औरत के प्रति पुरुष की मानसिकता शायद कभी नहीं बदलने वाली बात हो गयी है, चाहे वह कितना भी शिक्षित हो जाये, आधुनिक और सभ्य कहलाये. भारतीय पुरुषों में तो जातीगत अहंकार भी रहता है. उंची जाति का पुरुष अपने को सर्वश्रेष्ठ समझता है और औरत को भोग की वस्तु या उसकी आज्ञा का पालन करने वाला एक गुलाम. औरत के प्रति ऐसा दृष्टिकोण सरकारी नारों से जाने वाला नहीं हैं. पुरुष की इसी मानसिकता को दिखाती है इंडियन एयर लाईस में घटी हाल की घटना.

न्यूआर्क से भारत आ रही जहाज के बिजनेस क्लास में यात्रा कर रहे शंकर मिश्रा नामक व्यक्ति को अपने पीछे की सीट पर बैठी एक महिला पर पेशाब कर अश्लील हरकत करने का का शौक हुआ. शराब के नशे में तो था ही, कहा जा रहा है कि उसने कुछ ज्यादा ही शराब पी ली थी और इस स्थिति में ऐसी हरकत कर बैठा. महिला के कपड़े और सामान पेशाब से भींग गये और दर्गंध फैल गया. जहाज कर्मियों ने आनन फानन में महिला को बदलने के लिए कपड़े दिये और सामान पर स्प्रे कर दिया और महिला के मना करने के बावजूद उस व्यक्ति को उस महिला के सामने लाकर माफी मंगव

इस पूरे प्रकरण में यह बात उभर कर आती है कि उस व्यक्ति के द्वारा किया गया वह काम साधारण सी गलती है जो एक शराब किया व्यक्ति कर सकता है और माफी मांग लेने से ही उसका अपराध खत्म हो जायेगा. दूसरी बात विमानकर्मी या यात्रा कर रहे दूसरे लोगों को यह नहीं लगा कि वह व्यक्ति नशे के कारण ऐसा नहीं किया. यदि नशे में था तो वह किसी पुरुष पर भी पेशाब कर सकता था. वास्तव में उस व्यक्ति की समझ यह थी कि औरत कमजोर होती है. उसके साथ दुव्र्यवहार किया जा सकता है और वह चुप रह जायेगी. इससे उसके पुरुष अहंकार की तुष्टि हो जाती है. यही कारण है कि जहाज के लोगों ने उस व्यक्ति का विरोध नहीं किया. उसे सुरक्षा कर्मियों को नहीं सौंपा.

इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि जहाज में शराब परोसना नहीं चाहिए. इसके अलावा हवा में उड़ते जहाज में इस तरह की घटना घटे तो जहाजकर्मियों के लिए कोई स्पष्ट नीति होनी चाहिए. विमान के कर्मचारियों ने दिल्ली पहुंच कर भी इस घटना की शिकायत पुलिस में नहीं की. 26 नवंबर को घटी इस घटना को पीड़ित महिला ने एक पत्र के द्वारा इंडियन एयर लाईस के उच्चधिकारियों को बताया कि इस घटना से वह कितनी आहत और अपमानित हुई. तब जाकर इंडियन एयर लाइंस के अधिकारियों ने इसकी शिकायत पुलिस में की. अपने कर्मचारियों को सेवा से हटाया. घटना के 42 दिन के बाद पुलिस अपराधी को पकड़ पायी.

अपराधी पर मुकदमा चलेगा. शायद उसको सजा भी हो जाये, लेकिन क्या इससे स्त्री के साथ होने वाली इस तरह की आपराधिक घटनाओं में कमी आयेगी? ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है. औरतों के प्रति, उसके शरीर के प्रति पुरुषों में कितनी जुजुप्सा है, कितनी दूषित दृष्टि है, इसका पता इस तथ्य से होता है कि विकसित देशों में कई कंपनियां इस तरह के यूरिनल बना कर बेचती हैं जिसमें बेसिन का आकार स्त्री के खुले मुंह की ही तरह होता है. यह महज विकृति नहीं, स्त्री के प्रति पुरुष के मन में बसी दूषित मानसिकता का परिचायक है. शंकर मिश्रा ने यह गलती से नहीं की, उसके अंतर में स्त्री के प्रति जो घृणा या जुजुप्सा है, वह इस तरह प्रकट हुई है.