मृत ब्रम्हदेव सिंह की पत्नी जीरामनी देवी ने उनकी पति की सुरक्षा बलों द्वारा हत्या के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज न होने की शिकायत अक्टूबर 2021 में लातेहार कोर्ट में की थी। अब उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय में 20 नवंबर को एक रिट दायर करके निम्न मांग की है:
1) मामले की स्वतंत्र जांच के लिए उच्च न्यायलय के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन हो।
2) लातेहार के लीड मजिस्ट्रेट को निदेश दें कि तुरंत प्राथमिकी दर्ज की जाए
3) आवेदक व गवाहों को सुरक्षा दी जाए
4) तुरंत 10 लाख रु का मुआवजा दिया जाए
मामले का विवरण
12 जून 2021 को पिरी के ब्रम्हदेव सिंह समेत कई आदिवासी पुरुष नेम सरहुल मनाने की तैयारी अंतर्गत शिकार के लिए गांव से निकले ही थे कि उनपर जंगल किनारे से सुरक्षा बलों ने गोली चलानी शुरू कर दी. उन्होंने हाथ उठाके चिल्लाया कि वे आम जनता हैं, पार्टी (माओवादी) नहीं हैं और गोली न चलाने का अनुरोध किया. युवकों के पास पारंपरिक भरुठुआ बंदूक थी जिसका इस्तेमाल ग्रामीण छोटे जानवरों के शिकार के लिए करते है. ग्रामीणों ने गोली नहीं चलायी थी. लेकिन सुरक्षा बल की ओर से गोलियां चलती रही एवं दिनेनाथ सिंह के हाथ में गोली लगी और ब्रम्हदेव सिंह की गोली से मौत हो गयी. पहली गोली लगने के बाद ब्रम्हदेव को सुरक्षा बलों द्वारा थोड़ी दूर ले जाकर फिर से गोली मार के मौत सुनिश्चित की गयी. दोषियों के विरुद्ध कार्यवाई करने के बजाय पुलिस ने मृत ब्रम्हदेव समेत छः युवकों पर ही विभिन्न धारा अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कर दी.
इस प्राथमिकी में पुलिस ने घटना की गलत जानकारी लिखी है. प्राथमिकी में इस कार्यवाई को मुठभेड़ कहा गया है और यह लिखा गया है कि हथियार बंद लोगों द्वारा पहले फायरिंग की गई और कुछ लोग जंगल में भाग गए. साथ ही, मृत ब्रम्हदेव का शव जंगल किनारे मिला. यह तथ्यों से विपरीत है.
ब्रम्हदेव सिंह की पत्नी जीरामनी देवी ने अपने पति की हत्या के लिए जिम्मेवार सुरक्षा बलों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए 29 जून को गारू थाना में आवेदन दिया था, लेकिन आज तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई. इस बीच ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक से लेकर मुख्यमंत्री तक कई बार अपील की है.