टीवी के विभिन्न चैनलों पर राम के प्रति अपने आस्था, विश्वास, भक्ति को प्रकट करने की एक प्रतिस्पर्धा छिड़ी हुई है। आरएसएस एवं भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित २२ तारीख को अयोध्या के नव निर्मित मंदिर में राम की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम ने पूरे देश में एक भय का वातावरण बना दिया गया है। सारी सड़कें, गलियाँ या यों कहें पूरा शहर रामनामी झंडों से भर गया है। जिधर नजर उठाओ राम ही राम हैं। “जय श्री राम” के नारे की गूंज दिल को दहलाने लगी है। एक शोर सा लगने लगा है, जिसमें से भक्ति कहीं खो गई है। यह नारा आज रणभेदी का आभास दे रहा है। राम से कभी किसी को परहेज भी नहीं रहा है, और होना भी नहीं चाहिए, क्योंकि ये हमारे जीवन में कोई आज तो आए नहीं हैं। सैकड़ों वर्षों से हमारे साथ ही तो हैं। पूरे देश में आज से नहीं सैकड़ों वर्षों से गली-गली में, लाखों राम मंदिर भरे पड़े है। कभी तो इसके बारे में कोई हाय तौबा नहीं मची। तो फिर आज क्या हो गया है?

अब यह स्थापित हो गया है कि आज राम में वोट को आकर्षित करने की चुंबकीय शक्ति आ गई है। सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने अपने दस वर्षों में देश में कोई काम तो किया नहीं, तो इस चुंबकीय नाव पर स्वर हो कर बैतरनी पार करना चाह रही है (2024 के लोकसभा चुनाव )। उसके लिए उसने पूरे देश को राम मंदिर के मुद्दे पर केन्द्रित कर सारे मुद्दों से भटका दिया है। लोग बस राम की माला जप रहे हैं और सारे परेशानियों से आगे निकल जाने की बात में मस्त हो रहे है। सारी कठिनाइयों का एक ही इलाज- “जय श्री राम”। न कुछ दिखाई दे रहा है, न कुछ सुनाई दे रहा है। एक नशे की स्थिति है, जिसमें तथाकथित रामभक्तों का विवेक कहीं खो गया है। सत्तारूढ़ दल के इस इरादों में देश भर के चैनल लगातार हल्ला कर एक आक्रामक वातावरण बनाने में लगें हैं। वो कह रहे हैं- “राम आएंगे”। राम जैसे यहाँ कभी थे नहीं। बस अभी-अभी ही आने वाले हैं। सैकड़ों वर्षों से हम जिस राम की कथा सुनते आयें हैं, वो अभी 22 जनवरी 2024 को आएंगे।

हमारे देश भारत में रामचरित मानस, वाल्मीकि रामायण एक श्रेष्ठ श्रेणी के साहित्यिक कृति होते हुये भी एक धार्मिक ग्रंथ की तरह स्थापित हैं। सैकड़ों वर्षों से हर दशहरे में रावण दहन होता है तो गाँव-गाँव में रामलीला होती है। तो ये कौन से राम हैं जो अभी आ रहे हैं। राम कहाँ से आ रहे हैं? वे बस, हवाई जहाज, पैदल चल कर आ रहे या और कुछ? उनका कोई ईमेल आया है कि वे आ रहे हैं या कोई फोन आया है? कैसे पता चला कि वे चले आ रहे हैं? जनता को बेवकूफ बनाने के प्रयास में लगे ये टीवी चैनल लगातार कहे जा रहे है कि वे राम को लाएंगे? अगर सही में राम आने वाले हैं तो इन्हें पता कैसे चला? इनकी शक्ति या इनका नेटवर्क इतना मजबूत है क्या कि वो राम के आने की सूचना दें, या राम को कहीं से ले आए, जैसा कि ये वादा कर रहे हैं। राम यहाँ नहीं थे तो कहाँ थे? पूरे देश में पूजा किनकी हो रही थी।

साथ ही टीवी चैनल यह भी प्रचार में लगें हैं कि, हम उनको लाएंगे जो राम को लाये हैं। क्या है यह? जिस भारत की धरती के कण-कण में राम पहले से ही बसे है, उनको कौन ला रहा है? जिस राम की कहानी, हमारे चारों ओर बिखरी पड़ी है उसको लाने की अचानक क्या जरूरत पड़ गई है। सवाल कई हैं लेकिन आज जवाब देने का समय है ही नहीं। कोई जवाब देने वाला है भी नहीं। केवल सवाल हैं, जवाब कुछ नहीं है। राम अगर यहाँ नहीं थे तो आज तक किसकी पूजा हो रही थी।

अयोध्या में निर्माणाधीन राममंदिर के पूरा बने बिना ही, अधूरे मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ढोंग और देश भर में राम के प्रति झूठे माहौल बनाने की कोशिश राम के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल है। चाटुकार मीडिया का मोदी जी का चारण गान कर आरएसएस और बीजेपी के षड्यंत्रों को पूरा करने की कोशिश में लगी है, आज उसके भ्रामक प्रचार से बचाने और उनके अपराध को गंभीरता से लेने की जरूरत है।