नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द कराने के लिए केन्द्रीय जनसंघर्ष समिति ने दिनांक 21 अप्रैल से 25 अप्रैल 2022 को टूटूवापानी गुमला (नेतरहाट के नजदीक) से राँची राजभवन तक पदयात्रा का आयोजन किया है. 21 तारीख को पदयात्रा सुबह 7 बजे आरंभ होगी.व 25 अप्रैल 2022 को राजभवन के समक्ष धरना एवं महामहीम राज्यपाल को ज्ञापन दिया जायेगा.

पदयात्रियों को आन्दोलन के सबसे बुजुर्ग व आन्दोलन के साथी बाबा श्री एमान्वेल (उम्र -95 साल), माँ श्रीमती मगदली कुजूर, माँ श्रीमती दोमनिका मिंज, मो. खाजोमुदीन खान, श्री बलराम प्रसाद साहू , श्री रामेश्वर प्रसाद जायसवाल झंडा दिखा कर रवाना करेंगे. पदयात्रा में प्रभावित क्षेत्र के करीब 200 से अधिक महिला व पुरुष- साथी शामिल होंगे. पदयात्रा टूटूवापानी - बनारी, विशुनपुर, आदर, घाघरा, टोटाम्बी, गुमला, सिसई, भरनो, बेडो, गुटुवा तालाब, कठहरमोड़, पिस्का मोड़, रातू रोड होते हुए राज भवन पहुंचेगी. नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द कराने के लिए हम पिछले 28 सालों से आन्दोलन कर रहे हैं. आपको बताते चलें कि एकीकृत बिहार के समय में 1954 में मैनूवर्स फील्ड फायरिंग आर्टिलरी प्रैटिक्स एक्ट, 1938 की धारा 9 के तहत नेतरहाट पठार के 7 राजस्व ग्राम को तोपाभ्यास (तोप से गोले दागने का अभ्यास) के लिए अधिसूचित किया गया था। 1991 और 1992 में तत्कालीन बिहार सरकार ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए अधिसुचना जारी की जिसमें उन्होंने अवधि का विस्तार करते हुए इसकी अवधि 1992 से 2002 तक कर दी। इस अधिसूचना के तहत केवल अवधि का ही विस्तार नहीं किया बल्कि क्षेत्र का विस्तार करते हुए 7 गाँव से बढ़ाकर 245 गाँव को भी अधिसूचित किया गया। पिपुल्स यूनियन फाॅर डिमोक्रेअिक राईट्स (दिल्ली, अक्टूबर 1994) की रिपोर्ट से हमें मालूम हुआ था कि सरकार की मंशा पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्थाई विस्थापन एवं भूमि-अर्जन की योजना को आधार दिया जाना था.

हमने क्षेत्र की महिलाओं की अगुवाई में 22 मार्च 1994 को फायरिंग अभ्यास के लिए आई सेना को बिना अभ्यास के वापस जाने पर मजबूर किया था। तब से आज तक सेना नेतरहाट के क्षेत्र में तोपाभ्यास के लिए नहीं आई है। आन्दोलन के साथ ही हमने हमेशा ही बात-चीत का रास्ता खुला रखा है। हमारे इस जोरदार विरोध को देखते हुए स्थानीय प्रशासन गुमला और पलामू के पहल पर प्रशासनिक अधिकारी, सेना के अधिकारी व केन्द्रीय जनसंघर्ष समिति के साथ तीन बार वार्ता हुई। वार्ता के दौरान जनसंघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि समिति किसी भी तरह के फायरिंग अभ्यास को पायलट प्रोजेक्ट नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का ही रूप मानती है। अतरू समिति बिहार सरकार के द्वारा पायलट प्रोजेक्ट को विधिवत अधिसूचना प्रकाशित कर रद्द करने की मांग करती है। जोरदार विरोध और प्रशासनिक अधिकारियों के आग्रह पर समिति ने सोचा कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अवधि जो मई 2002 तक है समाप्त हो जाएगी। परन्तु ऐसा सोचना हमारे लिए घातक साबित हुआ - 1991 व 1992 की अधिसूचना के समाप्त होने के पूर्व ही तत्कालीन बिहार सरकार ने 1999 में अधिसूचना जारी कर 1991-92 की अधिसूचना की अवधि का विस्तार कर दिया, जिसके आधार पर ये क्षेत्र 11 मई 2022 तक प्रभावित है। आज भी हमें डर है कि कहीं राज्य सरकार अवधि का विस्तार न कर दे। क्योंकि अभी तक नेतरहाट फील्ड फायरिग रेंज को रद्द करने की अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा जारी नहीं की गई है।

यह पूरा इलाका भारतीय संविधान के पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है और यहाँ पेसा एक्ट 1996 भी लागू है जिस कारण ग्राम सभाओं को अपने क्षेत्र के सामुदायिक संसाधन - जंगल, जमीन, नदी-नाले और अपने विकास के बारे में हर तरह के निर्णय लेने का अधिकार है। प्रभावित क्षेत्र की ग्रामसभा ने ग्रामसभा कर अपनी जमीन नहीं देने का जो निर्णय लिया है उसकी कॉपी महामहिम राज्यपाल को समर्पित करते हुए हम विनम्र आग्रह करेंगे कि पांचवी अनुसूची क्षेत्र में ग्रामसभाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें और उनके निर्णय का सम्मान करते हुए उचित कार्यवाही करें।