वंचित वर्ग के बीच शैक्षणिक माहौल बनाना आज की विशेष जरूरत है। हरेक गांव, टोले, मोहल्लों में अध्ययन केंद्र की स्थापना करनी है तथा ज्ञान-विज्ञान एंव विचार-विमर्श का सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण बनाना है। इसी उद्देश्य से झारखंड मुक्ति वाहिनी की ओर से चिलगु, चांडिल के मितान जुमिद में 3 दिवसीय युवा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है, जो कल शुरु हुआ.
संगठन का मानना है कि वंचित वर्ग के बीच शैक्षणिक माहौल बनाना आज की विशेष जरूरत है। हरेक गांव, टोले, मोहल्लों में अध्ययन केंद्र की स्थापना करनी है तथा ज्ञान-विज्ञान एंव विचार-विमर्श का सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण बनाना है। आज का युवा वर्ग मोबाइल के जरिये जिस रफ्तार से तकनीक से जुड़ रहा है उसी गति से सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक स्तर से तालमेल नहीं बना पा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि वे अपने पाठ्यक्रम की किताबों के अलावे मैनेज किया गया अखबार-पत्रिकाएं, फेसबूक की आधी-अधूरी जानकारी और व्हाट्सएप के ज्यादातर मनमान ढंग से प्रेषित पोस्ट ही पढ़ते हैं। प्रायः उसे सच भी मान बैठते हैं।
इसी फोन में दुनिया भर की कई और खबरों को पढ़ा जा सकता है परंतु वे उस ओर नहीं जाते हैं। एक ही ढांचे में ढलते चले जाते हैं। पहले जो जिस ढांचे में घुस गया, जिसे वह पसंद करता है, उसी में उलझकर रह जाता है। यह मानसिक जड़ता का कारण भी है। इसी वजह से ज्यादातर सोशल मीडिया में न तो ठीक से चर्चा हो पाती है और न ही विचारों का आदान प्रदान होता है। अक्सर लोग बहस के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप एवं गाली-गलौज करते हैं।
युवाओं को इन सबसे जब फुर्सत मिलती है तो थोड़ा बहुत ध्यान कैरियर पर भी देते हैं। परंतु सीमित जानकारी एवं अपर्याप्त संपर्क के चलते इस दिशा में भी आगे बढ़ना कठिन हो जाता है। ग्रामांचल, कस्बों एवं शहर के निम्न मध्यम वर्गीय छात्रों युवाओं की यही कहानी है।
जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक वैसे ही टेक्नोलाॅजी भी है। अच्छी चीजों को ग्रहण करने के बजाय विकृतियों को अपनाने का एक नकारात्मक माहौल बन गया है।
आज जरूरत है जांच परखकर हर चीज को, हर खबर को, हर जानकारी को ग्रहण करना। आप किसी चीज को तब ही जांच परख सकते हैं जब आपके अंदर जांचने का सामर्थ्य हो और यह सामर्थ्य पढ़ने-लिखने और ज्ञान-विज्ञान से आता है। संपर्क और मेलजोल से भी आता है, विचार-विमर्श से भी आता है।