श्वेत बहुल अमेरिका में एक अश्वेत व्यक्ति का राष्ट्रपति बनना अनहोनी ना भी हो, लेकिन असाध्य जरूर था. ओबामा ने इस कार्य को कर दिखाया, तो वह उनकी प्रतिभा और राजनीतिक समझ ही थी. उनकी पत्नी होने के कारण मिशेल देश की प्रथम महिला बनी. दक्षिणी शिकागों की एक सामान्य लड़की का प्रथम महिला बनने का सफर भी अनूठा ही है. मिशेल के माता पिता सामान्य आर्थिक स्थिति वाले थे. मिशेल तथा उसके भाई क्रेग के पालन-पोषण के लिए मां घर पर ही रहती थी. पिता शिकागो के एक पानी पंप में पानी की आपूर्ति का काम करते थे. मिशेल ने जीवन का पहला पाठ अपने माता पिता से ही पढ़ा. मां ने अक्षर ज्ञान कराया, तो पिता ने संगीत कला तथा खेलों में उसकी रुचि बढ़ाई. प्यानो बजाना और गाना उसने अपने घर के नीचे रहने वाली महिला से सीखा जो मां की रिश्तेदार भी थी. वे एक निष्ठावान शिक्षिका थी और वे अपने टूटे हुए पियानो पर मोहल्ले के बच्चों को संगीत की शिक्षा देती थी.
इस तरह सीमित साधनों में पली बढ़ी मिशेल हमेशा अपने को, अपनी प्रतिभा को तौलती रहती थी. वह अपने से यह प्रश्न पूछती थी - ‘एम आई गुड एनफ? यस आई एम.’ इस प्रश्न और उसके जवाब से हमेशा उसका आत्मविश्वास बढ़ जाता था. मिशेल के माता पिता बच्चों के सहज विकास में विश्वास रखते थे. बच्चों के क्रिया कलाप में वे ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते थे. वे जानते थे कि हर जगह माता पिता बच्चों की समस्याओं के समाधान के लिए उपलब्ध नहीं हो सकते. बच्चों को ही बपनी समस्याओं का समाधान ढ़ूढ़ना है और आगे बढ़ना है. मिशेल अपनी अंदर की ताकत को जानती थी, इसलिए आईवी लीग स्कूल में गोरे बच्चों के साथ वह सहज रही और अपनी जगह बना पायी. प्रिस्टन विवि में भी गोरे विद्यार्थियों के साथ पढ़ते हुए उसने अपने इसी आत्मविश्वास का परिचय दिया.
पिता के सीमित साधनों में बच्चों के अच्छे स्कूल में पढ़ाना संभव नहीं था. इसलिए मिशेल की मां ने नौकरी करनी शुरु की. मिशेल अपने घर की आर्थिक स्थिति को वह समझने लगी थी. यही कारण था कि एक बार जब स्कूल ने विद्यार्थियों के लिए फ्रांस की यात्रा निश्चित की तो मिशेल ने घर पर नहीं बताया. वह माता पिता पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहती थी. लेकिन मिशेल की मां को इस बात का पता चला तो उसने मिशेल को डांटा और कहा कि पैसे की चिंता उसे नहीं करनी है. और फ्रांस की यात्रा पर उसे भेज दिया. मिशेल को जीवन की परिस्थितियों ने प्रारंभ से ही पैसे और समय का महत्व समण दिया था. प्रिस्टन में पढ़ते समय उसने थर्ड व्लर्ड सेंटर में नौकरी कर अपना खर्च निकालना शुरु किया. लाॅ की पढ़ाई करने पर भी वकालत नहीं कर उसने एक लाॅ फर्म में नौकरी शुरु कर दी. उसे अपनी कर्जे चुकाने थे. ओबामा से परिचय, शादी और बच्चे होने के बाद भी वह नौकरी करती रही. एक औरत के लिए आर्थिक स्वतंत्रता को वह अहम मानती थी.
बचपन से ही अश्वेत होने का दंश झेलती मिशेल को अश्वेतों के साथ होने वाले भेदभाव की पूरी जानकारी थी. वह यह भी मानती थी कि अश्वेतों के साथ होने वाले इस अन्याय का परिष्कार कोई सरकार नहीं करती है या कर सकती है. अश्वेतों को स्वयं ही आगे बढ़ कर इसका विरोध करना है. प्रारंभ से ही मिशेल राजनीति से दूर ही रही. लेकिन राजनीति में रुचि रखने वाले ओबामा से शादी कर प्रथम महिला बनने के बाद उसके उपर देश तथा समाज के दायित्व अपने आप आ गये. प्रथम महिला बनने के बावजूद भी मिशेल अपने जड़ों को नहीं भुला पायी. उसे या उसके परिवार को जो विशेष सुविधायें मिली थी, उनको वह ज्यादा से ज्यादा समाज उपयोगी बनाना चाहती थी. उसके सामने अब केवल अश्वेतों का प्रश्न नहीं, पूरा अमेरिकी समाज था.
अमेरिका में बच्चों के खान पान के दोषों के चलते मोटापा बढ़ रहा था और कई तरह के रोग हो रहे थे. खान पान में सुधार के लिए उसने लोगों में बागवानी करने, हरी सब्जियों को उगाने और ज्यादा से ज्यादा ताजे चीजों को अपने भोजन में सम्मिलित करने को प्रेरित किया. डब्बा बंद भोजन या शीतल पेय में प्रयोग होने वाले ज्यादा नमक तथा चीनी से बचने की सलाह दी. इन खाद्य पदार्थों को बनाने वाली कंपनियों के अधिकारियों से बात कर इनमें सुधार लाने की कोशिश की. भोजन में सुधार का सबसे पहला प्रयोग उसने घर यानि राष्ट्रपति भवन से ही किया. मिशेल यह मानती थी कि राजनीति और सामाजिक कामो से जुड़े रहने के बावजूद उसकी प्राथमिकता उसकी दोनों बेटियां हैं. वह हमेशा यह कोशिश करती थी कि विशिष्ट परिवार होते हुए भी उसके परिवार में सहजता रहे. रात का भोजन सब साथ-साथ करते थे. उस समय पति पत्नी बच्चों के साथ घरेलु बातें करते थे. मिशंेल की इच्छा थी कि उसकी बेटियां सुरक्षा कवच में रहते हुए भी स्कूल में अन्य विद्यार्थियों की ही तरह रहे. पढ़े लिखे, दोस्तों के साथ खेले, छुट्टियों में दोस्तों के साथ बाहर जाये, आईसक्रीम खाये. बड़ी बेटी माल्या जब 16 वर्ष की हुई तो उसे कार चलाना सिखाया गया. उसे डेट पर जाना था तो मिशेल तथा ओबामा उसे दरवाजे तक छोड़ने आये थे. छोटी बेटी जब स्कूल में खेल कूद में भाग लेती थी तो मिशेल तथा ओबामा उसे देखने जाते थे. इस विशिष्ट जीवन की समय सीमा को मिशेल जानती थी. इसके समाप्त होन के बाद उनको सामान्य जीवन जीना था, तो इसकी तैयारी भी वह रखती थी.
राष्ट्रपति भवन में ओबामा तथा मिशेल के सहयोग करने के लिए सहायकों का एक बड़ा दल होता था. छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अफसर तक सबके साथ मिशेल का व्यवहार मित्रवत था. वह राष्ट्रपति भवन में प्रजातंत्र लाना चाहती थी. सभी कर्मचारियों से बात करना, उनके परिवार के बारे में पूछना, उनके सुख दुख में शामिल होना ओबामा दंपत्ति का काम था. प्रथम महिला के रूप में मिशेल ने सैनिकों और उनके परिवार वालों की भलाई के लिए भी अनेक काम किये. मुख्य रूप से घायल सैनिकों के ईलाज का ध्यान रखना, सैनिक की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी के लिए नौकरी की व्यवस्था करना या उनके बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करना वह अपना कर्तव्य मानती थी.
ओबामा के समय राष्ट्रपति भवन सबों के लिए खुला हुआ था. मिशेल अपने पुराने मित्रों को वहां बुलाती थी. स्कूलों के बच्चे वहां आते और बागवानी में मदद करते. मिशेल से प्रभावित कई लड़कियां उनसे मिलने के लिए वहां आती थीं जिनका मिशेल स्वागत करती थीं और उनकी समस्याओं को सुनती थीं. मिशेल एक आदर्श पत्नी और मां ही नहीं, अपने देश के लोगों के लिए एक प्रिय प्रथम महिला बनीं.