युवा समाज व देश के भविष्य होते हैं। इस मानव संसाधन को स्वस्थ, शिक्षित, दक्ष और रोजगार में लगा कर उत्पादक बनाना ही देश को संपन्न, समृद्ध, विकाशसील, ताकतवर और शांतिपूर्ण बनता है। लेकिन हमारे देश में मानव संसाधन के पोषण और विकास की पिछले कुछ दशकों में घोर उपेक्षा की गई है। देश की आधी आबादी आज कुपोषित, बीमार, अशिक्षित, अदक्ष, बेरोजगार या अल्प-रोजगारी है।
मोदी सरकार ने आठ सालों में युवाओं के साथ बेहिसाब नाइंसाफी की है। जानबूझ कर, सुनियोजित तरीके से नौकरियां समाप्त की गई है और रोजगार के रास्ते बंद किये गए हैं। पूरी पीढी को दिहाड़ी मजदूर बना दिया गया है। ऊपर से स्किल इंडिया, स्वरोजगार जैसे नए-नए जुमले से हेडलाइन बटोरने की कुंठा इन बेरोजगार युवकों के जले पर नमक छिड़कने का एहसास दिलाता रहा है।
सनद रहे कि प्रधान मंत्री ने वोट मांगने के समय हर साल दो करोड़ नए नौकरियों का वादा नौजवानों से किया था जिसकी जगह लोगों की पुरानी नौकरियां भी चली गयी। इस सरकार ने नोटबंदी, लॉकडाउन और आधे-अधूरे विध्वंसकारी निर्णयों से छोटे और मझोले उद्योगों की कमर तोड़ दिया जहां सबसे ज्यादा रोजगार मिलता था। सरकारी उपक्रमों को अपने मित्र-उद्योगपतियों के हाथ दे कर भी सम्मानजनक रोजगारों का खात्मा तेजी से किया गया है।
जहां एक ओर सरकार संसाधनों का अभाव दिखा कर रोजगार की कमी का औचित्य बताती है वहीं प्रधान मंत्री के दफ्तर, आवास, हवाईजहाज, गाड़ियों के काफिले, हजारों की संख्या में सुरक्षा कर्मी जैसे मद में लाखों करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं।
इन घोर विडंबनाओं के बीच जब दो सालों से रेलवे, अर्धसैनिक बल, केंद्र व राज्य सरकारों के विभाग आदि में भर्तियां न के बराबर हुई हों, रातों रात फौज के लाखों नियमित भर्तियों की जगह चार साल के ठेका भर्ती की घोषणा ने इन नौजवानों के सारे धैर्य का चकनाचूर होना किसी आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए।
महासभा सरकार से मांग करता है कि नौजवानों के साथ न्याय करे। अग्निपथ जैसे घटिया प्लान को निरस्त कर नियमित भर्ती जल्द से जल्द करे। साथ ही युवाओं को आश्वस्त करे कि सरकार सिर्फ मित्र-पूंजीपतियों और सत्ताधारी दल के नेताओं व परिवारों के लिए ही नहीं बल्कि वुवाओं के लिए भी सोंचती है।
महासभा देश के सभी राजनीतिज्ञों, प्रबुद्ध जनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी आग्रह करती है कि युवाओं के पीड़ा, अवसाद, भविष्य-शून्यता व रोष के प्रति संवेदना पूर्वक व्यवहार रखते हुए उनके भविष्य निर्माण में सहयोग करें।