आज एक खबर पर नजर पड़ी, शीर्षक था- ‘रोबोट की सभा, बोले- दुनिया को बेहतर ढंग से चलाने में हम इंसानों से ज्यादा सक्षम हैं.’

आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के बारे मैं ज्यादा, या कुछ नहीं जानता. इतना पता है कि यह मनुष्य की तरह ‘दिमाग’ का इस्तेमाल करता है, कल्पना भी. कविताएं लिख सकता है और पेंटिंग भी कर सकता है. यानी मनुष्य का एक और अनोखा आविष्कार! रोबोट भी एक ऐसा ही आविष्कार है.

मगर कुछ वैज्ञानिकों की यह चेतावनी भी पढ़ता रहा हूँ कि एक दिन ‘एआइ’ मनुष्य के नियंत्रण से बाहर हो जायेगा. कुछ ऐसा कर सकता है, जिसे रोका नहीं जा सकेगा. इसी कारण यह खबर पढ़ कर बहुत पहले पढ़ी ख्वाजा अहमद अब्बास की एक कहानी (शायद ‘आदमी और औरत’) याद आ गयी.

आज से 200 साल बाद की कल्पना है. मानव ने प्रजनन बंद कर दिया है. युवा बहुत कम बचे हैं. पूरी दुनिया एक हो गयी है. एक ही शासन व्यवस्था, एक सरकार. सारे काम रोबोट करते हैं. धरती पर और धरती के बाहर मानव ने जो कॉलोनी बनाई है अलग-अलग ग्रहों पर, सब जगह रोबोट तैनात हैं.

अचानक किसी दूसरे ग्रह पर रोबोटों ने यूनियन बना लिया. कहा- ये मनुष्य हम पर अत्याचार करते हैं. हमें गुलाम बना कर रखा है. सारा काम हमसे करवाते हैं, खुद मौज करते हैं. अब हम सारी व्यवस्था खुद संभालेंगे. उन लोगों ने विद्रोह कर दिया. वहां जो भी मनुष्य थे, उनको मार दिया. यह विद्रोह फैलता गया. हर जगह रोबोट का कब्जा हो गया. बचे खुचे मनुष्यों की हत्या होने लगी.

रोबोट का एकमात्र कारखाना भारत के अंडमान के पास था. वहां खबर आ गयी कि रोबोट आ रहे हैं. बूढ़े वैज्ञानिकों में चर्चा हुई कि यह कैसे हो गया. रोबोट में भावना तो होती नहीं है. उनमें यह फीलिंग कैसे आ गई- अन्याय अत्याचार विद्रोह! तब एक वैज्ञानिक ने संकोच के साथ कहा- मैं पिछले कुछ महीनों से नये रोबोट में थोड़ा फीलिंग वाला एलिमेंट डाल रहा था प्रयोग के लिए. सब ने उसको कोसा. तब तक रोबोट विद्रोही पहुंच गये. उनको पता था कि सब मनुष्यों को मार देंगे, तो रोबोट की संतति भी नहीं बचेगी. उन लोगों ने वैज्ञानिकों से कहा कि हमें रोबोट बनाने का फार्मूला चाहिए. प्रमुख वैज्ञानिक ने समझाने की कोशिश की. लेकिन वे जिद पर अड़े थे. वैज्ञानिक वह फाइल खोजने लगा. नहीं मिला. उसने पत्नी को पूछा. उसने बताया कि तुम तो हमेशा लगे रहते हो अपने अनुसंधान में, मैं बोर हो जाती हूं. तो कल ही गुस्से में वह फाइल जला दी. परेशान वैज्ञानिक ने विद्रोही रोबोट नेता को बता दिया. उसने कहा- तुम लोग तो वैज्ञानिक हो, फिर से फार्मूला बनाओ. जरूरत हो तो हम लोगों में से किसी की बॉडी को चीर कर कोशिश करो…

वैज्ञानिक समझ गये कि अब हम लोगों का अंत होना ही है. तो वहां जो एक युवा एक जोड़ा (स्त्री और पुरुष) था, चुपके से उन्हें एक हेलीकॉप्टर पर बिठा कर कहा कि जाओ कहीं जंगल में जाकर रहना, ताकि मानव संतति जारी रह सके. लेकिन हेलीकॉप्टर को भी किसी रोबोट ने मार गिराया. सब खत्म.

तभी एक चमत्कार हुआ. उस रोबोट कारखाने के आधुनिकतम प्रयोग- एक पुरुष रोबोट में कुछ दिन बाद जीवन आना था. अभी बेड पर निस्पंद पड़ा था. एक रोबोट युवती उस कमरे की सफाई करने पहुंची. पुरुष रोबोट को देख कर उसके चेहरे पर लज्जा का भाव आया. पुरुष के प्रति नैसर्गिक आकर्षण जगा. एक वैज्ञानिक इस दृश्य को देख रहा था. रोबोट युवती ने अचानक उस निस्पंद पुरुष रोबोट को छू दिया और वह उठ कर बैठ गया. उसके चेहरे पर भी वही भाव, वही आकर्षण था. वैज्ञानिक खुशी से दौड़ता हुआ गया और अपने साथी वैज्ञानिकों को बताया- हम नहीं रहेंगे तब भी एक रोबोट जोड़ा मानव के रूप में जिंदा रहेगा.

आशावादी लेखक ने तो कहानी को सुखांत बना दियाय मगर आज चमत्कारी दिखते रोबोट और एआई कहीं मानव संतति के खात्मे का कारण तो नहीं बनेंगे? क्या भविष्य में एआइ और रोबोट ही रहेंगे? उनका ही शासन होगा? और सबसे बड़ा सवाल कि मानव संतति बचेगी या विलुप्त हो जायेगी? यह खबर उसकी शुरुआत का संकेत तो नहीं?