मिशेल हाई स्कूल में बहुसंख्यक गोरे छात्रों के बीच अपना स्थान बना पायी तो यह स्कूल का वातावरण नहीं, बल्कि उसका अपना संकल्प या दृढ़ निश्चयी होना ही इसका कारण था. कालेज जाने की तैयारी में कौंसिलिंग में उसे प्रिस्टन विवि के लिए भी अयोग्य समझा गया. यह उसकी बौद्धिक कमी नहीं, बल्कि काली लड़की होने के कारण था. उसने हावर्ड तथा प्रिंस्टन- दो विश्व विद्यालयों में चयनित होकर अपनी योग्यता का परिचय जरूर दिया.
पिं्रस्टन विवि में प्रवेश उसने अपने भाई के साथ रहने के विचार से लिया. वहां भी गोरे विद्यार्थिेयों की संख्या अधिक थी और उसमें भी लड़कों की संख्या. एक बड़े से क्लास में गोरे विद्यार्थियों के बीच लगभग 9 फीसदी काले विद्यार्थी थे. यहीं पर मिशेल को अपने काले होने का एहसास सबसे अधिक हुआ. वह बहुत सचेत रहती थी. उसे मालूम था कि उनके बीच अपना स्थान बनाना है तो अपना श्रेष्ठ दिखाना है. फिर भी कुछ ऐसे अनुभव थे, जो जीवन पर्यन्त साथ रहने वाले थे. ज्यादातर गोरे विद्यार्थी काले विद्यार्थियों से अलग और दूर रहते थे. सड़क के जिस ओर से काले लड़के या लड़की गुजरते, गोरे विद्यार्थी उस सड़क से नहीं गुजरते थे. वे दूसरे रास्ते से चलना पसंद करते थे. विवि प्रशासन चाहती थी कि गोरे और काले बच्चे मिलजुल कर रहें, इसलिए हास्टल में दोनों को साथ रखा जाता था. मिशेल को दो गोरी लड़कियों के साथ एक कमरे में रखा गया था.
कैथी नामकी लड़की की मां, जो एक टीचर भी थी, को आश्चर्य हुआ कि कैसे विवि प्रशासन उसकी बेटी को एक काली लड़की के साथ रहने के लिए बाध्य कर रहा है. अंत में उसने अपनी बेटी को वहां से हटा कर एक अलग कमरे में ले गयी. एक दूसरे कमरे की काली लड़की ने जब अपने छह साथियों को अपने कमरे में बुला कर जन्म दिन मनाया, तो उसके रूम में रहने वाली गोरी लड़की को अच्छा नहीं लगा. उसने कालेज के डीन तक इसकी खबर कर दी. उस लड़की का कहना था कि इतने सारे लंबे काले लोगों को देख कर उसे डर लगता है. मिशेल को हमेशा से ही लगता था कि काले लोगों को शक की नजरों से देखा जाता है. यहां तक कि वहां के अध्यापक भी उन्हें ऐसी नजरों से देखते थे मानो वे कह रहे हैं कि तुम तो सामाजिक न्याय के प्रयोग के कारण यहां हो, अन्यथा तुम्हारी औकात क्या है. क्लास के बहस में बढ़- चढ़ कर भाग लेते गोरे लड़कों की बातों में उसे बौद्धिकता से ज्यादा श्रेष्ठताबोध दिखता था. उसे लगता था कि इन्होंने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है.
जब-जब मिशेल को समाज से सामना करना पड़ा, उसे काले होने के कारण ज्यादा कठिनाई होती रही. ओबामा के चुनाव के समय उसे एक बार फिर समाज और गोरे लोगों से रूबरू होना पड़ा. प्रिंस्टन में तो वह ‘थर्ड वल्र्ड सेंटर’ में काले विद्यार्थियों के साथ रह कर अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी. लेकिन चुनाव प्रचार में तो उसे काले लोगों में ही नहीं, गोरे लोगों के बीच भी जाना था. उनके बीच जा कर पति की राष्ट्रपति उम्मीदवारी के बारे में बताना था, उसके कामों और उद्देश्यों के बारे में बताना था. उसके सामने केवल लोग ही नहीं थे, एक सशक्त दक्षिणपंथी विरोधी दल भी था जो लोगों में इस बात का प्रचार कर रहा था कि काले लोगों के हाथों में देश को नहीं सौंपो. वे तुम्हारी तरह के नहीं हैं. उनकी दृष्टि तुम्हारी नहीं हो सकती. इस तरह गोरे लोगों में काले लोगों के प्रति घृणा और भय फैलाया जा रहा था.
मिशल तो अपनी वाकपटुता से लोगों का दिल जीतती थी, विरोधी दल उसके शब्दों का गलत अर्थ निकालते थे और प्रचार करते थे. उसकी उंचाई और रंग-रूप को लेकर भी उसकी आलोचना करते थे. अश्वेत राष्ट्रपति तो स्वीकार करने के बावजूद अमेरिका में अश्वेतों के प्रति घृणा समाप्त हो गयी हो, ऐसी बात नहीं थी, शिकागों से लगातार अश्वेत बच्चों के मारे जाने की खबर आती रही. मारने वाली पुलिस हीे होती थी जो यह मान कर चलती थी कि अश्वेत बच्चे अपराधी प्रवृत्ति के होते हैं. क्लीवलैंड में तामीर राईस नाम का लड़का खिलौना गन से खेल रहा था तो पुलिस ने उसे मार दिया. स्टैटन आईलैंड के फ्रेडीग्रे का गला पुलिस ने ऐसा दबाया कि वह वहीं मर गया. माईकल ब्राउन नामका नाबालिग पुलिस द्वारा मारा गया और सड़क के बीचों बीच उसका शव घंटों पड़ा रहा. ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जो यह बताते हैं कि अश्वेत होने के कारण बिना किसी अपराध के ये लोग मारे गये.
ओबामा के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के पांच सप्ताह बाद ही न्यू टाउन के एक स्कूल में गन लेकर एक व्यक्ति पहुंच जाता है और बीस बच्चों को मार देता है. आसानी से उपलब्ध गन तथा पिस्तौल इस तरह के मार काट के कारण माने जाते हैं. ओबामा ने एक कठोर कानून लाकर इसकी उपलब्धता पर रोक लगाना चाहा. लेकिन विरोधी पार्टी ने उनको सफल होने नहीं दिया. कारण स्पष्ट था, वे अश्वेत राष्ट्रपति थे.
मिशेल प्रथम महिला रहते हुए दक्षिणी शिकागो के काले बच्चों के एक स्कूल में गयी. बच्चों की उपस्थिति कम थी. जो बच्चे आये हुए थे, वे भी डरे हुए थे. वे जब लाईब्रेरी में मिशेल से मिलने इकट्ठा हुए तो उन्होंने बताया कि उन्हें स्कूल आते डर लगता है, क्योंकि कौन आकर उन्हें मार दे, वे नहीं जानते. वे अपने स्वजनों के मारे जाने की बातें बताते रहे. एक लड़के ने तो मिशेल से पूछ ही लिया कि आप हमारी सुरक्षा के लिए क्या कर रही हैं? एक क्षण तो मिशेल चुप रही, लेकिन उसने कहा कि सरकार उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं करती है और न कर सकती है. उनको अपनी रक्षा खुद करनी है. इसके लिए उन्हें मजबूत बनना है. आगे बढ़ने वालों को भी रोका नहीं सकता है. मिशेल का यह कथन शायद वहां के काले लोगों का सारी कठिनाईयों के बावजूद जिंदा रहने का कारण रहा होगा.