नेहरू जी 16 वर्ष प्रधानमंत्री रहे, एक बार भी चीन नहीं गए.

शास्त्री जी बहुत कम दिन प्रधानमंत्री रहे. चीन नहीं गए.

इंदिरा गांधी करीब 15 वर्ष प्रधानमंत्री रहीं. एक बार भी नहीं गयीं.

मोरारजी - नहीं गए.

राजीव गांधीय पांच वर्ष - एक बार.

नरसिंह राव - एक बार.

देवगौड़ा - नहीं गए.

गुजराल - नहीं गए.

वाजपेई - एक बार.

मनमोहन सिंह - दस साल में दो बार.

नरेंद्र मोदी नौ बार चीन की यात्रा कर चुके हैं. चार बार मुख्यमंत्री रहते हुए. पांच बार प्रधानमंत्री के रूप में.

कोई खास याराना!

अब याद आ रहा है. एनडीए सरकार में जॉर्ज फर्नांडीस रक्षा मंत्री थे. उन्होंने एक बयान दिया था कि पाकिस्तान नहीं, चीन हमारा शत्रु नंबर वन है. प्रधानमंत्री खुश नहीं थे. फिर कुछ लीपापोती हुई थी. क्या, याद नहीं. पर यह स्पष्ट था कि वाजपेयी सरकार चीन को नाराज नहीं करना चाहती थी.

अब मोदी जी का बयान याद करें- न कोई घुसा है, न कोई आया है. यानी सीमा पर कोई समस्या नहीं है!
एक और तथ्य- लद्दाख की एसपी पीडी विद्या इस वर्ष जनवरी में डायरेक्टर जेनरल पुलिस कांन्फ्रेंस में शामिल होने दिल्ली आयी थीं. वहां उन्होंने एक रिसर्च पेपर रखा था. उसके मुताबिक चीन सीमा पर स्थित हमारे 65 पेट्रोलिंग प्वायंट में से 26 पर हमारी सेना पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही है. उस रिसर्च पेपर को वेब साइट से हटा दिया गया है.

सच यह भी है कि मोदी जी के कार्यकाल में चीन के खिलाफ सर्वाधिक नारे लगे, चीन के बने सामान के बहिष्कार का ‘संकल्प’ भी लिया गया, साथ ही चीन के साथ हमारा व्यापार भी बढ़ता गया है. यह बताना गैरजरूरी है कि व्यापार संतुलन चीन के पक्ष में है, यानी, हम निर्यात के मुकाबले चीन से आयात अधिक करते हैं.