मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि कांग्रेस दिल्ली विधानसभा के चुनाव में हासिल क्या करना चाहती है? अपना खोया आधार वापस पाकर नये सिरे से खड़ा होना चाहती है, या अरविंद केजरीवाल को नुकसान पहुंचाने की नीयत से जानबूझ कर भाजपा को फायदा पहुंचाना चाहती है? मुझे तो दूर-दूर तक कांग्रेस की जीत, यानी बहुमत हासिल करने की कोई संभावना नजर नहीं आती. इसका मतलब यह कि कांग्रेस को जितनी भी सफलता मिलेगी, जितने वोट मिलेंगे, जितनी सीटें मिलेंगी, ‘आप’ की कीमत पर ही यानी इसका लाभ भाजपा को मिलेगा. क्या यह एहसास राहुल गांधी और कांग्रेस को नहीं है?

बेशक केजरीवाल और ‘आप’ का राजनीतिक सफर कांग्रेस के विरोध से शुरू हुआ. बेशक उस ‘अन्ना आंदोलन’ में संघ और भाजपा की भूमिका भी थी. आज केजरीवाल भले ही दिल्ली में भाजपा के मुकाबले चुनाव लड़ रहे हैं, जीत भी रहे हैं. इसी कारण सामाजिक न्याय, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता आदि के पक्ष में दिखना भी मजबूरी हो गयी है! हालांकि मुझे लगता है, ‘आप’ की जीत का कारण ‘आप’ सरकार के जनहित के कुछ काम भी हैं. इसी कारण दिल्ली में भाजपा समर्थक मतदाता भी ‘आप’ को वोट दे देते हैं. फिर भी कांग्रेस यदि उस अतीत को याद कर ‘आप’ को कमजोर करना चाहती है, तो यह एक रणनीति हो सकती है या पुरानी टीस का असर भी. लेकिन देश में मोदी-भाजपा के लिए चुनौती और विकल्प बनने का प्रयास करते हुए, दिल्ली में चुनाव में उसके प्रयास का लाभ भाजपा को मिले, यह उसकी दूरगामी या तात्कालिक राजनीति का भी हिस्सा कैसे हो सकता है? तो आखिर कांग्रेस हासिल क्या करना चाहती है?