याद रखिये, हिन्दू साम्प्रदायिकता एक बर्रे का छत्ता है, जहर का खोता है, उसे खोदकर मत उकसाइये; नहीं तो, आप हम कहीं के नहीं रह जायेंगे। आज कांग्रेस की हुकूमत है, राष्ट्रीय सरकार है, तो भी हमारे प्रान्त में क्या हो रहा है? राजपूत, भूमिहार, कायस्थ, यादव, कुरमी आदि जातों की पार्टियां बन रही हैं। आपस की फूट है, तू-तू मैं-मैं है, लोग तबाह हैं। फिर जब हिन्दुत्व के नाम पर आप राज्य कायम करेंगे, तो उसमें कितने भेद-भाव होंगे, कितनी परीशानियां होंगी - आप सोच सकते हैं।
मुझे सुनने में आया है, हमारे बहुत से नौजवान भाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भर्ती हो रहे हैं। मैं साफ कहूं, यह आप गलत कर रहे हैं, आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं। आज मुसलमान समझने लगे हैं कि जिन्ना का रास्ता नाश का रास्ता है। किंतु, कितना बड़ा अफसोस कि हमारे भोले-भाले उत्साही नौजवानों को उसी नाश के रास्ते पर ले जाया जा रहा है! मैं अपने उन नौजवान साथियों से कहता हूं कि मैं आपका साथी हूं, आपका सेवक हूं। आपसे मैं पूछता हूं कि वह कौन-सी तस्वीर थी हमारे सामने, जिसने हमें घर की माया-ममता से खींचकर बलिदान के रास्ते पर ला खड़ा किया था? हमारा क्या उद्देश्य था हजारों तरह की मुसीबतें झेलकर आगे बढ़ने में? क्या आपलोगों ने उन दिनों यह सुना था कि आजादी की लड़ाई हिंदू राज्य कायम करने के लिए लड़ी जा रही है? क्या हमारे शहीदों के सामने यह हिन्दू या सिक्ख राज्य था? 1942 की क्रांति में जो नौजवान जंगल-जंगल घूमते रहे; जो नौजवान देश के बाहर नेताजी की फौज में शामिल हुए, क्या उनके दिमाग में हिन्दू राज था, मुस्लिम राज की तस्वीर थी? आजादी की लड़ाई इसलिए लड़ी गई थी कि हमारे गरीब देश के लोगों को भरपेट भोजन मिले, कपड़े मिले। हमारे लाखों भाई आज सड़कों के किनारे बाल-बच्चों को लेकर जिन्दगी गुजार रहे हैं। हम आजादी इसलिए चाहते थे कि सबके पास अच्छा घर हो और घर के अन्दर अच्छी गृहस्ती। एक अकाल आता है और लाखों आदमी मर जाते हैं। बंगाल के अकाल में 35 लाख आदमी मर गये। हम आजादी इसलिए चाहते थे कि एक ऐसा हिन्दोस्तान बनायें, जिसमें अकाल न हो, बीमारी न हो, गरीबी न हो। अस्पताल बने, स्कूल बने! हम अपने लोगों को सभ्य बनायें, सुसंस्कृत बनायें। समाज में घोर अन्याय है, जो मेहनत करते हैं, एड़ी-चोटी का पसीना एक करते हैं, वे भूखों मरते हैं और जो कोई काम नहीं करते, ऐश करते हैं। हम आजादी इसलिए चाहते थे कि इस अन्याय को दूर करें, उस प्रथा को हटायें, जिसके चलते ऐसे अन्याय होते हैं, न कि हिन्दू राज, खालिस्तान या द्रविड़िस्तान कायम करने के लिए।
हिन्दू राज की बातें करके जो लोग हमारे नौजवानों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भर्ती करते हैं, उनसे पूछिये - क्या हिन्दू राज पहले नहीं था और आज भी नहीं है? नेपाल में तो हिन्दू ही राजा है, वहां का क्या हाल है, आप जानते हैं? मैं वहां जेल में कैद था, वहां के बारे में कुछ जानकारी रखता हूं। हमारे देश में जब विदेशी राजा था, तो भी हम उस राज्य की आलोचना कर सकते थे - अखबार निकालते थे, सभा करते थे, उससे लड़ने के लिए संगठन करते थे। लेकिन नेपाल के आपके हिन्दू राज में वहां के शासकों के खिलाफ आप जबान भी नहीं हिला सकते। यदि ऐसी गुस्ताखी आप करें, आप का जबान खींच ली जाय, आपका सिर उतार लिया जाय। सिक्ख भाई जरा पटियाला जाकर देखें, सिक्ख राज कैसा होता है? मैसूर में हिन्दू राज्य है, जो हिन्दू प्रजा पर गोलियां चलवाने में नहीं हिचकता। त्रावनकोर का हिन्दू दीवान पाकिस्तान से दोस्ती गांठने चला था। इन हिन्दू राज्यों में एक राजा है, उसके आसपास सैकड़ों जागीरदार हैं, वे जनता को लूटते हैं, बीसों रानियां रखते हैं, तरह-तरह के दुराचार करते हैं। ऐसे राज्यों और राजाओं के दिन लद गये। आज जनता का जमाना है। हम एक ऐसी दुनिया देखना चाहते हैं, जिसमें कोई राजमुकुट पहननेवाला न रहे। जो लोग हिन्दू राज की बात करते हैं, वे प्रतिक्रियावादी हैं, वे देश को सैकड़ों वर्ष पीछे ले जाना चाहते हैं।
दिल्ली में एक सज्जन मेरे पास आये और बोले कि हमारा हिन्दू राज से मतलब है, रामराज्य से। मैंने उनसे कहा - रामराज्य की शकल में जो राज्य कायम करना चाहेगा, वह पड़ोसियों के घर में आग नहीं लगावेगा, लूटमार नहीं करेगा, परायी औरतों की इज्जत नहीं लूटेगा, बच्चों को कत्ल नहीं करेगा। आग लगाकर, बलात्कार करके, कत्लेआम करके रामराज्य नहीं कायम किया जा सकता। वह तो जानवरों का राज होगा, डकैतों का राज होगा, लठैतों का राज होगा। आप रामराज्य कायम करना चाहते हैं, तो हिन्दोस्तान में एक ही व्यक्ति है, जिसके चरणों के नीचे आपको बैठना होगा, जिसके चरण-चिन्हों पर चलना होगा। वही एक व्यक्ति है, जो देश को रामराज्य की ओर ले जाना चाहता है, उसी की तपस्या ने हमें आजादी दिलाई है, उसीके तपोबल से हमारा बूढ़ा देश संसार के देशों के सामने सिर ऊंचा करके खड़ा हुआ है। उसीके उपदेशों और आदेशों पर चलकर हम रामराज्य कायम कर सकते हैं, बाकी लोग तो हमें धोखा देना चाहते हैं।
(जारी)