1984 में बजरंग दल की स्थापना विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने की थी. 1984 में उत्तर प्रदेश में राम जानकी रथ यात्रा निकाली गई थी. बजरंग दल का गठन राम जानकी यात्रा के समय हुआ था. बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद बजरंग दल को प्रतिबंधित कर दिया गया था. 1993 में बजरंग दल पर से जब प्रतिबंध हटा लिया गया तो, यह स्थानीय संगठन न रह कर , फिर से कई राज्यों में सक्रिय संगठन बन गया. प्रतिबंध हट गया, तब से बजरंगिओं को सड़क छाप फसाद करता हुआ देख सकते हैं.
अभी नूंह और मेवात के विध्वंसक गतिविधियों के संदर्भ में बजरंग दल के नेताओं का नाम चर्चित हुआ है. सबसे ज्यादा चर्चा बजरंग दल के नेता मोनू मानेसर की हुई है, जिस पर राजस्थान पुलिस ने पहले से ही हत्या का एक मुकदमा कर रखा है.
नूह मेवात के दंगाई वातावरण में 6 लोगों की हत्या हुई है और अनेक मुसलमान के बिजनेस सेंटर और घर को सरकार ने बुलडोजर से गिरा दिया है.
इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि जिन लोगों ने जल अभिषेक के लिए यहां आए लोगों के ऊपर ढेले चलाए, उनके अवैध घरों को गिराया गया.
इस एक तरफा एक्शन में नीचे से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दखल दी है.
इस खबर विश्लेषण का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है, कि बजरंग दल के किसी नेता के बारे में कभी शायद ही सुना जाता है.
1993 के बाद बजरंग दल को एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन बना दिया गया है जिसके संयोजक होते हैं. नीचे प्रखंड स्तर पर भी संयोजक होते हैं. बजरंग दल की उम्र सीमा 40 वर्ष है, परंतु ऊपर की समितियां में 45 वर्ष तक के लोग भी रह सकते हैं.
सेवा सुरक्षा और संस्कार को अपना मकसद बना कर बजरंग दल राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है. दंगाई विवाद उठा कर आक्रमण करने वाला यह मशहूर ग्रुप है. इसकी कोई टीम ऐसी नहीं है जिसमें जाहिर तौर पर विश्वसनीय नाम हों. स्थानीय स्तर पर हुल्लड़ बाज लड़कों को जुटा लिया जाता है.
बजरंग दल की गतिविधियों में एक है धर्म परिवर्तन किये लोगों का संस्कार करके वापस हिंदू धर्म में मिलना और गायों की रक्षा. कई दफा गाय के नाम पर व्यक्तियों की हत्या करके बजरंग दल चर्चित हो जाता है. सड़कों पर घेर घार कर हमला, (मॉब लिंच) इनका नियमित काम है.
इस नाम पर बजरंग दल के लोगों ने अनेक जगहों पर गाय की तस्करी का आरोप लगाकर कई जगह मॉब लिंचिंग करवाया.
इसी तरह विश्व हिंदू परिषद में एक दुर्गा वाहिनी बनाई है जिस 35 वर्ष की युवतियों और महिलाओं को सदस्यता की जाती है.