श्री नरेन्द्र मोदी

प्रधान मंत्री

महोदय,

स्टैन स्वामी की रिहाई की अपील

8 अक्टूबर को नैशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) ने रांची से 83-वर्षीय फादर स्टैन स्वामी को भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया. यह गिरफ़्तारी अत्यंत निंदनीय है.

स्टैन दशकों से झारखंड के आदिवासियों एवं मूलवासियों के हक़ में आवाज उठाते आये हैं. उन्होंने विस्थापन, प्राकृतिक संसाधनों पर समुदाय के अधिकार और विचाराधीन कैदियों की स्थिति पर बेहद शोध परक काम किये हैं. वे लगातार संविधान की पांचवी अनुसूची एवं पेसा कानून के क्रियान्वयन के लिए भी अभियान करते आये हैं. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति लगातार जागरुक किया है. उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानने वाले अनेक प्रसिद्ध शोधकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवि और राजनैतिक नेता उन्हें विशेष कर एक सज्जन, ईमानदार और जन-हित में काम करने वाले इन्सान के रूप में जानते हैं.

स्टैन स्वामी ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने NIA की कार्यवाई में पूर्ण सहयोग किया, जब NIA ने स्टैन स्वामी से उनके आवास स्थानपर पांच दिनों तक कुल 15 घंटे पूछ-ताछ की. उन्होंने यह भी कहा कि वे और पूछ ताछ के लिए भी तैयार है. इसके बावज़ूद एक 83 वर्षीय व्यक्ति को, जो न तो पूछताछ से कतरा रहे थे और न कहीं फ़रार होने की स्थिति में थे, गिरफ्तार करना अत्यंत निंदनीय है.

यह भी चिंताजनक है कि भीमा कोरेगांव मामले में स्टैन समेत देश के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों को, जो आदिवासी, दलित और वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्षत रहे हैं, माओवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में पहले महाराष्ट्र पुलिस और अब NIA की कार्रवाई हमारे लोकतंत्र पर एक काला धब्बा है.

मैं आपसे अपील करता हूँ कि स्टैन स्वामी के विरुद्ध भीमा-कोरेगांव के फ़र्ज़ी केस को तुरंत बंद करे और उन्हें अविलम्ब रिहा करे. साथ ही साथ, इस मामले में गिरफ्तार किए गए सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और बुद्धिजीवियों को भी तुरंत रिहा करें और लोकतंत्र की गरीमा को पुनः स्थापित करें.

इस मामले ने फिर से उजागर किया है कि किस प्रकार UAPA का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. हमारे लोकतंत्र में UAPA जैसे कानून की कोई जगह नहीं है. इसे रद्द किया जाए. साथ ही, NIA की नियमावली में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया जाए कि वह सम्बंधित राज्य सरकार की सहमती के बिना किसी प्रकार की कार्यवाई उस राज्य में न कर सके.

आशा है आप हमारे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों से विपरीत हो रही ऐसी कार्यवाई को तुरंत रोकेंगे.

धन्यवाद,

बंधु तिर्की.