आगामी आम चुनाव के मद्देनजर विपक्ष ‘नरेंद्र मोदी के जवाब में कौन’? के सवाल से जूझ रहा है, तो उधर भी अंदरखाने मोदी के विकल्प पर चर्चा होती रही है. और ऐसा संभावित एक चेहरा आदित्यनाथ योगी हैं. क्यों? क्योंकि योगी में वह सब है, जो संघ की कल्पना का नया भारत गढ़ने के प्रोजेक्ट के अगले चरण के नायक में चाहिए. अभी तो उसके लिए मोदी जी ही तुरुप का पत्ता हैं, पर राजनीति में कब क्या हो जाये, कौन कह सकता है? और योगी जी ने तो 17 वर्ष पहले ही दस्तक दे दी थी. एक झलक- ‘मैं मुसलमानों के वोट चाहता हूं, लेकिन पहले उन्हें गंगाजल से धुल दीजिये’
इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार वर्गीज के जार्ज ने गोरखपुर में जारी योगी के चुनाव अभियान पर एक स्टोरी की थी, जिसमें उन्होंने योगी की चुनाव सभा तथा मुलाकात का विवरण पेश किया था.
गोरखपुर, 20 अप्रैल 2006
घड़ियां तो आम लोगों के लिए होती हैं. रात के 10 बजे से अधिक हो चले हैं. यह समय सीमा है, जो चुनाव आयोग ने सभाओं के आयोजन के लिए तय की है. इसका पालन लालकृष्ण आडवाणी को भी करना पड़ता है. लेकिन यहां जमा भीड़ को अपने प्रमुख वक्ता का इंतजार है. इस दौरान स्थानीय नेता श्रोता समूह को व्यस्त रखे हुए हैं. बाजारों में चलने वाली गपशप को तथ्य के तौर पर पेश किया जा रहा है- ‘सोनिया गांधी हिंदुस्तान की स्थाई नागरिक नहीं है’..एक वक्ता कहता है, ‘वह हर 5 साल पर अपनी नागरिकता का नवीनीकरण करती है.’ लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है- ‘आखिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय किस तरह जिहादी पैदा करता है और किस तरह हिंदुओं को अपमानित किया जाता है..’
लेकिन चिंता की बात नहीं, मुक्तिदाता आ गया है- योगी आदित्यनाथ. भाजपा का 32 साल का सांसद, जो गोरखपुर से जीतना चाह रहा है, टाटा सफारी में पहुंचता है और जिसके पीछे 25 से अधिक कारों का काफिला है. हवा में ‘जय श्रीराम’ नारे गूंजते हैं.
आदित्यनाथ अपने श्रोताओं को निराश नहीं करते- ‘मुझे सिर्फ हिंदुत्व के लिए वोट दीजिये, विकास के लिए नहीं.’ जाहिर है कि आदित्यनाथ अपनी पार्टी के आधिकारिक एजेंडे से बंधे हुए नहीं हैं. दरअसल पिछले दो सालों से जब से उन्होंने महंत अवैद्यनाथ के बाद गोरखनाथ मंदिर के उप प्रमुख का जिम्मा संभाला है, वह संघ परिवार के दायरे के बाहर अपने लिए एक स्वतंत्र हिंदुत्व की रियासत बनाने में मुब्तिला हैं. उनकी केसरिया प्रतिबद्धता साफ है और उसके अनुयाई बेखौफ हैं.
‘पूर्वांचल में रहना है तो योगी योगी कहना होगा’, वे चिल्लाते हैं. यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है. दूसरे दिन अपने कार्यालय में एक्सप्रेस संवाददाता से बात करते हुए उन्होंने खुल कर अपने विचारों को रखा था. ‘आप मुसलमानों की क्या भूमिका देखते हैं?’ हमने उनसे पूछा था. ‘हम उन्हें भगा नहीं सकते’, वह कहते हैं, ‘उन्हें मुख्यधारा से जुड़ना होगा.’ कैसे? वह इसका विवरण नहीं देते.
अपनी धमकी को पूरा करने के लिए आदित्यनाथ के पास ताकत है. उनके दो साल पुराने सांस्कृतिक संगठन ‘हिंदू युवा वाहिनी’ की शाखा समूचे इलाके में फैली है. उसने ब्लॉक स्तर पर दो दर्जन से अधिक हिंदू संगमों का आयोजन किया है और उनका आधार बढ़ रहा है, क्योंकि हिंदू जागृति से संबंधित किसी भी चीज में वे निर्णायक हैं.
पान चबाते हुए किसी मुस्लिम के मुंह से निकले छींटे हिंदू पर गिरे, तो तत्काल अपने बाहुबल के इस्तेमाल के लिए हिंदू युवा वाहिनी वहां थी. किसी मुस्लिम ने कथित तौर पर एक हिंदू स्त्री का बलात्कार किया और जब मुसलमान किसानों ने अपना खेत चर रहे बैल को मार दौड़ाया, वाहिनी के लोग हिंदू स्वाभिमान की रक्षा के नाम पर सामने आ गये.
गोधरा की हत्याओं के बाद आदित्यनाथ जोगी ने विशाल जनसभा में कहा था- ‘मैंने मोदी जी से बात की है और उनसे कहा है कि हमारी तरफ से एक विकेट गिरने पर दूसरे पक्ष के 10 विकेट लेना. अपने घरों पर केसरिया झंडा फहराइये और अपने आस-पड़ोस के मुसलमानों की संख्या गिनिये. हमें जल्द ही कुछ करना पड़ सकता है.’
जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, योगी की भाषा में मेलजोल बढ़ता जा रहा है- ‘मैं मुसलमानों के वोट चाहता हूं, लेकिन पहले उनको धुल दीजिये.’
इस नाम को याद रखिये. आने वाले वर्षों में आप योगी आदित्यनाथ का नाम अधिकाधिक सुन सकते हैं.