टुकड़े—टुकड़े हो बिखर चुकी मर्यादा

उसको दोनों पक्षों ने ही तोड़ा है

पाण्डव ने कुछ कम कौरव ने कुछ ज्यादा

यह रक्तपात अब कब समाप्त होना है

यह अजब युद्ध है नहीं किसी की भी जय

दोनों पक्षों को खोना ही खोना है

अन्धों से शोभित था युग का सिंहासन

दोनों पक्षों में विवेक ही हारा

दोनों पक्षों में जीता अंधापन

भय का अंधापन, ममता का अंधापन

अधिकारों का अंधापन जीत गया

जो कुछ सुंदर था,शुभ था, कोमलतम था

वह हार गया…द्वापर युग बीत गया