दक्षिण भारत के स्पेस सेंटर के डबल स्क्रीन पर दिखा - इसरो का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरने को था। धरा से अंग्रेजी में एक उत्तेजना गगन में गूँज रही थी - “बस! दिल थाम कर बैठो। इतिहास बनने को है - कुछ ही सेकंड का फासला है!” लेकिन अचानक स्पेस सेंटर के एक स्क्रीन पर चंद्रयान की अंडाकार रेखाओं के ऊपर से नीचे उतरती रेखाओं में तब्दील टिमटिमाते गति-प्रगति के चलंत ग्राफिक्स दृश्यमान होने लगे और बगल के स्क्रीन पर झलकते अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के चेहरे गायब हो गये। उनके स्थान पर सनातनधर्म के ‘प्रभु’ अपने राजनीतिक भेस में अवतरित हो गये और देश भर के मीडिया चैनलों में ‘नमो नाम केवल’ का मंत्र-जाप चलने लगा।

तभी उत्तर भारत में गाय-गोबर बेल्ट के स्पेस सेंटर के डबल स्क्रीन पर दृश्य-श्रव्य का सर्वथा अनोखा धारावाहिक ‘खेला’ चलने लगा। एक स्क्रीन पर चन्द्रयान के लैंडिंग प्रॉसेस-प्रॉग्रेस के पिक्चर, तो उसके रू-ब-रू दूसरे स्क्रीन पर हॉलीवुड की अंग्रेजी फिल्म ‘बैक टू द फ्यूचर’ की तर्ज पर ‘फॉरवर्ड टू द पास्ट’ का हिंदी श्रव्य-दृश्य! ऑडियो-वीडियो का एक स्क्रीन पर ‘एक्चुअल’ शॉट और बगल के दूसरे स्क्रीन पर ‘रियल’ शॉट! वर्ड्स फॉर्म में इसका संक्षिप्त यानी काट-छांट के बाद कट-पेस्ट किया गया शाब्दिक शॉट्स इस प्रकार थाः

एक्चुअल-1 फ्रेंड्स, अपनी 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 लैंडर ने ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की है। सॉफ्ट लैंडिंग यानी बेहद आराम से। और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत यानी इंडिया ने बड़ी छलांग लगा दी। क्योंकि दुनिया का कोई भी मुल्क अब तक चांद के इस हिस्से पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हो पाया है।

रियल-1 मेरे प्यारे परिवार जनो, यह महान् गौरव का क्षण है। हमारे ‘सैटेलाइट’ बाबा पुनः अवतरित हो गये हैं। नयी पीढ़ी इन्हें अच्छी तरह से पहचान ले। आज से महज 22-24 साल पहले यही ‘सैटेलाइट’ बाबा सुर्खियों में आये थे।

एक्चुअल-2 चंद्रयान-3 का ‘शेप’ उपकरण चंद्रमा की परिक्रमा करता रहेगा और सुदूर ब्रह्मांड में पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज करता रहेगा। यह अन्य ग्रहों के स्पेक्ट्रो पोलिमेट्रिक संकेतों का पता लगाकर पृथ्वी के समान जीवन वाले ग्रहों की तलाश करेगा। शेप तीन से छह महीने तक चंद्रमा की परिक्रमा करेगा।

रियल-2 वह 20वीं सदी के अवसान का टाइम था। सैटेलाइट बाबा उर्फ स्वामी शिवाजी मार्गदर्शी उर्फ प्लानेट बाबा उर्फ गुरुजी उर्फ बेरोजगारजी उर्फ…का उदय हुआ। ग्रहों को शांत करने के उनके यज्ञ-कार्य का आधुनिक व्यावसायिक नाम था - ‘सैटेलाइट सिस्टम ऑफ अंडरस्टैंडिंग’ और ‘ट्रांसिडेंटल मेडिटेशन ऑफ विजुअलाइजेशन’। यह देख-सुनकर उस समय के हिंदी-भाषी नासमझ तो क्या अंग्रेजी भाषी बड़े-बड़े समझदार भी चक्कर में आ गये थे। वह भी अर्थ के चक्कर में पड़े बिना!

एक्चुअल-3 चंद्रयान यह शेप उपकरण प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे ‘एस बैंक पॉन्डर’ पर एकत्रित जानकारी को ‘इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क’ तक पहुंचाता रहेगा।

रियल-3 सैटेलाइट बाबा की चर्चा बिहार के बाहर पहुंच चुकी थी। क्योंकि उस दौरान सेंट कीट्स मामले सहित विभिन्न घपलों-घोटालों में फंसे अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बाबा ‘चन्द्रास्वामी’ ने सैटेलाइट बाबा से संकटमुक्ति का मंत्र मांगा था। सैटेलाइट बाबा कहते थे कि “चन्द्रास्वामी उनके गुरुभाई हैं। उन्होंने संकटमुक्ति के लिए आध्यात्मिक मदद मांगी है। सो इस दिशा में काम शुरू हो चुका है।”

एक्चुअल-4 चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल में स्थापित ‘पेलोड’ में एक रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर (संक्षेप में ‘रंभा’) चंद्रमा की सतह पर ‘प्लाज्मा’ घनत्व की जांच करेगा। यानी यह वहां आयनों और इलेक्ट्रॉनों के स्तर और समय के साथ उनमें होने वाले बदलावों का अध्ययन करके जानकारी इकट्ठा करेगा।

रियल-4 सैटेलाइट बाबा की शोहरत कुछ और बुलंदी पर थी, क्योंकि बाबा स्वयं अखबारी कागज घोटाले में फंसे थे और इनको दबोचने के लिए सीबीआई अपना घेरा कस रही थी। वैसे, तब तक सीबीआई चार बार उनसे पूछताछ कर चुकी थी। बाबा तीन अखबारों - ‘बेरोजगार’, ‘पंच’ और ‘फ्रीडम फाइटर’ - के मालिक थे। उन अखबारों को किसने देखा या पढ़ा यह खोज का विषय उस वक्त भी था और आज भी है, लेकिन बिहार सहित देश के हिंदी पट्टी में कुकुरमुत्तों की तरह फैलते अंग्रेजी पतों पर टिका मानुस जान चुका था कि अखबार बेचने के नाम पर कोरे कागज बेचने का फर्जी धंधा करते-करते शिवाजी प्रसाद सिंह नाम का व्यक्ति ही ‘बड़का’ सैटेलाइट बाबा बन गया। लोकप्रियता के संदर्भ में सैटेलाइट बाबा उसी वक्त एक अद्भुत नमूना बन गये थे। और, आज जाहिर हो गया कि लोकप्रियता काल विशेष की राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक आदि परिस्थितियों की उतरती-चढ़ती लहरों पर सवार होती है। सैटेलाइट बाबा को कितने लोग पूछते थे, यह सवाल बेमानी है। इम्पोर्टेंट सवाल यह कि अब उन्हें कितने लोग पूजेंगे।

एक्चुअल-5 लैंडर में लगा एक और उपकरण आईएलएसए (इंस्ट्रुमेंट फॉर लूनर सिस्मिक एक्टिविटी) चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों का अध्ययन करेगा। यह लैंडर के लैंडिंग स्थल पर होने वाली भूकंपीय गतिविधि की जांच करेगा। यह भविष्य में चंद्रमा पर इंसानों की मौजूदगी और निवास के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण प्रतिदिन पृथ्वी पर सैकड़ों भूकंप आते हैं। भूकंप की पहचान सिस्मोग्राफी से ही होती है। यही स्थिति चंद्रमा पर भी है।

रियल-5 आज भी बिहार-झारखंड में ऐसे बाबाओं की भरमार है। इतने नाम की गिनती मुश्किल। जितने सुनाम, उससे ज्यादा बदनाम। जितने बदनाम उतना ही विस्तुत उनका बाबागिरी का धंधा! जब सैटेलाइट बाबा का नाम बुलंदी पर था, उस वक्त और भी कई ‘नाम’ चलते थे। जैसे, बलराम बाबा (पटना), जगमोहन बाबा (रांची), नागा बाबा (सोनपुर), पशुपति बाबा (पटना), खड़सरी बाबा (रोहतास), बाल्टी बाबा (गोपालगंज), नाथ बाबा (बक्सर), नारायण बाबा (बक्सर), गीता बाबा (सासाराम), पेंहारी बाबा (तिलौथ), त्रिदानंद महाराज (बक्सर), जंगली बाबा (धनबाद), बहरिया बाबा (भोजपुर), सदाचारी बाबा (मिथिलांचल), पायलट बाबा (रोहतास), स्वामी केशवानंद (जामनगर)…।

एक्चुअल-6 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कई ज्वालामुखी हैं और यहां की जमीन बेहद ऊबड़-खाबड़ है। चंद्रयान-3 ने चांद की सतह की जो ताजा तस्वीरें भेजी हैं, उनमें भी गहरे गड्ढे और उबड़-खाबड़ जमीन नजर आ रही है।

रियल-6 कुछ बाबाओं के नाम ऐसे थे जिनके कारनामों की चर्चा राज्य और राष्ट्र की सीमा पार कर चुकी थी। इनकी कतार में ही खड़े थे - खोपड़िया बाबा, लाठी बाबा, लकड़िया बाबा, ढोलक बाबा, नाच बाबा, भूतनाथ बाबा……। यथा नाम तथा गुण! जैसे गुण वैसे काम। सिर्फ यह नहीं कि बहरिया बाबा बहरे थे, खड़सरी बाबा सदा खड़े रहते थे, या ढोलक बाबा ढोलक बजाते हुए और नाच बाबा नाचते हुए भक्तों को बेसुध् करते थे या लकड़िया बाबा लकड़ी के पट्टे पर ही बैठते-सोते थे या भूतनाथ बाबा भूत नचाते थे, बल्कि अधिसंख्य के ‘नाम’ उनकी कई अतीत-गाथाओं से जुड़े थे। जैसे, वे शैतान थे, अब साधु बने। बाल्टी बाबा चोर थे। एक दिन एक औरत के साथ बलात्कार किया। बाल्टी लेकर भागे और बाल्टी बाबा बन गये। दीपा सिंह क्रिमिनल थे। गांवों में मवेशी चुराना और राहजनी इनका पेशा था। पुलिस ने पीछा किया। चार साल भागते फिरे। अन्ततः एक दिन लौटकर गांव में एक स्थान पर खड़े हो गये और खड़सरी बाबा बन गये। स्वामी केशवानंद तो तीन साल पहले बालात्कार के आरोप में गिरफ्तार भी हुए….।

यानी अधिकांश बाबाओं के कुकर्मो से लिप्त अतीत ने उनकी वर्तमान छवि को धूमिल नहीं किया, उल्टे महिमा मंडित करने में मदद की। उनके अतीत ने उनके वर्तमान ‘चमत्कारों’ को चार चांद लगाया!

एक्चुअल-7 चांद का दक्षिणी ध्रुव करीब ढाई हजार किलोमीटर चैड़ा है और ये आठ किलोमीटर गहरा गड्ढे के किनारे स्थित है, जिसे ‘सौरमंडल’ का सबसे पुराना ‘इंपैक्ट क्रेटर’ माना जाता है। इंपैक्ट क्रेटर से आशय है - किसी ग्रह या उपग्रह में हुए उन गड्ढों से है जो किसी बड़े उल्का पिंड या ग्रहों की टक्करों से बनता है।

रियल-7 यह तो जगजाहिर है कि आज भी कई बाबाओं के आलीशान आश्रम आपराधिक गतिविधियों एवं भोगविलास के अड्डे हैं। वहां आध्यात्मिकता की रहस्यमय चकाचैंध में अर्थ-व्यापार, हथियारों की तस्करी और सुरा-सुंदरी का खेल चलता है। लाखों रुपए का चढ़ावा चढ़ता है। कुछ बाबाओं के ट्रस्ट हैं, तो कई बाबाओं ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम विभिन्न बैंकों में लाखों करोड़ों रुपए का बैंक-बैलेंस जमा कर रखा है। अपराध और आध्यात्मिकता के बीच का फर्क मिटाने वाला यह खेल अभावग्रस्त एवं असहाय समाज में अबाध गति से जारी है।

एक्चुअल-8 चंद्रयान की सफल लैंडिंग से चीन-जापान सहित अमेरिका और अन्य देशों को चांद पर कमाई का मौका नजर आने लगा है। दुनिया के कई देश चंद्रमा पर इंसानों को भेजने की योजना बना रहे हैं। व्यावसायिक लाभ के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय स्पेस एजेंसियां चांद की सतह के नीचे पानी तलाशने की अपनी-अपनी व्यावहारिक कोशिशों को तेज करने लगी हैं। ..

रियल-8 22 साल पहले से क्लीयर यह पहलू अब देशव्यापी हो गया है कि दिनोंदिन बाबाओं की संख्या बढ़ रही है और समाज के प्रभु लोग उन बाबाओं के इर्द-गिर्द भक्तों की भीड़ बढ़ाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं। अधिसंख्य बाबाओं का सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि उनके भक्तों की कतार में कई-कई छोटे-बड़े राजनेता, अभिनेता, आईएएस एवं आईपीएस पदाधिकारी, डाक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी और उद्योगपति खड़े नजर आते हैं। कई न्यायाधीश बाबाओं के चरणों में शीश झुकाते हैं। उन बाबाओं के आश्रमों में राजनीतिक विचार-विमर्श होता है। राजनीतिक फैसले होते हैं। प्रशासनिक आदेश-निर्देश सूत्रबद्ध होते हैं। तमाम तरह की लूट और उससे बेदाग बचने के मंत्र बांचे जाते हैं। न्याय की ‘निष्पक्ष प्रक्रिया’ की प्रेरणा दी जाती है।

बलराम बाबा के भक्तों में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र से लेकर राबड़ी सरकार के तत्कालीन मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव, जनता दल विधयकदल के नेता गणेश प्रसाद यादव, सूचना जनसम्पर्क विभाग के निदेशक रामचन्द्र चैधरी जैसे मूर्धन्य लोग थे। ये बाबा खुद कहते थे - “उच्च न्यायालय और सर्वोच्य न्यायालय के कई जज हमारे शिष्य हैं।” उनका दावा था कि ललित नारायण मिश्र (स्व.) कोई भी राजनीतिक फैसला करने के पहले उनसे राय लिया करते थे। पटना आये भाजपा नेता (उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री) कल्याण सिंह और बलराम बाबा का ‘राजभवन’ में खींचा गया रंगीन फोटो 1883 में काफी चर्चित हुआ। सैटेलाइट बाबा की तत्कालीन मुख्यमंत्राी लालू प्रसाद के निवास तक ‘पहुंच’ अपने समय की बड़ी खबर थी। वह कहते थे कि 1970 में वह मुख्यमंत्री स्व. दारोगा प्रसाद राय को भी उबार चुके हैं। एक और बाबा यानी जगमोहन बाबा प्रचार से खुद को दूर बताते हुए कहते थे कि “अमिताभ बच्चन, गायक अनूप जलोटा, पटना उच्चन्यायालय के न्यायाधीश और अब केरल उच्चन्यायालय के मुख्य न्यायाधीश यू. वी. सिंह जैसे दिग्गज उनके भक्त हैं।”

एक्चुअल-9 स्पेस साइन्स और टेक्नोलॉजी से संपन्न देशों के पूंजीपतियों ने यह अनुमान लगा लिया है कि अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर रहने के लिए पानी की जरूरत होगी। पृथ्वी से चंद्रमा तक पानी पहुंचाना एक बेहद महंगा सौदा है। क्योंकि पृथ्वी से एक किलोग्राम सामान चांद पर ले जाने की कीमत एक मिलियन डॉलर है। इस हिसाब से प्रति लीटर पीने के पानी की कीमत 1 मिलियन डॉलर है। इसलिए ये पूंजीपति अब अपनी पूंजी इन्वेस्ट करने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में उतर रहे हैं। ये व्यवसायी निश्चित रूप से चंद्रमा की बर्फ को अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पानी उपलब्ध कराने के अवसर के रूप में देख रहे हैं।

रियल-9 यही वह टाइम था, जब बाबाओं और राजनीतिज्ञों के बीच का सम्बंध दिनोंदिन गहराने और अन्योन्याश्रित होने का रहस्य भारतीय लोकतंत्र के आईने में कुछ साफ तौर से पहचाना जाने लगा था।

यह स्पष्ट हो गया कि बिहार और देश में आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक संचालकों के सूत्र बाबाओं के ‘चमत्कारों’ से बंधे हैं। ऐसे में अभाव में भी अपनी आस्था और आनंद को जिंदा रखने के लिए तत्पर आम जन इन बाबाओं के आशीर्वाद के लिए दौडें, तो आश्चर्य क्या? ये बाबा संचालकों को श्रदधा देते हैं और आर्थिक-राजनीतिक संरक्षण प्राप्त करते हैं। पूरे देश की राजनीति का आधर ‘जाति’ है और सत्ता पर कब्जा ‘वोट बैंक’ पर निर्भर है। देश में हर पार्टी की एक न एक जातिगत पहचान है और ‘वोट बेस’ बढ़ाकर सत्ता पर काबिज होना ही उनका लक्ष्य है। बाबाओं की और उनके पास जमा भक्तों की ‘भीड़’ की जातिगत पहचान राजनेताओं को उन तक पहुंचने के लिए प्रेरित करती है। बलराम बाबा राजपूत हैं। तो पैहारी बाबा कोयरी हैं। उनकी ‘जाति’ सम्बद्ध जातिवाले श्रदधालुओं को खींचती है और उनके ‘चमत्कारों’ का मुफ्त प्रचार अन्य जाति के लोगों को भी खींच लेता है। ऐसे लोगों से जुड़कर राजनेता अपने-अपने ‘वोट बैंक’ मजबूत करते हैं।

एक्चुअल-10 स्पेस साइंटिस्टों ने धरती के टॉप अमीरों को भविष्य में चांद के टॉप अमीर बनने के मद्देनजर इन्वेस्टमेंट करने के लिए यह फॉर्मूला पेश किया है कि पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं में तोड़ा जा सकता है, जिनका उपयोग रॉकेट प्रोपेलेंट्स के रूप में किया जाता है। लेकिन इसके पहले हमीं यह जानना है कि चंद्रमा पर कितनी बर्फ है? किस रूप में है? और क्या इसे कुशलतापूर्वक निकाला जा सकता है और पीने के पानी के रूप में शुद्ध किया जा सकता है या नहीं?

रियल-10 गौरतलब तथ्य यह है कि देश में बाबाओं की धूम तब से बेहद बढ़ी, जबसे कई राजनीतिज्ञ बाहुबली अपराधी बन गये और अपराधी राजनीतिज्ञ हो गये। बाबाओं के तेजी से फलने-फूलने का दौर तब आया जब ‘राजनीति के अपराधीकरण’ और ‘अपराध के राजनीतिकरण’ पर चली बहसें मंद होते-होते बेमानी हो गयीं। वोट की राजनीति के जरिये लोकतंत्र उस मुकाम पर पहुंच गया, जहां राजनीतिज्ञ और अपराधी के बीच का फर्क मिट गया! इससे समाज और राजनीति में जो ‘शून्य’ पैदा हुआ, उसने अनगिनत बाबाओं को तेजी से फलने-फूलने का चमत्कारिक अवसर पैदा किया! सो तब से ‘चमत्कारी’ बाबा सुर्खियों में हैं और अब ‘चमत्कार को नमस्कार’ करने का ट्रेंड रॉकेट की रफ्तार पकड़ चुका है!”