बस्तर/गढ़चिरौली। गढ़चिरौली मुठभेड़ पर उठते सवालों के बीच खबर आ रही है कि पुलिस ने जिन लोगों को माओवादी बताकर मार गिराने का दावा किया था उनमें से ज्यादातर निहत्थे और निर्दोष ग्रामीण हैं। जो कंससुर गांव की एक शादी में गए हुए थे। उन्हें सुरक्षा बल के जवानों ने सिर्फ नक्सली होने की आशंका पर गोलियों से भून डाला।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बोरिया या कंससुर के जंगल में इन्द्रावती नदी के तट पर हुए कथित मुठभेड़ के पास स्थित गट्टेपल्ली गाँव के 8 नौजवान युवक-युवतियां गाँव से लापता हैं, इसमें 5 लड़की और 3 लड़के हैं, ग्रामीण सूत्रों की मानें तो ये पास के गांव कंससुर एक शादी में गए थे। पास में पुलिस की गोली-बारी और उनके गांव में मौजूद नहीं होने की खबर जब ग्रामीणों को मिली तब वो लोग सक्रिय हो गए। उनका एक समूह मंगलवार को युवक-युवतियों के बारे में पूछताछ करने के लिए थाने पहुंचा। जहां से पुलिस ने उन्हें पुलिस मुख्यालय भेज दिया।
पुलिस के आला अफसरों ने ग्रामीणों तथा उनके परिजनों से ओरिजनल आधार कार्ड या फिर पासपोर्ट साईज का फोटो लाने के लिए कहा। ग्रामीणों ने जब आधार कार्ड की मूल प्रति पुलिस को उपलब्ध कराई तो उन्हें कुछ शवों की शिनाख्त करने के लिए कहा गया, लेकिन परिजन शव की शिनाख्त नहीं कर पाए क्योंकि पानी में काफी देर शवों रहने के कारण उनकी त्वचा पूरी तरह से निकल चुकी थी। आज ग्रामीण जिला पुलिस मुख्यालय गढ़चिरौली में मौजूद हैं। जहां पुलिस डीएनए परीक्षण के बाद शव सौंपे जाने की बात कह रही है।
ग्रामीण और उनके परिजन मान रहे हैं कि सुबह जब युवक-युवतियां शादी से लौट रहे थे तभी पुलिस ने उन्हें मार दिया है।
गट्टेपल्ली के लोग जो शादी में जाने के बाद घर लौट नहीं पाए उनके नाम हैं:
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मंगेश बुकलु आत्राम
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रासो पोछा मंडावी
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अंकित देवू गावड़े
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बुज्जी उसेंडी
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इरपा मंडावी
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मंगेश चुन्डू मंडावी
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रासो मंडावी
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नुसे पेदु मंडावी
आप को बता दें 8 लोगों में से मंगेश चुंडू मंडावी जो कि भामरागढ़ में 11वीं का छात्र है वो भी लापता है । बहरहाल शव पानी मे रहने के कारण छत-विछत है और इन 8 युवक-युवतियों की पहचान नहीं हो सकी है।
अपना नाम न लिखे जाने की शर्त पर एक शख्स ने बताया कि सुरक्षा बलों की नक्सलियों से जरूर भिड़त हुई थी, नक्सली मारे भी गए हैं, लेकिन जो नक्सली भागने में कामयाब हुए वो सीधे जहां शादी हो रही थी वहीं पहुंच गए। सुरक्षा बलों के जवानों ने शादी में शामिल लोगों पर नक्सली होने की आशंका में गोली चलानी शुरू कर दी। जिसमें कई बेगुनाह ग्रामीण भी मारे गए हैं। मीडिया में मुठभेड़ के बाद से ही नक्सलियों के टाप लीडर के मारे जाने की खबर परोस दी गई। जिससे पूरा मीडिया टॉप नक्सली लीडर के नाम जानने की होड़ में लगा रहा। किसी ने ये नहीं पूछा कि कोई आदिवासी ग्रामीण भी मारा गया है? इसी के चलते लाशों के मिलने का सिलसिला तीन दिन तक जारी रहा और पुलिस ने अब तक 39 शव बरामद कर लिए हैं।
सवाल यह है कि जब एक गांव के 8 नौजवान युवक युवतियां शादी में गये थे और फिर वहीं पुलिस के गोली के शिकार हो गए तो आस-पास के अन्य गांव के लोग भी उस शादी में गए हुए रहे होंगे। इस कथित मुठभेड़ की स्वतंत्र जांच की मांग क्रांतिकारी कवि वरवर राव समेत विभिन्न जन संगठन कर रहे हैं।
आप को बता दें बीते रविवार को महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा में गढ़चिरौली जिले के कंससुर के जंगल में सी कामंडो ने अपने दो दिन के नक्सल आपरेशन में 39 नक्सलियों को मारने का दावा किया था। खबरें आईं कि नक्सलियों के लगातार शव मिल रहे हैं जिसमें आधी से ज्यादा लाश इन्द्रावती नदी में तैरती मिली।
खबर यह भी है कि आस-पास के गांवों में दहशत का माहौल है, सुरक्षा बल के जवान गांव वालों को कह रहे हैं कि बाहर के व्यक्तियों को कुछ नहीं बताना। आस-पास के गांव वाले काफी डरे-सहमे हुए अपने लोगों की खोजबीन कर रहे हैं। वहीं एक अन्य जानकरी के अनुसार आस-पास के ग्रामीण युवक-युवतियां अब भी लापता हैं। सूत्रों के अनुसार बोरिया से तीन लड़कों को पुलिस उठा कर मुठभेड़ के एक दिन पहले ले गई थी जिसका अब तक पता नहीं है। मन्ने राजाराम गांव से भी कुछ युवक लापता हैं।
जानकारी हो कि पुलिस जिस मुठभेड़ का दावा कर रही है उसमें मारे गए लोगों मे से किसी का भी माओवादी रिकॉर्ड अभी तक नहीं है। ऐसे में एक गहरी साजिश की बू आ रही है। कहीं पुलिस एक काल्पनिक कहानी गढ़कर उसे नक्सलवाद से जोड़ने में तो नहीं लगी है।
(जनचौक.कॉम से साभार)