टीवी में एक विज्ञापन आता है. एक परिवार है, पिता अपने कमरे में लैपटॉप में क्रिकेट मैच देख रहे हैं. माँ अपने कमरे में अपने लैपटॉप में सिनेमा देख रहीं हैं. बेटी अपने कमरे में अपने लैपटॉप पर सोशल नेटवर्क में व्यस्त है और बेटा रसोई घर में अपने फोन पर किसी पाक शास्त्र विशेषज्ञ से रुमाली रोटी बनाना सीख रहा है. अचानक नेटवर्क चला जाता है. चारों अपने अपने लैपटॉप के साथ ड्राइंग रूम में आ जाते हैं और एक दूसरे से पूछते हैं कि ऐसा क्यों हुआ? पिता नेटवर्क की दिक्कत को समझते हुए दूसरी कंपनी का नेट ले लेते हैं. सभी के चेहरों पर खुशी का भाव और सब अपने लैपटॉप के साथ अपने कमरे में पहुँच जाते है. उस परिवार के लोग अपनी- अपनी मायावी दुनिया में खुश हैं. उन्हें एक दूसरे के साथ की जरूरत नहीं है. यह तो उस विशेष नेटवर्क देने वाली कंपनी का विज्ञापन है.

संवादहीनता की इस भयावह स्थिति को महसूस किया है मणगांव के लोगों ने. माणगाव महराष्ट्र के कोल्हापुर जिले का एक गाँव है. 15,000 लोगों के इस गाँव की पंचायत ने लोगों से अपील की है कि रात के सात बजे से साढ़े आठ बजे तक गांव के सभी लोग अपने घरों में टीवी तथा मोबाइल फोन बंद रखें, इससे परिवार के लोगों को एक दूसरे से बात करने का मौका मिलेगा. किताब पढ़ने की आदत बनेगी और बच्चों में मोबाइल की ललक को कम किया जा सकेगा. यही आगे चलकर लोगों का गाँव, समाज में हिलने मिलने तथा संवाद स्थापित करने में मदद करेगा.

मणगांव के सरपंच राजू मगदम का कहना है कि टेलीविजन तथा मोबाइल के नशे से कई तरह की पारिवारिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. इसलिए इस वर्ष 26 जनवरी के दिन पंचायत भवन में सरपंच सहित सभी सदस्य जुटे और इस समस्या पर गंभीरता से विचार किया और सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित किया कि सभी घरों के टीवी और मोबाइल हर दिन 7 बजे से साढे आठ बजे तक पूर्ण रूप से बंद रखे जाय. यह नियम 8 मार्च से शुरू होगा.

प्रारम्भ में यह नियम ऐच्छिक होगा. आगे भविष्य में इसे अनिवार्य बनाया जाएगा. अनिवार्य कर दिये जाने के बाद हर परिवार को पाँच अवसर दिये जायेंगे, छठी बार भी गलती करने पर परिवार के मुखिया पर सपंत्ति कर बढ़ा कर उसे सजा दी जायगी. केबल वाले को नियत समय पर केबल को काट देने को कहा गया. डीटीएच कनेक्शन वालों को अपने से ही नियत समय पर टीवी बंद करने के लिए कहा गया पंचायत घर के छत पर एक सायरन होगा जो समय पर तीन मिनट बजेगा और लोगों को अपने टीवी और मोबाइल बंद करने का संकेत देगा.

मणगांव पश्चिम महराष्ट्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यहीं पर 1920 के 21 मार्च को अबंेदकर तथा छत्रपति साहू महराज ने एक सम्मिलित सम्मेलन कर गाँव में छुआछूत बंद करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया था. मणगांव में ही सबसे पहले विधवाओं के लिए बने युगों पुराने नियमों के विरोध में प्रस्ताव लाया गया.

मणगाँव के लोग सामाजिक चेतना यक्ुत लोग हंै. उन्होंने टीवी तथा मोबाइल की रोक के लिए यह मुहिम चलाकर अपनी इसी चेतना का परिचय दिया है. साथ ही आठ मार्च अतंर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन से इसे शुरू करने का निर्णय कर उन्होंने औरतों के प्रति अपने सहयोग को स्पष्ट किया है.

मणगांव से प्रेरणा लेकर आस पास के चार पाँच गाँवों के पचंायतों में भी इस नियम को लेकर चर्चा चल पडी है और वे अपने गाँवों में भी इस तरह का नियम बना सकते हैं. इस तरह के प्रयास सामूूहिक रूप से तो हो सकते हैं और यदि कोई व्यक्ति चाहे तो स्व - अनुशासन से अपने को आत्म केंद्रित होने से बचा सकता है.