पिछले दिनों छात्र.युवा संघर्ष वाहिनी, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, विस्थापित मुक्ति वाहिनी एवं स्वशासन समन्वय समिति की संयुक्त बैठक बांसा,चौका, सराइकेला, खरसावाँ में हुई. बैठक का विषय था ‘ग्राम सभा से ग्राम स्वराज’. चर्चा में जो बातें उभर कर आईए उसे हम संक्षेप में यहां रख रहे हैं.

ग्रामसभा लोकतंत्र की बुनियाद है परन्तु नौकरशाही इसे ख़त्म करने में लगी हुई है. आदिवासियों की सुरक्षा के लिए आदिवासी इलाके में 1996 में पेसा कानून बनाया गया, परन्तु यह अभी तक सरजमी में नहीं उतरा. 73 वें संविधान संसोधन के द्वारा ग्राम सभा के सशक्तिकरण के लिए ग्राम सभा एवं पंचायतों को 29 अधिकार सौंपे गये. लेकिन इस फैसल को भी अभी तक अमल में नहीं लाया गया गया है. वर्तमान सरकार एक कानून बना रही है ताकि ग्राम सभा को मजबूत किया जाए. वही दूसरी और यही सरकार ग्राम सभा को कमजोर करने में भी लगी है.इसका ताजा उदहरण है यह तथ्य कि पारंपरिक ग्राम सभा के साथ.साथ प्रशासन अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए एक समानांतर ग्राम सभा का गठन कर रहा है.

गांव को तोड़ने के लिए वार्ड सभा का निर्माण किया गया है. गांव के लोग पहले एक जगह बैठ कर विचार विमर्श किया करते थे. लेकिन अब वे वैसा नहीं कर सकते हैं. क्योंकि आज एक ही गांव को कई वार्ड में बाँट दिया गया है. ताकि गांव चाह कर भी एक न हो सके.

हम नारा देते हैं — ‘न लोकसभा, न विधानसभा, सबसे ऊँची ग्राम सभा’. परन्तु जब हम बोलते है कि ग्राम सभा लोकतंत्र की बुनियाद है तो हमें आज अपना नारा भी बदलना होगा और नया नारा होगा — ‘लोकसभा न विधानसभा, सबसे बुनियादी ग्राम सभा’.

सरकती तंत्र नहीं चाहता है कि ग्रामसभा मजबूत हो. क्योंकि यदि ग्रामसभा मजबूत होगी तब विधानसभा कमजोर हो जायेगी. उसकी शक्ति कम हो जायेगी. ऐसा न सरकार चाहेगी, न प्रशासन. इसलिए इसे मजबूत करने की जिम्मेदारी अब हम पर ही है.

अभी डोभा घोटाला, मनरेगा घोटाला, हर सरकारी कामो में कमीशन खोरी के कारण जनता का विश्वास सरकार से उठा गया है. इसलिए यह सबसे उपयुक्त समय है कि हम ग्राम सभा को मजबूत करने के काम में जुट जायें. हमारी मांग है कि वार्ड सभा को ख़त्म किया जाय।

ग्राम सभा के अधीन जाति.आय.आवासीय.जन्म.मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का अधिकार दिया जाय।

ग्राम सभा का अपना कार्यलय हो और इसके नियमित कर्मचारी भी हों. जनगणना और पशुगणना का जिम्मा ग्राम सभा को दिया जाय. सभी संबंधित दस्तावेजों की एक कापी ग्राम सभा के कार्यलय में भी होनी चाहिए. केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के बजट का अनुपातिक हिस्सा ग्राम सभा को भी दिया जाया.

इस संगोष्ठी में बांसा, खुंचीडीह, चिलगु, पहाड़पुर, लापाई, कदमझोर और कादलाकोचा के लोग उपस्थित थे.