज हाल के दिनों तक कहां था. बाल विवाह अब भी बंद कहां हुआ है? तिलक का तर्क था कि ‘नया कानून धर्म में हस्तक्षेप है.’