हमारे इलाके (भागलपुर) में काला मुंह वाला बंदर पाया जाता है. देह के गठन में लाल मुंह वाले बंदर से बड़ा. उसे हलमान (हनुमान) कहते हैं. झुंड में गांव पर ‘आक्रमण’ करते हैं और फल-सब्जी चट कर भाग जाते हैं. पहले फूस और खपड़े के घरों पर कूद कर बुरी तरह नुकसान पहुंचाते थे. इतने आक्रामक कि बच्चों और महिलाओं से एकदम नहीं डरते. कमजोर कद-काठी के अकेले मर्द भी घबराते थे. पूरी तैयारी से उनको खदेड़ा जाता था, अभी का हाल नहीं मालूम. उनके झुंड का एक सरदार होता है, जिसे हम ‘खेखंटा’ कहते थे.

डोनाल्ड ट्रम्प का अंदाज देख कर लगता है, वह मौजूदा विश्व का असली ‘खेखंटा’ है. अगले दिन क्या करेगा, किसको हड़कायेगा, किसे उठा कर अमेरिका से निकाल बाहर करेगा, कब किस देश को क्या धमकी देगा या क्या पाबंदी लगा देगा, कोई नहीं कहा सकता. पत्रिका.कॉम की खबर है- अमेरिका में एक लाख भारतीय समेत 8 लाख परिवारों की अटकीं सांसें, छुट्टी पर भेज कर ‘नौकरी से छुट्टी’ तो नहीं कर देंगे ट्रम्प?

आज, 26 जनवरी को भास्कर की खबर है- अमेरिका में एक लाख भारतीयों की नौकरी पर खतरा मंडराया.श् एक और खबर है- श्ट्रंप के फरमान से 180 देश को 5 लाख करोड रुपए की मदद बंद.

ऐसे ‘खेखंटा’ से सावधान और बच कर रहने में ही भलाई है. अपने देश के ‘भक्त संप्रदाय’ को शायद अभी यह एहसास नहीं हुआ है, पर उनके ‘अवतार’ को तो हो गया लगता है! उसने भारतीय ‘घुसपैठियों’ (शायद 18 हजार) की सूची जारी कर कह दिया कि इनको ‘डिपोर्ट’ करेंगे.

किसी भी देश को ऐसा करने का अधिकार है. आप बिना अनुमति और गलत तरीके से किसी देश में घुस कर रहेंगे, तो यह खतरा रहेगा ही. मगर भारत ने जितनी आसानी से कह दिया कि ठीक है, वे हमारे नागरिक हैं, तो हम उनको स्वीकार कर लेंगे, यह थोड़ी हैरानी की बात है,

खास कर मोदी और ट्रम्प की ‘दोस्ती’ के मद्देनजर. वैसे अंदरखाने की खबर (अब ‘सूत्र’ के बारे में मत पूछियेगा) यह है कि धीरे से यह रिक्वेस्ट किया गया है कि भेज तो आप दीजियेगा ही, लेकिन इसे बिना शोर शराबे के भी तो कर सकते हैं! झूठो बदनामी होगी!

एक बात और- अचरज की बात है कि ट्रम्प जब इस तरह जलील करने पर उतारू है, तो अमेरिका में बसे ‘भारतीय’ खुद ही वापस क्यों नहीं चले आते! क्या उनको लगता है कि भारत के विकास का सरकारी दावा एकदम झूठ है!