पीएम केयर्स को एक ट्रस्ट के रूप में गठित किया गया है, जिसके चेयरमैन प्रधानमंत्री को बनाया गया है और इसमें वित्त मंत्री एवं रक्षा मंत्री को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। इस ट्रस्ट में किसी विपक्षी दल एवं नागरिक समाज के प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है। जाहिर है कि इस फंड का उपयोग गैर पारदर्शी एवं पक्षपातपूर्ण तरीके से होने की पूरी संभावना है।
हाल में नरेन्द्र मोदी ने एक पीएम केयर्स फंड के निर्माण की घोषणा की है, जिसमें करोड़ों रू. के दान मिलने शुरू हो गए हैं। मोदी ने इस फंड में महिलाओं से अपने सोने के जेवर भी दान करने की अपील की है।
ज्ञात हो कि 1948 में ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय रिलीफ फंड की स्थापना की गई थी, जिसका लक्ष्य देश विभाजन की विभीषिका के शिकार लोगों की सहायता करना था। अभी इस फंड में करीब 3,800 करोड़ रू. जमा है। आज के समय में इस फंड का उपयोग प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए और बेघर हुए लोगों तथा अन्य दुर्घटनाओं व दंगों में पीड़ित लोगों की सहायता करने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा असहाय और निर्धन लोगों के लिए हार्ट सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लाइटेंशन और कैंसर के इलाज जैसे आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं में मदद देने हेतु भी किया जाता है। यह फंड भी पूरी तरह जन सहयोग पर निर्भर है। इसके कोष में वाणिज्यिक बैंकों एवं अन्य एजेन्सियों द्वारा भी निवेश किया जाता है। इसके कोष से निकासी प्रधानमंत्री की सहमति से ही संभव होती है। फिर भी नरेंद्र मादी ने अलग से प्रधानमत्री सिटिजन असिस्टेंट एडं रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन्स (पीएमसीएआरईएस) नामक फंड बनाने का निर्णय लिया।
ऐसा संभवत: इसलिए किया गया कि इस पर पूरी तरह नियंत्रण मोदी सरकार के हाथों में रहेगा और यह जीपीएमएनआरएफ की तरह पारदर्शी भी नहीं होगा। इसका आडिट सीएजी द्वारा नहीं किया जायेगा। कोई मामूली चार्टर्ड एकाउटेन्ट भी इस फंड की आडिट कर सकता है। इसमें विदेशी एजेन्सियां भी योगदान कर सकती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व बैकं ने इस फडं मे 1.5 लाख करोड़ डाॅलर का योगदान किया है। मोदी के कई चहेते उद्योगपति भी कारपोरेट सोशल रेसपान्सिबिलिटी (सीएसआर) इस फंड में योगदान करके ही पूरा कर रहे हैं, ताकि उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकें।
केन्द्र सरकार ने 31 मार्च को एक अध्यादेश भी लागू किया है, ताकि इस फंड में दान करने वालों को धारा 80 के तहत आयकर में छूट का लाभ 30 जून, 2020 तक मिल सके। पीएम केयर्स को एक ट्रस्ट के रूप में गठित किया गया है, जिसके चेयरमैन प्रधानमंत्री को बनाया गया है और इसमें वित्त मंत्री एवं रक्षा मंत्री को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। इस ट्रस्ट में किसी विपक्षी दल एवं नागरिक समाज के प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है। जाहिर है कि इस फंड का उपयोग गैर पारदर्शी एवं पक्षपातपूर्ण तरीके से होने की पूरी संभावना है।