इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का देहांत 8 सितंबर 2022 को हुआ. राज परंपरा के अनुसार उनके बाद उनका प्रथम पुत्र चाल्र्य तृतीय इंग्लैंड के राजा घोषित हुए. रानी का मृत शरीर लोगों के दर्शनाथ मेनचेंस्टर हाल में रखा गया और उनका अंतिम संस्कार 19 सितंबर को बेहद भव्य तरीके से हो गया.

इंग्लैंड में संवैधानिक राजतंत्र है. परंपरागत रूप से राजा देश का प्रधान होता है लेकिन यह केवल एक शोभा का पद है. उसके पास नाममात्र के अधिकार होते हैं. शासनकार की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की होती है, जो जनता द्वारा चुन कर आते हैं. इस तरह जनता के प्रतिनिधियों से गठित संसद ही सारी विधायकी और कार्यपालिका के काम करती है. संसद से पारित बिलों पर रानी या राजा के हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से लिये जाते हैं. समय-समय पर प्रधानमंत्री राजा या रानी से मिल कर राज्य के क्रिया कलापों से उन्हें अवगत कराते हैं.

दिवंगत रानी का जन्म 1926 में हुआ था. पिता की मृत्यु के बाद छह फरवरी 1952 में उन्हें इंग्लैंड की गद्दी मिली. 70 साल तक उन्होंने राज किया. इतने लंबे समय तक गद्दी पर रह कर उन्होंने रानी विक्टोरिया के रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया. रानी एलिजाबेथ एक शक्तिशाली महिला रही थी. उनको राजकाज में रुचि थी और राजकाज के सारे गतिविधियों की जानकारी वे प्रधानमंत्री से लेतेी रहती थीं.

इंग्लैंड में राजशाही की सीमाओं को वे अच्छी तरह जातनी थी. आधुनिक प्रजातंत्र में राजा के पद को कायम रखना कठिन काम तो होता ही है, इसलिए उन्होंने 1952 से अपनी निजी संपत्ति पर टैक्स देना आरंभ कर दिया था. उनको यह भी अनुभव था कि आम लोगों को उनके मामले में रुचि रहती है. इसलिए 1970 से राज परिवार के नियमित जीवन को टेलिवीजन में दिखाने की अनुमति उन्होंने दे दी. उसके बाद चाल्र्स और डयना की शादी और दूसरे राज परिवर के उत्सवों का टीवी में प्रसारण शुरु हो गया.

1990 के दशक में राज परिवार के सामने कठिन समय आया. इसका सामना भी रानी ने साहस के साथ किया. चाल्र्स और डायना का तलाक, राज भवन में भयानक आग का लग जाना तथा चाल्र्स के दूसरे बेटे हेनरी का राजपद छोड़ कर सामान्य जीवन स्वीकार करना जैसी घटनाएं रानी को विचलित कर गयी, फिर भी वे डटी रहीं.

रानी की मृत्यु से ब्रिटेनवासी दुखी हैं. उनके अंतिम दर्शन तथा संस्कार के समय लोग लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहे. इन दृश्यों को देखते हुए यह प्रश्न उठना सहज ही है कि क्या सदियों से राजतंत्र में रहते हुए लोगों को उसकी आदत बन गयी है या सचमुच वे रानी के प्रति बहुत श्रद्धा रखते हैं, या अपनी परंपराओं को निभाने का वे कर्तव्य निभा रहे थे.

देश में शासन व्यवस्था संवैधानिक होने के कारण चुने हुए लोग ही शासन को चलाते हैं, केवल शोभा के लिए या परंपराओं को बनाये रखने के लिए राज परिवार के शानो शौकत, उनकी सुरक्षा तथा उनके उत्सवों पर जनता का पैसा खर्च करना कहां तक उचित है? संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति का पद भी ठीक इसी तरह का होता है. राष्ट्रपति शासन कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है या नीतियों को बनाने में कोई सुझाव ही दे सकता है. प्रथम नागरिक होने के नाते कानून पारित होने के लिए उनका हस्ताक्षर जरूरी होता है.

आम जनता को विशिष्ट लोगों के व्यक्तिगत जीवन में रुचि रहती है. इसीलिए डायना और चाल्र्स का तलाक ब्रिटेन में ज्यादा चर्चा का विषय रहा है. उसके बाद राजकुमार हैरी का साधारण अमेरिकन अभिनेत्री से शादी करना और बाद में राजपद को छोड़ कर आम आदमी की तरह जीविका तलाशना भी उनको चकित कर देने वाला था. यही कारण है कि राज परिवार पर आधारित ‘नेट फिलिस्क’ का सीरियल ‘क्राउन’ को भी लोगों ने बढ़ चढ़ कर देखा.

जिस राजतंत्र के बंदिशों को स्वीकारने में असमर्थ डायना ने अपने पति से तलाक ले लिया और उसका पुत्र हैरी ने राजकुमार का पद छोड़ कर सामान्य जीवन को स्वीकार किया, वैसे राजतंत्र को वहां की जनता कब तक संजोये रखेगी, यह देखने का विषय होगा.